
बेरोजगारी भत्ता से युवाओ की समस्या का हल हल नही
बनवासी सेवा आश्रम में चौथी औधौगिक क्रांति पर परिचर्चा
म्योरपुर (विकास अग्रहरि)।
बनवासी सेवा आश्रम में आयोजित चौथी औधौगिक क्रांति के खतरे और सावधानियां पर परिचर्चा के दौरान आर्थिक विशेषज्ञों का मत है कि हर हाथ को काम और हर खेत को पानी से बेरोजगारी कम की जा सकती है।प्रो0रविन्द्र ने कहा कि विदेशों में बेरोजगारी भत्ता का मिला जुला असर देखने को मिल रहा है। अपने देश मे बेरोजगारो को भत्ता देने के बजाय रोजगार सृजन की जरूरत है।सवाल उठाया कि जब सारे काम मशीनें करेंगी और सभी को बैठा कर पैसा घर बैठे मिलेगा तो उससे समाज मे क्या असर पड़ेगा।कहा कि कुछ लोग ही संस्कृति और मानवीय मूल्यों पर काम करेंगे बाकी नशाखोरी ,लूट ,और अन्य अपराधों में शामिल हो जाएंगे।कहा कि सबसे ज्यादा बेरोजगारी स्नातक इंजीनियरिंग वालो में है कम पड़े लिखे लोग कम बेरोजगार है।मतलब की हमारी शिक्षा ब्यवस्था ठीक नही है। केवल नौकरी से समस्या का हल नही निकलने वाला है। क्योंकि आने वाले समय मे 80 फीसदी काम मशीनें करेंगी।युवाओ का आह्वान किया कि वे हम इतना पढ़े है तो श्रम कैसे करे।इस मानसिकता में बदलाव लाये। प्रख्यात गांधी विचारक डॉ सुगन बरण्ठ ने कहा कि बनवासी सेवा के ग्राम स्वराज्य की पद्धति एक नई दिशा दे सकती है।गांधी के सपनो का का ग्राम स्वराज्य में समस्याओं का हल है। और सौ साल बाद दुनिया के अनेक देश आगे की राह के लिए गांधी के सोच में जीवन मार्ग की तलाश कर रहे है।
क्योंकि आगे का जो रास्ता है वहा जीवन मूल्य खत्म करने वाला है। कहा कि देश गांधी का 150 जन्म दिन वर्ष मना रहा है ।युवाओ को इस पर विचार करना चाहिए । मौके पर केवला दुबे,रघुनाथ, राम जतन,शुक्ला, लक्ष्मण,उमेश चौबे, देवनाथ, मान मति ,भोला मुल्की,यज्ञ नारायण अजय झा आदि शामिल रहे।
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