ओबरा, सोनभद्र 6 नवम्बर 2019, ।ऊर्जा विभाग मेे पीएफ में हुआ अरबों का घोटाला उन आर्थिक नीतियों का परिणाम है जिसमें कारपोरेट घरानों के मुनाफे के लिए सार्वजनिक क्षेत्र को बर्बाद किया जा रहा है। देष की सभी टेªड यूनियनों के विरोध के बावजूद पीएफ का पैसा बाजार मंे न लगाने के नियम को कांग्रेस की मनमोहन सरकार ने बदला था। जिसके बाद राज्य सरकारों ने भी कर्मचारियों की जीवन भर की कमाई का कर्मचारी निधि का पैसा निजी कम्पनियों और शेयर बाजार में लगाया। यह जानते हुए भी कि डीएचएफएल एक दिवालिया कम्पनी है और उस पर बैंको का हजारों करोड़ बकाया है और इस कम्पनी ने अपने प्रोमोटरों द्वारा शैल कम्पनियों के जरिए 31 हजार करोड़ का लोन लेकर उसे वापस नहीं किया और भारी वित्तीय घोटाला किया है। बावजूद इसके अखिलेश सरकार ने इस कम्पनी को भविष्य निधि का पैसा देने का समझौता किया जिसे योगी सरकार ने लागू किया। इसलिए नैतिकता के आधार पर ऊर्जा मंत्री को इस्तीफा देना चाहिए और अरबों करोड़ रूपए के इस घोटाले की उच्च न्यायालय के न्यायाधीष के निर्देषन में जांच करानी चाहिए और जिन लोगों ने भी इस घोटाले को अंजाम दिया है उनकी सम्पत्ति जब्त की जानी चाहिए व कर्मचारियों की गाढ़ी कमाई के भविष्य निधि फण्ड़ की सुरक्षा की सरकार को गारंटी लेनी चाहिए। इसलिए कर्मचारियों व मजदूर आंदोलन को जनविरोधी कारपोरेट परस्त नीतियों को बदलने के लिए आगे बढ़ना चाहिए और जनता के धन की लूट के विरूद्ध जनता को जागृत करना चाहिए। यह बातें आज ओबरा में आयोजित कर्मचारी आंदोलन का समर्थन करते हुए जिले के श्रम बंधु व वर्कर्स फ्रंट के प्रदेष अध्यक्ष दिनकर कपूर ने कहीं।
इस अवसर पर मौजूद स्वराज अभियान के नेता राजेष सचान ने कहा कि देषी विदेषी पूंजी घरानों के मुनाफे के लिए लागू की जा रही अर्थिक नीतियों के दुष्परिणाम सामने आने लगे है। बड़े पैमाने पर रोजगार संकट पैदा हुआ है, खेती किसानी बर्बाद हुई है, करीब 6 लाख से ज्यादा कम्पनियां बंद हुई है। इससे सीख लेने की जगह सरकार बैंक, बीमा, बिजली, रेलवे, संचार, कोयला, तेल जैसे महत्वपूर्ण क्षेत्रों का निजीकरण करने और बर्बाद करने में लगी हुई है.