हादसों का घाट बना दुद्धी में ठेमा नदी पर बना पुल  ठेमा नदी पर बने पुल पर आज तक नहीं बन सकी है बैरिकेटिंग।

दुद्धी (भीमकुमार)। 6,788 वर्ग किमी क्षेत्रफल के साथ यह उत्तर प्रदेश का दूसरा सबसे बड़ा जिला है। यहां आज भी कई गाँव मूलभूत सुविधाओं से वंचित हैं। आदिवासी बाहुल्य क्षेत्र होने के कारण यहां पर सरकारी तंत्र भी मंद गति से कार्य करता है। इसकी बानगी यह है कि यहां ठेमा नदी पर बने पुल पर आज तक बैरिकेटिंग नहीं है। जिस कारण आए दिन यहां दुर्घटना होती रहती है। जिला मुख्यालस से लगभग 75 किमी दूर दुद्धी ब्लॉक क्षेत्र के दुद्धी-अमवार संपर्क मार्ग में बने ठेमा नदी पुल पर आज तक बैरिकेटिंग नहीं होने से खतरे की संकट मंडराया रहता है। जिसको अख़बार के माध्यम से कई बार प्रकाशित किया गया फिर भी किसी प्रकार की कार्यवाई नहीं हुई। इससे पहले इस पुल पर कई बार सड़क हादसे हो चुके है, जिससे कई लोगों की मौत भी हो चुकी है, लेकिन प्रशासन का कोई असर नहीं पड़ा। यह संपर्क मार्ग अमवार से होते हुए छत्तीसगढ़ जाती है। अधिकांश लोग इस रास्ते से आदिवासी लोग शराब पीकर चलते हैं। कब इसके शिकार हो जाये कोई ठिकाना नही। इस रास्ते से होकर स्थानीय विधायक, सांसद और अधिकारी सब लोगों का आना जाना लगा रहता है। फिर भी किसी को भी यह समस्या नजर नहीं आती है। इस सड़क के पुल पर आज तक कभी विभाग के द्वारा बैरिकेटिंग बना ही नहीं जो आज तक अधूरा ही रह गया है। न ही शासन और न ही प्रशासन ने इस पर बैरिकेटिंग बनाने की सुध ली। स्थानीय निवासी और दुद्धी ब्लॉक के ग्राम प्रधान संघ अध्यक्ष हरिशंकर यादव बताते हैं, “ठेमा नदी पुल के बैरिकेटिंग के मामले को कई बार तहसील दिवस में उठाया गया। पर कोई कार्यवाई नहीं हुई।” वहीं हरिहर यादव बताते हैं, “ग्रामीणों की मदद से इस पुल पर कई बार उखड़े हुए रोड की मरम्मत करायी गयी। प्रशासन और शासन सब एक तरह के बात बोल कर टाल जाते हैं।”

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