आदिवासी किसानों के हुए उभा नरसंहार के खिलाफ स्वराज इंडिया ने किया प्रदर्शन

आठ सूत्री मांगपत्र जिला प्रशासन को दिया
भूमि आयोग का हो गठन
न्यायिक जांच, पीड़ितों को जमीन की उठाई मांग
आदिवासियों पर लगा गुण्ड़ा एक्ट हो खत्म
जमीन का सवाल हल करके ही लायी जा सकती है शांति – राजेश सचान

सोनभद्र, 25 जुलाई 2019, उभा नरसंहार की न्यायिक जांच कराने, ट्रस्ट की जमीन अधिगृहित कर उभा के ग्रामीणों में वितरित करने, नरसंहार में मृतकों के आश्रित को सरकारी नौकरी देने, भूमि आयोग का गठन करने, वनाधिकार कानून के तहत पट्टा देने, भूमि विवादों के निस्तारण हेतु फास्ट टैªक कोर्ट गठित करने, आदिवासियों व उनके नेताओं पर लादे गुण्ड़ा एक्ट के मुकदमें वापस लेने, धांगर को एससी का जाति प्रमाण पत्र जारी करने, कोल को आदिवासी का दर्जा देने, सीएम की घोषणा के अनुसार जनपद के टांगापाथर, झिल्ली महुआ, चेरी समेत सभी वन ग्रामों को राजस्व ग्राम घोषित करने सम्बंधी आठ सूत्री मांग पत्र आज जिला मुख्यालय पर प्रदर्शन कर स्वराज इंडिया व मजदूर किसान मंच द्वारा एसडीएम सदर को सौंपा गया। डीएम को सम्बोधित मांगपत्र को लेते हुए एसडीएम सदर ने आश्वस्त किया कि जिलास्तर की मांगों पर कार्यवाही की जायेगी और शासनस्तर के सवालों पर सरकार को अवगत कराते हुए न्याय दिलाया जायेगा। प्रदर्शन में सैकड़ों की संख्या में स्वराज कार्यकर्ता उपस्थित रहे। इस मौके पर हुई सभा की अध्यक्षता स्वराज अभियान के जिला संयोजक कांता कोल ने और संचालन कृपाशंकर पनिका ने किया।

सभा को सम्बोधित करते हुए स्वराज इंडिया की राज्य समिति सदस्य राजेश सचान ने कहा कि सोनभद्र, मिर्जापुर और चंदौली जमीन के सवाल पर आंदोलन, हिंसा और दमन के गवाह रहे है। यहां प्रशासनिक अधिकारियों और राजनेताओं के फर्जी ट्रस्टों और मठों ने अवैध रूप से ग्राम सभा की जमीनों पर कब्जा कर रखा है। यहां के बड़े कारपोरेट घरानों ने वन व ग्रामसभा की जमीनें हड़पी हुई है। इस क्षेत्र में एक दोना भात खिला कर सर्वे संेटंलमेंट में आदिवासियों की जमीनें छीन ली गयी। वनाधिकार कानून को लागू करने की जगह इसके लाभ से आदिवासियों व वनाश्रितों को वंचित करने के लिए प्रशासन पूरी ताकत से लगा है। हालत इतनी बुरी है कि माननीय उच्च न्यायालय के वनाधिकार कानून में पुर्नसुनवाई के आदेश के बाद दावाकर्ताओं के हजारों प्रत्यावेदन तहसीलों में पड़े है इन्हें विधि के अनुरूप निस्तारित करने की जगह आदिवासियों व वनाश्रितों को वन विभाग खेती करने से रोक रहा है जबकि कानूनन जमीन पर उनका अधिकार है।
स्वराज नेता ने कहा कि उभा नरसंहार ने एक बार फिर यह दिखाया है कि जमीन के सवाल को हल करके ही सोनभद्र, मिर्जापुर व चंदौली के पूरे क्षेत्र में शांति को स्थापित किया जा सकता है। इसलिए सरकार को तत्काल विकास, रोजगार और सामाजिक न्याय की कुंजी भूमि के सवाल के हल के लिए भूमि आयोग का गठन करना चाहिए। यह आयोग ट्रस्टों, मठों द्वारा फर्जी तरीके से कब्जा की गयी ग्रामसभा की जमीन अधिगृहित करे और इन जमीनों समेत ग्रामसभा की फाजिल जमीनों को गांव के गरीबों में वितरित करने के लिए काम करें, वनाधिकार कानून का कड़ाई से अनुपालन सुनिश्चित किया जाए। सभा को मजदूर किसान मंच के जिला संयोजक राजेन्द्र प्रसाद गोंड़, आदिवासी वनवासी महासभा के नेता कृपाशंकर पनिका, पूर्व बीडीसी रामदास गोंड, जितेन्द्र धांगर, मंगरू प्रसाद गोंड़, सेवालाल कोल, रामदेव गोंड़, मुकेश मिंज, महेन्द्र प्रताप सिंह, मनोज भारती, केशों मौर्य ने सम्बोधित किया।
कांता कोल
जिला संयोजक
स्वराज अभियान, सोनभद्र।

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