इलाहाबाद HC की टिप्पणी, क्यों न अपर मुख्य सचिव उच्च शिक्षा के खिलाफ अवमानना का केस चलाया जाये

कोर्ट ने अगली सुनवाई की तिथि पर कुलपति को भी उपस्थित रहने को कहा है।

प्रयागराज। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने अपर मुख्य सचिव उच्च शिक्षा उत्तर प्रदेश लखनऊ, राजेंद्र कुमार तिवारी के खिलाफ अवमानना आरोप निर्मित कर दिया है। इन पर जानबूझकर कोर्ट आदेश की अवहेलना करने का आरोप है। कोर्ट ने 7 जनवरी तक आरोप पर सफाई देने का समय दिया है और कहा है कि क्यो न उनके विरुद्ध अवमानना का केस चलाया जाये। कोर्ट के आदेश पर अपर मुख्य सचिव कोर्ट में हाजिर थे। अगली तिथि पर भी हाजिर रहने का निर्देश दिया है। कोर्ट ने अपर मुख्य सचिव को आदेश की अवहेलना करने के लिए प्रथम दृष्टया अवमानना का दोषी करार देते हुए तलब किया था।

यह आदेश न्यायमूर्ति सुनीत कुमार ने श्री त्रिवेणी संस्कृत महाविद्यालय प्रयागराज की प्रबंध समिति की अवमानना याचिका पर दिया है। हाईकोर्ट ने कहा था कि जब तक आयोग द्वारा अध्यापको के चयन के नियम नहीं बन जाते तब तक संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय वाराणसी के नियमों के अनुसार चयन जारी रखने की अनुमति दी जाय। इस आदेश के खिलाफ सरकार की अपील खारिज करते हुए कोर्ट ने निर्देश दिया कि जब तक चयन आयोग द्वारा संस्कृत महाविद्यालयों के प्रधानाचार्य एवं अध्यापकों की नियुक्ति प्रक्रिया एवं उनके वेतन के निर्धारण के नियम नहीं बन जाते तब तक संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय वाराणसी की परिनियमावली के तहत निर्धारित चयन प्रक्रिया के आधार पर नियुक्तियां जारी रखी जाए । इस आदेश का अनुपालन नहीं किया गया। जिस पर यह अवमानना याचिका दाखिल की गई है।

कोर्ट मे हाजिर अपर मुख्य सचिव ने बताया कि भर्ती नियम बन गया है, उसी के तहत भर्ती की जायेगी। इस पर कोर्ट ने कहा कि यह नियम पुरानी भर्ती में लागू नहीं होगा। कोर्ट ने अगली सुनवाई की तिथि पर कुलपति को भी उपस्थित रहने को कहा है। सुनवाई 7 जनवरी को होगी।

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