हज रवानगी की पूर्वसंध्या पर सजी महफिले मिलाद की महफ़िल

मुल्क में अमनो शांति व तरक्की की हुई खास दुआ
दुद्धी, सोनभद्र। हज 2019 की मुक़द्दस सफर पर सोमवार 29 जुलाई को रवानगी की पूर्वसंध्या पर नगर में एक बेहतरीन महफिले मिलाद का आयोजन किया गया। कादरिया ग्रुप के संस्थापक हजरत नसीरे मिल्लत के आवास पर आयोजित इस खास बज्म में दुद्धी व आसपास के ग्रामीण अंचलों सहित रेनुकूट, खड़िया, भदोही के अलावा बिहार, छत्तीसगढ़ एवं झारखंड राज्य के हजरत से निस्बत रखने वाले भारी संख्या में अकीदतमंदों ने शिरकत किया। कार्यक्रम के आरंभ में दारुल उलूम कादरिया नूरिया अरबी महाविद्यालय के खास मुदर्रिस मौलाना नजीरुल कादरी ने हज के उन्वान पर तफ्सील से बयान किया। हज के दौरान पूरे किए जाने वाले अरकान व सफ़रे हज बरती जाने वाली सावधानियों को बयान करते हुए खाने काबा का तवाफ़ और हुज़ूर सल्ललाहो अलैहे वसल्लम के दरबार में महफ़िल में उपस्थितजनों का सलाम अर्ज करने की अपील की। अरबी महाविद्यालय के उप संस्थापक व हजरत के साहबजादे हाफिज मसऊद रज़ा ने “शुक्रे खुदा की आज उस घड़ी की है” जैसा नात पढ़कर महफ़िल में उपस्थित लोगों की आंखे नम कर दी। बात दें कि हज 2019 के सफ़र पर हजरत उनकी धर्मपत्नी और साहबजादे हाफ़िज़ मसऊद रज़ा को भी जाना था मगर एक सड़क दुर्घटना में चुटहिल होने के बाद हाफिज मसऊद रज़ा को अपना कार्यक्रम स्थगित करना पड़ा। इस साल हजरत नसीरे मिल्लत के साथ उनकी अहलिया, हाजी कारी उस्मान साहब व दो अन्य छत्तीगढ़ के हाजी साहबान तशरीफ़ ले जा रहे हैं। कार्यक्रम में हाजी कारी उस्मान साहब ने
“जितनी तलब थी उसे सिवा ही बना दिया
मौला ने मुझको मुस्तफ़ा का सिपाही बना दिया
नाते रसूल पढ़ने की बरकत तो देखिए,
रब ने मुझे मदीने का राही बना दिया। जैसी नात जब पढ़ा तो लोगों के नारे तकबीर अल्लाहो अकबर, नारे रिसालत या रसूलल्लाह जैसे इस्लामी नारों से कार्यक्रमस्थल गुंजायमान हो उठा। अंत में हजरत की रूहानी दुआख्वानी में जो लोग उनसे दुआ की तवक्को किये हैं, उनके दिलों की जायज़ मुरादों को पूरी करने, कादरिया इदारों की तरक्की, ताजोशरिया काम्पलेक्स निर्माण का काम अंजाम तक पहुंचने, दुद्धी सहित मुल्क में अमन, तरक्की व खुशहाली कायम होने के साथ हर मोमिन को हज की तौफीक अता करने की दुआख्वानी की गई। इस अवसर पर रेनुकूट के हाजी फ़क़ीर अली, हाजी ओबैदुल्लाह अंसारी, हाजी डॉ ऐनुलहुदा, मौलाना महमूद, हाफिज सईद अनवर, हाफिज तौहीद, मौलाना गुलाम सरवर, कौनेन अली सहित भारी संख्या में लोग मौजूद थे।

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