खाट पर दर्द से कराह रहे सूरदास की नही देखी गयी पीड़ा,तो बेसहारा का सहारा बना त्रिभुवन।
जब कोई नही आया आगे तो त्रिभुवन ने उठाया इलाज का जिम्मा।भिक्षाटन करते हुए आंखों से अंधे
गुलालझारिया के शंकर की गढ्ढे में गिरने से बायें साथ कि दो स्थानों से टूटी थी हड्डी।
समर जायसवाल दुद्धी –
दुद्धी। ” प्रार्थना शब्दों से नही दिल से होनी चाहिए क्योंकि ईश्वर उनकी भी सुनते है जो बोल नही पाते।” उक्त कथन क्षेत्र के गुलालझारिया निवासी शंकर उर्फ़ सूरदास की जिंगदी में सटीक बैठती है।खाट पर दर्द से कराह रहे सूरदास की जिंदगी में ग्रामीण युवक त्रिभुवन फरिश्ता बन कर तब आया जब शंकर उर्फ़ सूरदास खाट पर अपने बाये हाथ की टूटी हड्डी के दर्द से कराहते हुए अपने दिन गिन रहा था।त्रिभुवन ने सूरदास को उसके दयनीय हालत में कराहते हुए देखा तो उसका दिल पसीज गया।
उसने सूरदास को 3 सितम्बर को सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र दुद्धी भर्ती कराया जहाँ चिकित्सकों ने गंभीर स्थिति देखते हुए जिला अस्पताल रेफर कर दिया।जहाँ से चिकित्सकों के सुझाव पर वहाँ से भी चिकित्सकों ने ट्रामा सेंटर बीएचयू रेफर कर दिया।वहां त्रिभुवन ने ही सूरदास को ट्रामा सेंटर भर्ती कराया जहां पूरे 24 घंटे उपचार व जांच के दौरान जब राहत होते नही देखा तो उसने वाराणसी के एपेक्स अस्पताल में भर्ती कराया और आयुष्यमान कार्ड पर सूरदास का ऑपरेशन करवाया।आज को सूरदास की अस्पताल से छुट्टी भी हो रही है।
गुलालझरिया निवासी शंकर उर्फ़ सूरदास 54 पुत्र स्वर्गिय सुरजन दोनों आंखों से अंधा है।जो किसी तरह से गांव में भिक्षा मांगकर अपना जीवन यापन करता था कि 29 अगस्त की शाम भिक्षा मांगते मांगते गढ्ढे में गिर गया और उसकी बांए हाथ दो जगह से टूट गया और उसी दिन से सूरदास खाट पकड़ लिया था।सूरदास के दो लड़कियां और एक लड़का है जो क्रमशः 8 वर्ष ,5 वर्ष व 3 वर्ष के है।
ग्रामीण युवक त्रिभुवन यादव ने बताया कि
सूरदास की स्थिति के बारे में उसके परिजनों ,ग्राम प्रधान व ग्रामीणों को सूचना दिया जब कोई आगे नही आया तो उसने 24 सितम्बर को खुद पीड़ित को वाराणसी लेकर गया और वहां एक दिन ट्रामा सेंटर में उपचार कराकर राहत ना मिलता देख एपेक्स हॉस्पिटल में भर्ती कराया जहाँ विशेषज्ञों द्वारा हाथ का ऑपरेशन किया गया ।आज सूरदास को अस्पताल से छुट्टी मिलने की बात कही गयी है।
त्रिभुवन यादव युवक मंगल दल अध्यक्ष गुलालझारिया ने वार्ता में कहा कि किसी की परेशानी हमसे देखी नही जाती ,हर बेसहारों व पीड़ितों की मदद करके हमे अच्छा महसूस होता है।ग़रीबो व दिन दुखियों की सेवा ही ईश्वर की सेवा है हमसे जो सामर्थ बनता है उतना करने में पीछे नही हटते।”