
हेल्थ डेस्क
लंदन में पाकिस्तान मे जन्म से ही आपस में जुड़ी पाकिस्तान की 2 साल जुड़वा बच्चियों सफा और मारवा उल्लाह को ऑपरेशन से अलग कर लिया गया है। लंदन के ग्रेट ऑरमोंड स्ट्रीट हॉस्पिटल में 55 घंटे तक चले ऑपरेशन के बाद दोनों स्वस्थ हैं। इन बच्चियों के कुल तीन ऑपरेशन किए गए। दोनों बच्चियों के दिमाग और रक्त वाहिकाएं आपस में उलझी हुई थीं।डॉक्टरों ने ऑपरेशन सेपहले 3डी प्रिंटिंग के जरिए इसकी पेचीदगी को समझा था।19 महीने की उम्र में पहला ऑपरेशन पाकिस्तान के चरसद्दा की जुड़वा बच्चियों का जन्म सिजेरियन डिलीवरी से हुआ था। पहला ऑपरेशन अक्टूबर 2018 में किया गया था। उस समय उसकी उम्र महज 19 महीने की थी। पूरी तरह से अलग करने के लिए आखिरी ऑपरेशन 11 फरवरी 2019 को किया गया था।जांच मेंसामने आया था कि बच्चियों की खोपड़ी और रक्तवाहिनियां आपसमें उलझी हैं। बच्चियों की सुरक्षित सर्जरी करने के लिए डॉक्टरों ने इस स्थिति का 3डी प्रिंटिंग की मदद से समझा। इसके लिए उन्होंने एक रेप्लिका तैयार की।ऐसे हुई सर्जरीसर्जरी के दौरान डॉक्टरों ने पहले दिमाग में उलझी हुई रक्त वाहिनियों को अलग किया। जांच में सामने आया था कि सिर में दो मस्तिष्क हैं, जो आपसे में जुड़े हैं।डॉक्टरों के मुताबिक, सर्जरी के दौरान मारवा को बचाना मुश्किल हो रहा था, क्योंकि उसकी हार्ट बीट कम हो रही थी। सफा की रक्तवाहिनी से ही मारवा को बचाया गया, जिसका नतीजा ये रहा कि सफा को सर्जरी के 12 घंटे बाद ही स्ट्रोक झेलना पड़ा।सिर के हिस्से को आकार देने के लिए बच्चियों की ही हड्डियों का इस्तेमाल किया गया है। इसके अलावा ऐसे ऊतकों का इस्तेमाल किया गया जो भविष्य में स्किन के साथ बढ़ते रहेंगे और सिर को वास्तविक आकार देंगे।सर्जरी का पूरा खर्च एक प्राइवेट डोनर ने उठाया है। ऑपरेशन में हॉस्पिटल के करीब 100 कर्मचारी शामिल रहे।बच्चियों की मां ज़ैनब बीबी का कहना है, अस्पताल और उनके सभी कर्मचारियों ने जो किया मैं हमेशा उनकी कर्जदार रहूंगी।” दोनों बच्चियों को 1 जुलाई को अस्पताल से छुट्टी दे दी गई। जो अपनी मां और दादा के साथ फिलहाल लंदन में ही हैं। बच्चियों को कुछ समय तक फिजियोथैरेपी और देखरेख के लिए बुलाया जाएगा।25 लाख में एक होता है ऐसा मामला सर्जरी न्यूरोसर्जन नूर-अल ओवेसी जिलानी, प्रो. डेविड डूनोवे और टीम ने मिलकर की है। हॉस्पिटल की ओर से जारी बयान के मुताबिक, हम काफी खुश हैं कि सफा और मरवा की मदद करने में सफल रहे। पिछले 10 महीनों तक चला इलाज और सर्जरी काफी चुनौतीपूर्ण रही। यह एक दुर्लभ मामला था, 25 लाख में से एक जुड़वा बच्चा ऐसा होता है।सौजन्य भाष्कर न्यूज़।
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