
लखनऊ 31 जनवरी। नव वर्ष सन् 2020 की शुरूआत के साथ समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने 2022 में होने वाले चुनावों को दृष्टि में रखते हुए अपनी सघन तैयारियां शुरू कर दी हैं। श्री यादव ने जनवरी में ही 20 जनपदों में लाखों लोगों से सम्पर्क किया है। उनकी सड़क मार्ग से हुई इन सामाजिक-राजनीतिक यात्राओं में जगह-जगह जो भीड़ उमड़ी वह अप्रत्याशित और स्वतः स्फूर्त थी क्योंकि इस सम्बंध में उन्हें तत्काल ही सूचनाएं मिली थी। इनसे स्पष्ट संकेत मिला है कि भाजपा के प्रति जनाक्रोश बढ़ा है। लोग बदलाव चाहते हैं और विकल्प में अखिलेश पर उनका भरोसा बढ़ता जा रहा है।
अखिलेश यादव ने विगत 28 जनवरी 2022 को झांसी की मोठ तहसील की यात्रा की और 29 जनवरी 2022 को आजमगढ़ के कार्यक्रमों में शिरकत की। पूर्व कैबिनेट मंत्री राजेन्द्र चौधरी भी इन यात्राओं में उनके साथ थे। झांसी की मोठ तहसील की यात्रा का कुछ अलग ही महत्व था। यहां के सेमरी गांव में वे एक अंतर्जातीय विवाह समारोह में शामिल हुए। यहां अखिलेश यादव दिल्ली के जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) के एक नव दम्पत्ति डाॅ0 दिलीप यादव एवं इं0 पल्लवी नन्देश्वर के अंतर्जातीय विवाह समारोह में आशीर्वाद देने पहुंचे थे।
इस मौके पर पृष्ठभूमि में डाॅ0 अम्बेडकर, ज्योतिबा फुले, डाॅ0 राममनोहर लोहिया जहां आशीर्वाद मुद्रा में थे वहीं सांसद डाॅ0 चन्द्रपाल यादव, दीप नारायण सिंह उर्फ दीपक यादव, उदयवीर सिंह एमएलसी, प्रो0 अली, फ्रेंक हुजूर, अतुल प्रधान, गौरव दुबे सहित छात्र जेएनयू में अध्ययनरत साथियों की उपस्थिति उल्लेखनीय है। दिलीप-पल्लवी के विवाह समारोह में गरीब किसान, समाजवादी पार्टी के नौजवान कार्यकर्ता भी शामिल हुए।
इस विवाह की विशेषता इसके निमंत्रण पत्र से भी झलकती है। इस निमंत्रण पत्र में कहा गया है कि प्रेम बंधन में बंधने का अर्थ यह नहीं है कि हम एक दूसरे के साथ खड़े होंगे अपितु एक दूसरे के साथ बराबरी के भाव से खड़े होंगे। एक दूसरे के साथ आने का समय भी वह है जबकि देश में शैक्षिक संस्थानों में असमानता, जाति एवं लिंग सम्बंधी विभेद, असंवैधानिक नागरिकता कानून आदि के खिलाफ विरोध की लहरें उठ रही हैं। हम नौजवानों को जन आंदोलनों का साथ देना चाहिए।
देश में अंतर्जातीय विवाह सामाजिक समरसता के लिहाज से स्वस्थ सामाजिक व्यवस्था के लिए जरूरी भी हो गए हैं। डाॅ0 लोहिया का तो यही कहना था कि जाति प्रथा के विरोध से ही देश में एक नई सोच आएगी। इससे सबको नवजीवन मिलेगा। सबका उत्थान होगा। डाॅ0 साहब का मत था कि जाति प्रणाली परिवर्तन के खिलाफ स्थिरता की जबर्दस्त शक्ति है, यह शक्ति वर्तमान क्षुद्रता और झूठ को स्थिरता प्रदान करती है। डाॅ0 लोहिया ने अपनी ‘सप्तक्रांति‘ की अवधारणा में नर-नारी समानता को प्रथम स्थान दिया था। वे कहते थे स्त्रियों को बराबरी का दर्जा देकर ही एक स्वस्थ और सुव्यवस्थित समाज का निर्माण किया जा सकता है। जाति तोड़ो सम्मेलन डाॅ0 लोहिया के निर्देश पर समाजवादियों ने शुरू किए थे।
संविधान निर्माता बाबा साहेब भीमराव अम्बेडकर मानते थे कि जिस भेदभाव की वजह से सामाजिक जीवन में अलग-अलग गुट हैं और जाति-जाति में विद्वेष और दुश्मनी पैदा हुई है उस जातीयता का त्याग होना ही चाहिए। डाॅ0 अम्बेडकर का स्पष्ट मत था कि जाति व्यवस्था तोड़ने का एक मात्र उपाय है अंतर्जातीय विवाह। ऐसे विवाह अधिकाधिक होंगे तो जाति के बंधन कमजोर हो जाएंगे।
पूर्व प्रधानमंत्री चैधरी चरण सिंह जातिप्रथा के विरूद्ध थे और वे इसके उन्मूलन के लिए अंतर्जातीय विवाहों पर विशेष बल देते थे। चैधरी साहब तो नौकरियों में इसकी अनिवार्यता के पक्षधर थे। जातिप्रथा की बुराइयों पर उन्होंने अपने लेखों में तीखे प्रहार किए है।
अखिलेश यादव का झांसी के भूजोन गांव में मून इंटरनेशनल पब्लिक स्कूल के स्टाफ और छात्रों ने जोरदार स्वागत किया। पूर्व विधायक दीप नारायण सिंह दीपक यादव ने भी उनका स्वागत किया।
झांसी यात्रा के दौरान कालपी जाते हुए ट्रांसपोर्ट नगर, कानपुर में कूड़े के ढेर पर गायों के झुण्ड द्वारा प्लास्टिक खाते देखकर अखिलेश यादव का मन खिन्न हो उठा। उन्होंने कहा क्या यही स्वच्छ भारत है? क्या यही गोसेवा की भावना है? बाते राज्य सरकार बड़ी-बड़ी करती है लेकिन गांए गोशालाओं में मर रही है। सड़कों पर घूमती गायों की देखभाल नहीं होती है। कूड़े की प्लास्टिक खाकर गौमाता अपनी जान गंवा रही है।
आजमगढ़ में उन्होंने कहा कि भारत की आजादी में हिन्दू-मुस्लिम ने बराबरी से कुर्बानी दी थी। आज उनके बीच वैमनस्य के बीज बोए जा रहे है। कर्ज से परेशान किसान आत्महत्या को मजबूर हो रहे हैं। उनको फसल का न तो लागत मूल्य मिल रहा है और नहीं उसकी आय दुगनी हो रही है। नदियों की सफाई की भाजपा ने मजाक बना दिया है। जब तक काली, हिंडन, वरूणा नदियां साफ नहीं होती गंगा-यमुना की निर्मलता की उम्मीद नहीं हो सकती है। यह खतरनाक स्थिति है।
जनपद आजमगढ़ में अम्बारी गांव में पूर्व सांसद स्वर्गीय रामकृष्ण यादव के आवास पर जाकर अखिलेश यादव जी ने परिजनों से भेंटकर सांत्वना दी। उनके पट्टीदार तथा पूर्व मुख्यमंत्री श्री रामनरेश यादव के आवास पर भी गए। बुजुर्ग रामफर ने कहा कि उनके पास तो कागज नहीं है सीएए, एनपीआर, एनआरसी में क्या दिखा सकेंगे। प्रधान जमील अहमद भी यही कह रहे थे। यहां अखिलेश जी ने चौधरी चरण सिंह के पुराने साथी रहे श्री राम बचन यादव को भी याद किया।
अखिलेश ने यहां अम्बारी में बांके यादव की चाय की दुकान पर चाय पी। जनता इंटर कालेज में भी श्री अखिलेश यादव का स्वागत किया गया।
अखिलेश यादव का लखनऊ से आजमगढ़ और आजमगढ़ से लखनऊ की यात्रा के दौरान जगह-जगह भव्य स्वागत हुआ। आजमगढ़ सीमा पर पूर्व सांसद दारोगा सरोज, जिलाध्यक्ष हवलदार यादव, सुभाष राय, आशुतोष उपाध्याय, राकेश यादव एमएलसी, विधायक संग्राम सिंह यादव, पूर्व मंत्री राम आसरे विश्वकर्मा, पूर्व विधायक बेचईराम, कमला प्रसाद यादव, श्याम बहादुर यादव ने स्वागत किया।
अखिलेश यादव का सूरापुर में श्री अखण्ड प्रताप यादव जिलाध्यक्ष, श्री प्रेम प्रकाश जायसवाल उपाध्यक्ष, जुनेद्रपुर में जितेन्द्र वर्मा, रूदौली में मिथलेश यादव पूर्व प्रमुख, सराय मोहिउद्दीनपुर में श्री विक्रम बिन्द ने स्वागत किया।
श्री यादव शाहगंज, जौनपुर में श्री शैलेन्द्र यादव ललई, के आवास पर भी रूके। उनका यहां जिला पंचायत अध्यक्ष श्री राज बहादुर यादव, जिलाध्यक्ष लाल बहादुर यादव, पूर्व विधायक श्रद्धा यादव एवं बाबा दुबे, एडवोकेट भी संजय यादव तथा सैय्यद ऊरूज अहमद एवं मनोज यादव गल्लू ने स्वागत किया।
सुल्तानपुर के दियरा चैराहे पर अरूण वर्मा पूर्व विधायक उनके स्वागत में खड़े थे। यहां बच्चे, जवान, महिलाएं तथा बुजुर्ग हजारों की संख्या में अखिलेश जी से मिलने और उनको देखने-सुनने के लिए सड़कों के दोनों तरफ खड़े हुए नारा लगा रहे थे कि हम आपके साथ हैं। कुछ बुजुर्गों ने तो यहां तक कहा कि संकट से उबारिए, आप फिर सरकार में आइए। श्री अखिलेश यादव ने इस यात्रा के दौरान देश की अर्थ व्यवस्था पर भी चर्चा की। उनका कहना था कि देश की अर्थव्यवस्था को भाजपा ने इस सीमा तक बर्बाद किया है कि पूरी व्यवस्था ही चरमरा गई है। लाखों नौजवान बेरोजगारी की चपेट में आ गए हैं। उनका भविष्य अंधेरे में है।
अखिलेश यादव ने कहा राजनीति में मूल्यों की गिरावट गम्भीर चिंता का विषय है। जैसी भाषा भाजपा नेता बोल रहे हैं उससे लोगों में भय व्याप्त हो रहा है। सीएए, एनआरसी, एनपीआर ने देश में बड़ी संख्या में लोगों के मन में तमाम आशंकाएं पैदा कर दी है। यह गरीबों के खिलाफ है। जगह-जगह महिलाएं आंदोलित है। विश्वविद्यालयों में छात्रों में असंतोष है। सरकार इस सबसे संवेदनशून्य बनी हुई है। उसका व्यवहार मानवीय नहीं रह गया है। इससे ऊबी जनता अब बदलाव चाहती है। वह विषमता और अनीति से बचना और विकास के रास्ते पर जाना चाहती है।
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