स्वराज अभियान ने डीएम को भेजा पत्रक
ओबरा।ओबरा में निर्माणाधीन सी परियोजना के कारण ओबरा में भयंकर प्रदूषण है। लगातार उड रही धूल से नागरिकों को सांस लेना भी मुश्किल हो रहा है। निर्माण कर्ता कम्पनी दुसान व्दारा कहीं भी पानी का छिड़काव तक नहीं कराया जा रहा है। यहीं नहीं कार्यरत कम्पनियों व्दारा श्रम कानूनों का उल्लंघन किया जा रहा है। स्वराज अभियान की टीम ने श्रम बंधु दिनकर कपूर के नेतृत्व में दौरा कर ओबरा सी परियोजना में कार्यरत मजदूरों की हालत और प्रदूषण की स्थिति का अवलोकन किया। जिसमें आए तथ्यों के आधार पर जिलाधिकारी को पत्र भेजकर कार्यवाही की मांग की गयी है। टीम में युवा मंच के संयोजक राजेष सचान, समाजिक कार्यकर्ता राहुल यादव, ठेका मजदूर यूनियन के संयुक्त मंत्री मोहन प्रसाद, उपाध्यक्ष तीरथ राज यादव, रमेष सिंह खरवार, हनुमान प्रसाद और चंद्रषेखर पाठक शामिल रहे।
जांच टीम ने मजदूरों की हालत व प्रदूषण की जो स्थिति देखी वह बेहद चिंता जनक है। इसलिए इन हालातों पर डीएम को पत्रक भेजकर मांग की गयी कि ओबरा सी समेत सभी परियोजनाओं व उद्योगों में श्रमिकों को कानून प्रदत्त अधिकारों का अनुपालन सुनिश्चित करायें तथा भयंकर प्रदूषण के रोकथाम के लिए छिडकाव कराने की व्यवस्था हेतु सम्बंधित अधिकारियों को निर्देशित करे ताकि न्याय प्राप्त हो और प्रदूषण से मुक्त होकर आम नागरिक अपना जीवन जी सके।
पत्रक में डीएम के संज्ञान में लाया गया कि जीडीपीएल, भवानी कंस्ट्रक्शन, साँगा एरेक्टरस समेत कई कम्पनियां मजदूरों को न्यूनतम मजदूरी नहीं दे रही है। यहाँ तक कि मजदूरों को हर माह मजदूरी का भुगतान नहीं किया जा रहा है। आज तक मजदूरों को कर्मचारी राज्य बीमा (ईएसआई) का लाभ नही मिला। ईपीएफ में घोटाला किया गया. मजदूरों से पैसा काटकर ईपीएफ में जमा नहीं किया जा रहा। कई मजदूरों ने बताया कि उन्हें अभी तक ईपीएफ नम्बर तक नहीं दिया गया है। कम्पनियां बोनस, रोजगार कार्ड, वेतन पर्ची व गुड, मास्क, हाईट एलांउस, हाउस एलांउस जैसे न्यूनतम कानूनी अधिकार तक श्रमिकों को नही दे रही है। कम्पनी की कैंटीन में सस्ते दर पर खाध सामग्री नहीं मिलती। इन सवालों को हमारें व्दारा आपकी अध्यक्षता में 16 अक्टूबर को हुई श्रम बंधु की बैठक में उठाया गया था। जिस पर आपने इन महत्वपूर्ण विषयों पर कार्यवाही का आश्वासन दिया था। परंतु बेहद दुखद है कि इस दिशा में कार्यवाही नहीं की गयी। उल्टे अपने कानून प्रदत्त अधिकारों को मांगने पर श्रमिकों को बिना किसी नोटिस के काम से निकाल दिया जा रहा है। हालत इतनी बुरी है कि इतने बडे औधोगिक केन्द्र में एक अदद सरकारी अस्पताल तक नहीं है। ओबरा सी परियोजना में भी अस्पताल नहीं है जबकि नियमतः ऐसी बड़ी निर्माणाधीन परियोजना में अस्पताल होना अनिवार्य है। ऐसी स्थिति में जिलाधिकारी से हस्तक्षेप की अपील की गयी है।