स्वास्थ्य डेस्क । जानिये पंडित वीर विक्रम नारायण पांडेय जी से प्याज एक घरेलू औषधि……
प्याज को संस्कृत में पलाण्डु कहते हैं।। पलाण्डु का शाब्दिक अर्थ है- रोगों से शरीर की रक्षा करना।। इसे गुजराती में डूंगरी,, मराठी में पांडरा कांदा कहते हैं।। अंग्रेजी में ओनियन कहते हैं।। प्याज में प्रोटीन,, कार्बोहाइड्रेट,, कैल्शियम,, गंधक,, फास्फोरस,,आयरन आदि खनिज लवण पाए जाते हैं।। प्याज इंसुलिन बढ़ाकर टाइप-२ डायबिटीज में राहत पहुंचाता है,, मोटापा दूर करता है,, हृदय रोग,, उच्च रक्तचाप से बचाता है।।
प्याज में तामसी गंध होने के कारण साधनात्मक मनोभूमि के लिए प्रतिकूल आहार है परन्तु औषधीय प्रयोजन की दृष्टि से इसका आयुर्वेद ने बहुत गुणगान किया है।। प्याज दो प्रकार की होती है-सफेद और लाल।। सफेद प्याज को औषधीय प्रयोग की दृष्टि से अधिक उपयोगी पाया है।। चरक और सुश्रुत ने इसे बुद्धिवर्धक,, शक्तिदाता तथा पौष्टिक माना है।। प्याज से आंतों की क्रिया शक्ति बढ़ती है,, दस्त साफ होता है। इसमें विषनाशक गुण भी है।। दूषित पित्त मल मार्ग से बाहर निकालता है।। नए शोध के अनुसार प्याज कैंसर के सेल्स को बढ़ने से रोकने वाला है।। बड़ी आंत के कैंसर से बचाव करता है।।
आयुर्वेदिक मतानुसार गुण दोष……
तीक्ष्ण गंध,, भूख बढ़ाने वाला,, मन के रजोगुण तथा तमोगुण को बढ़ाने वाला,, कब्ज,, बवासीर,, पीलिया मिटाने वाला,, हिस्टीरिया,, नपुंसकता,, मूत्र की रुकावट एवं पथरी नष्ट करता है।। हृदय की दुर्बलता मिटाने वाला,, वातव्याधि,, संधिवात दूर करने वाला,, कम मात्रा में सेवन करने से कफनाशक,, अनिद्रा,, नकसीर,, उदरशूल दूर करने वाला,, मूत्राशयकी पथरी नष्ट करता है।। घाव भरने का गुण भी है।।
घरेलू उपयोग….
हैजा में– (१) प्याज ३० ग्राम,, काली मिर्च ७ नग, मिश्री २० ग्राम मिलाकर महीन पीसकर दो गिलास पानी में मिलाकर पिला दें।। आमाशय में जाते ही प्यास और घबराहट दूर हो जाएगी तथा उल्टी दस्त बंद हो कर रोगी धीरे धीरे स्वस्थ होने लगता है।। एक रत्ती कपूर मुंह में लेकर चूसना चाहिए।।
(२) प्याज का रस एवं समान मात्रा में पुदीने का रस मिलाकर पिलानेसे लाभ होता है।।
(३) दो बतासों पर अमृतधारा ४-५ बूंद डालकर पिला दें।। २-२ घंटे बाद इसे दोहराते रहें।।
स्मरण शक्ति तथा जीवनी शक्ति बढ़ाने हेतु– सफेद प्याज का रस,, अदरक का रस तथा शहद ५-५ ग्राम दो ग्राम गोघृत मिलाकर सुबह-शाम सेवन करने से याददाश्त तेज होती है।। शारीरिक बल,, ओज की वृद्धि होती है।।
एक्जिमा इत्यादि चर्म रोग में– प्याज का रस ६० ग्राम,, पिसी मिश्री १० ग्राम,, पिसा हुआ सफेद जीरा १ ग्राम मिलाकर सुबह निराहार प्रतिदिन सेवन करने से रक्तविकार दूर होता है,, चर्म रोग मिटते हैं।।
नकसीर में– प्याज का रस दोनों नाक में २-२ बूंद नित्य डालने से लाभ होता है।। खून आने पर तुरंत दो बूंद रस डालकर १ प्याज काटकर गले के पीछे बांध देने से तुरंत लाभ होता है।।
हिस्टीरिया,, बेहोशी,, मिर्गी में– सफेद प्याज को काटकर ताजा टुकड़ा नाक के पास रखकर बार बार सुंघाने से दौरा दूर होता है।।
बाल झड़ने पर– असमय सिर के बाल झड़ने पर प्याज का रस शहद में मिलाकर लेप करने से कम उम्र में झड़ने वाले बाल पुनः उगने लगते हैं।।
शारीरिक विकास रुकने पर– शारीरिक विकास रुक जाने पर बच्चों को २० ग्राम प्याज, १० ग्राम गुड़ के साथ नित्य खिलाने से शारीरिक वृद्धि वाले हार्मोन सक्रिय हो जाते हैं।।
उच्च रक्तचाप में– प्याज रक्त का थक्का बनने से रोकता है।। सुबह शाम २० ग्राम प्याज के रस में २० ग्राम शहद मिलाकर चाटने से उच्च रक्तचाप में लाभ होता है।। ब्लाकेज दूर होता है।।
ल्यूकोडर्मा में– प्याज के बीजों को गोमूत्र में पीसकर लेप करने से त्वचा का रंग सामान्य होने लगता है।। प्रयोग नित्य करें।।
क्षय रोग में– १०० ग्राम प्याज नित्य घी में भूनकर २१ दिन तक सेवन करने से क्षय रोग के विषाणु नष्ट होते हैं,, सड़न दूर होती है।। फेफड़े स्वस्थ होते हैं।।
अनिद्रा में– १०० ग्राम प्याज को पीसकर २५० ग्राम दही में मिलाकर खाने से अनिद्रा की शिकायत दूर होती है और गहरी नींद आती है।।
उल्टी दस्त में– भोजन के अजीर्ण के कारण उल्टी दस्त होने पर प्याज का रस २०-२० ग्राम एक गिलास पानी में मिलाकर एक एक घंटे में पिलाने से लाभ होता है।।
खूनी बवासीर होने पर– २५ ग्राम प्याज को महीन काटकर २०० ग्राम ताजे दही में थोड़ा नमक मिलाकर नित्य खाने से खूनी बवासीर में लाभ होता है।।
संधिवात में– जोड़ों के दर्द में सरसों के तेल में प्याज का रस मिलाकर मालिस करने से लाभ होता है।
हिचकी में– एक गिलास पानी में २० ग्राम प्याज का रस मिलाकर पीने से हिचकी बंद हो जाती है।।
कुत्ते के काटने पर– घाव पर प्याज का रस और शहद मिलाकर लगाने से घाव ठीक होता है तथा विषैला प्रभाव दूर होता है।।
जूं होने पर– सिर में जूं होने पर प्याज का रस सरसों तेल में मिलाकर बालों की जड़ों में लगाने से जूं नष्ट हो जाते हैं।।
फोड़ा पकाने के लिए– प्याज को पीसकर घी में तलकर हल्दी मिलाकर गरम सहने योग्य रहे तब पुल्टिस बनाकर बांध देने से १-२ दिन में फोड़ा पक जाता है।। दर्द भी कम होता है।।
कष्टार्त्तव में– स्त्रियों को कष्टप्रद मासिक धर्म की शिकायत होने पर कच्चे प्याज का सेवन करने से मासिक की रुकावट और दर्द दूर होता है।।
खूनी दस्त में– १०० ग्राम प्याज महीन पीसकर दही में मिलाकर दिन में ३ बार खिलाने से लाभ होता है।।
अम्लपित्त में — सफेद प्याज को पीसकर दही में मिश्री या खांड मिलाकर खाने से खट्टी डकारें आना बंद हो जाता है।।
प्रदर रोग में– हर प्रकार के प्रदर रोग में १० ग्राम प्याज का रस १० ग्राम शहद मिलाकर सुबह, दोपहर-शाम को चाटने से लाभ होता है।। यह अत्यंत सरल नुस्खा है।। यह प्रयोग लंबे समय तक चलाएं जिससे पूरी तरह रोग ठीक हो सकें।। यह प्रयोग रोग प्रतिरोधक क्षमता को भी बढ़ाता है।।
दांत के रोग में– प्याज को पीसकर गरम करें और दांतों में दबाएं और मुंह में घुमाएं।। कुछ देर तक घुमाने के बाद बाहर निकाल दें।। नित्य सुबह शाम १० दिनों तक यह प्रयोग करने से पायरिया आदि दंत रोग,, दर्द,, सूजन आदि मिटते हैं।।
बच्चों को कृमि होने पर– पेट में कृमि होने पर आधा चम्मच प्याज का रस समान मात्रा में पानी मिलाकर पिलाने से लाभ होता है।।
पीलिया में– सफेद प्याज के रस में खांड या मिश्री और चुटकी भर हल्दी मिलाकर दिन में दो बार पिलाने से लाभ होता है।। यह प्रयोग १०-१५ दिन तक करें।।
हृदय रोग में– नित्य कच्चा प्याज खाने से वसा को रक्त नलिकाओं में जमने नहीं देता जिससे हृदयाघात का खतरा नहीं रहता।। हृदय की दुर्बलता मिटाने का गुण प्याज में होने से भी इसे परम औषधि कहा गया है।।
लू से बचाव में– धूप में जाने से पहले पर्याप्त पानी पी लेना चाहिए तथा सूती कपड़े से सिर को ढककर एक प्याज जेब में रख लें जिससे गर्मी को प्याज सोख सके एवं शरीर की क्षति रोक सके।। नींबू का शरबत बनाकर पीना चाहिए।। लू लगने पर प्याज को पीसकर हथेलियों तथा पांव के तलवों पर लेप करना चाहिए।।
उल्टी होने पर– प्याज का रस,, अदरक का रस,, शहद मिलाकर सेवन करने से लाभ होता है।।