नई दिल्ली ।
★ इग्लैंड से वुहान लौटे संक्रमित चीनी छात्र झोऊ ने बढ़ाई परेशानी।
★ कोविड-19 के रहस्य से अचंभित है दुनिया, चीन भी हैरान।
★ दुनिया में कोविड निर्यातक के रूप में मशहूर चीन में आया यूरोप का कोरोना।
★ संक्रमण ऐसा कि मर्ज का अंत तक पता चलना मुश्किल, 8 अप्रैल के बाद पता लगेगी सच्चाई।
क्या चीन के हुबेई प्रांत के वुहान शहर में यूरोप से आया कोविड-19 का मरीज (चीन का छात्र झोऊ) कोई नई चेतावनी लेकर आया है? इस बात से चीन के भी चिकित्सा विशेषज्ञ हैरान हैं। ध्यान रहे, दुनिया के वैज्ञानिकों का मानना है कि कोविड-19 म्यूटेट (खुद को परिवर्तित करने की क्षमता) कर सकता है। यदि वाकई ऐसा हुआ तो चीन में एक बार फिर कोविड-19 संक्रमण अपने पांव पसार सकता है।
गंभीर चिंता में डालने वाली यह स्थिति तब है, जब चीन के वुहान शहर में कोविड-19 के नए मामले आने बंद हो गए हैं। पिछले दस दिन में केवल एक मामला ही आया। अब यह झोऊ के रूप में यूरोप से चीन में कोविड-19 का आयातित मामला है।
कोरोना को लेकर एक और खास बात भारत के झारखंड राज्य से सामने आई है। यहां एक विदेशी महिला की कोविड-19 संक्रमण के चलते मृत्यु हुई है। रांची के चिकित्सा विशेषज्ञों का कहना है कि उस महिला में भी आखिरी समय में कोविड-19 के संक्रमण की पुष्टि हो पाई।
इसी बात से मिलती-जुलती बात चीन ने भी कोविड-19 को लेकर दी गई एक सफाई में कही है। चीन का कहना है कि उसके यहां 1551 कोविड-19 के मामले ऐसे थे जिनमें अंत तक संक्रमण की पुष्टि हो पाना मुश्किल हो रहा था। इसमें 200 से अधिक विदेशी नागरिक थे। छात्र झोऊ का मामला भी ऐसा ही है।
झोऊ का इग्लैंड में परीक्षण हुआ था। झोऊ ने चीन में कोविड-19 संक्रमण के समापन को देखकर वुहान लौटने का निर्णय लिया। वह इग्लैंड से दुबई होते हुए वुहान पहुंचा। चलने से पहले इग्लैंड में झोऊ का कोविड-19 से संक्रमण के परीक्षण का परिणाम नकारात्मक था, लेकिन वुहान में उसके परीक्षण में कोविड-19 पॉजिटिव आया। अब यही बात पूरी दुनिया के लिए सबसे बड़ी चिंता का विषय बनने जा रही है।
★ क्या चीन में फिर लौटेगा कोविड-19
ऐसे मामले में भारत के एक वायरोलॉजी विशेषज्ञ का कहना है वायरस के उत्परिवर्तन (म्यूटेशन) की संभावना काफी अधिक रहती है। ऐसा होने का अर्थ है कि कोविड-19 का वायरस निष्क्रिय हुआ है, लेकिन यह म्यूटेट कर सकता है। कुछ समय बाद वापसी भी कर सकता है।
सूत्र का कहना है कि चीन के चिकित्सा वैज्ञानिक, वायरोलॉजिस्ट और विशेषज्ञ अभी भी लगातार कोविड-19 को लेकर शोध कर रहे हैं। आईआईटी दिल्ली के एक प्रोफेसर का कहना है कि इस समय चिकित्सा विज्ञानियों के लिए सबसे बड़ी प्राथमिकता का विषय कोविड-19 वायरस ही है।
दवा के क्षेत्र में रिसर्च करने वाली संस्थाएं भी कोविड-19 पर काफी ध्यान दे रही हैं। इसलिए जब तक कोविड-19 का कोई टीका विकसित नहीं हो जाता, इस संक्रमण से स्थायी निजात मिलना मुश्किल है। सूत्र का कहना है कि दुनिया भर के देशों में इसका प्रयोग चल रहा है और टीका आने में साल भर लग सकता है।
★ लक्षण नहीं, लेकिन कोविड-19 संक्रमण की प्रबल संभावना
नई दिल्ली स्थिति चीन दूतावास के एक अधिकारी के मुताबिक उनके देश में कुछ ऐसे मामले सामने आए, जिनमें लोगों के कोविड-19 से संक्रमित होने की प्रबल आशंका है, लेकिन उनमें कोविड के लक्षण ही नहीं हैं। चीन ने 982 ऐसे मामले की जानकारी दी है, जिनमें संक्रमण की आशंका के बावजूद उनमें फिलहाल लक्षण नहीं है। इन लोगों को चीन की सरकार ने लगातार निगरानी में रखा है।
★ इंग्लैंड से आए संक्रमित पर चीन की खास निगाह
हालांकि चीन में करीब 700 विदेशी ऐसे रहे, जिन्हें कोविड-19 का संक्रमण रिपोर्ट हुआ। लेकिन चीन का छात्र झोऊ यूरोप (इग्लैंड) से संक्रमित होकर आया है। यूरोप में कोविड-19 ने काफी कहर बरपा रखा है।
इसलिए इग्लैंड से संक्रमित होकर आए छात्र पर चीन की खास निगाह है। हांगकांग विश्वविद्यालय के शोधकर्ता गैब्रिएल का मानना है कि चीन में अभी भी तमाम लोग कोरोना से संक्रमित हो सकते हैं। इन लोगों में बाद में कोरोना का संक्रमण प्रभावी रूप से सामने आ सकता है।
★ 8 अप्रैल के बाद पता लगेगी सच्चाई
अंतरराष्ट्रीय स्तर पर माना जा रहा है कि अप्रैल के अंत तक ही चीन में कोविड-19 को लेकर तस्वीर साफ हो पाएगी। नार्थ दिल्ली मेडिकल कॉलेज के प्रो. राम भी कहते हैं कि अभी कुछ नहीं कहा जा सकता। अभी यह नहीं कह सकते कि चीन कोविड-19 मुक्त हो गया है।
डॉ. अश्विन चौबे का कहना है कि वायरस जनित बीमारी के बारे में इतनी आसानी से कहना मुश्किल है। उसका इलाज टीका ही है। डॉ. अश्विन चौबे के अनुसार 8 अप्रैल को चीन में लॉकडाउन पूरी तरह से खत्म होने की सूचना है। तब हवाई सेवा, फैक्ट्री में उत्पादन, अंतरराष्ट्रीय स्तर आवाजाही बढ़ेगी।
डॉ. चौबे का कहना है कि यदि अगले एक महीने या 30 अप्रैल तक चीन में कोरोना का नया मामला नहीं आता, तब यह एक अच्छा संकेत होगा। डॉ. चौबे के अनुसार दुनिया भर के चिकित्सा विज्ञानियों की इस अप्रैल महीने पर निगाह टिकी है।