ओबरा, 29 फरवरी, 2020, बिल्ली मारकुंडी में हो रहे खनन में मजदूरों की मौत बेहद दुखद है। सरकार को तत्काल खनन में मृत श्रमिकों के परिवारजनों को 50 लाख रूपए मुआवजा देना चाहिए, इस दुर्घटना की न्यायिक जांच करानी चाहिए और इसकी जिम्मेदारी तय कर दोषी अधिकारियों को दण्डित करना चाहिए। यह मांग आज श्रम बंधु और वर्कर्स फ्रंट के प्रदेश अध्यक्ष दिनकर कपूर ने सरकार व प्रशासन से की।
उन्होंने जारी प्रेस विज्ञप्ति में कहा कि इस दुर्घटना ने संघ-भाजपा सरकार के अवैध खनन को रोकने के दावे के सच को सामने लाया है। योगी सरकार को बताना चाहिए कि आवासीय बस्ती के पास खनन कैसे और किसके आदेश पर हो रहा था। बार-बार इस खनन पर आपत्ति करने के बावजूद इस पर रोक क्यो नहीं लगाइयी गयी। यहीं नहीं श्रम बंधु की बैठक में निर्णय के बाद भी खनन श्रमिकों का पंजीकरण क्यों नहीं हो रहा, जिससे कि दुर्घटना के समय उन्हें मुआवजा मिल सके। सरकार को यह भी बताना चाहिए कि इस दुर्घटना के दोषियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने में इतना समय क्यो लगाया जा रहा है। दरअसल सच्चाई यह है कि आरएसएस के स्वयंसेवक व भाजपा के प्रदेश संगठन मंत्री के निर्देश पर सोनभद्र जनपद में अवैध खनन का कारोबार फलफूल रहा है। हालत इतनी बुरी है कि पिपरडीह व कोरगी में नदी के पेटे में सर्वोच्च न्यायालय के आदेशों का उल्लंधन करके खनन की अनुमति दी गयी। आज सोनभद्र में खनन मजदूरों की कब्रगाह में तब्दील हो गया है। इसके विरूद्ध हाईकोर्ट के निर्देश पर सरकार को कई बार पत्रक देने के बावजूद कोई कार्यवाही नहीं की जा रही है। इसलिए इस दुर्घटना समेत सोनभद्र जनपद में जारी खनन की न्यायिक या सीबीआई से जांच कराने और इसमें भाजपा के शीर्ष नेतृत्व की भूमिका की भी जांच कराने के लिए हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया जायेगा।
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