सोनभद्र।राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन द्वारा संचालित उत्तर प्रदेश राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन के स्वयं सहायता समूह की महिलाओं द्वारा रविवार को विकास खण्ड चोपन में वजन दिवस के अवसर पर आंगनवाडी केन्द्र पर स्वयं सहायता समूह की महिलाओं द्वारा अपने बच्चों को लेकर वजन कराया गया,
एवं महिलाओं द्वारा बढ़ चढ कर हिस्सा लिया गया एवं बच्चों के वजन से होने वाले प्रभाव एवं दुष्प्रभाव के बारे में जाना गया।
वजन दिवस के दौरान बच्चों का वजन और ऊंचाई नापी गई और इसके महत्व के विषय में स्वयं सहायता समूह की महिलाओं को जानकारी दी गई। आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं ने वजन करने के बाद कुपोषित बच्चों को पोषक आहार देने के विषय में महिलाओं को जानकारी दी।
कुपोषित बच्चों को नियमित पोषाहार खिलाने की सलाह देते हुए आईसीडीएस के अंतर्गत दी जाने वाली पोषाहार एवं टेक होम राशन के विषय में भी बताया गया।
मिशन प्रबन्धक राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन चोपन रोहित मिश्रा ने बताया कि बच्चों में बौनापन कुपोषण की पहचान होती है। बच्चों में उम्र के हिसाब से लंबाई नहीं बढने से बौनापन होता है। इसको ध्यान में रखने हुए वजन दिवस के अवसर पर इसके महत्व को समझते हुवे स्वयं सहायता समूह की महिलाओं को प्रोत्साहित कर वजन दिवस पर ज्यादा से ज्यादा महिलाओं को अपने 6 माह से 5 वर्ष तक के बच्चों का वजन कराने के लिये आंगनवाडी केन्द्र पर भेजा गया। उम्र के अनुसार बच्चों का सही वजन जरुरी होता है। जन्म के समय जिन बच्चों का वजन 2.5 किलोग्राम से कम रहता है उन बच्चों में रोग प्रतिरोधक क्षमता कम हो जाती है।
विश्व स्वास्थ्य संगठन के मानकों के अनुसार एक औसत स्वस्थ बच्चे का वजन उसकी 3 से 7 वर्ष तक की आयु पर प्रति वर्ष 2 किलोग्राम की दर के अनुसार बढ़ता है और उसके बाद पूर्ण वयस्क होने तक प्रति वर्ष 3 किलोग्राम की दर के अनुसार बढ़ता है।