चुनाव याचिका का आधार मायावती द्वारा 7 अप्रैल 2019 को देवबंद की चुनावी रैली में दिए गए भाषण को बनाया है
प्रयागराज। पूर्व सांसद राघव लखनपाल शर्मा इलाहाबाद हाईकोर्ट में चुनाव याचिका दायर करके सहारनपुर के सांसद हाजी फजलुर्रहमान के निर्वाचन को चुनौती दी है। उन्होंने शनिवार को अधिवक्ता चंद्रशेखर शर्मा व अजय कुमार शर्मा के माध्यम से शनिवार को रजिस्ट्रार जनरल के समक्ष दाखिल चुनाव याचिका का आधार मायावती द्वारा 7 अप्रैल 2019 को देवबंद की चुनावी रैली में दिए गए भाषण को बनाया है।
कहा गया है कि देवबंद में मुस्लिमों की घनी आबादी है। साथ ही इस्लामी शिक्षा का विश्व प्रसिद्ध केंद्र “दारुल-उलूम” भी है। एक बड़ी मुस्लिम आबादी वाले क्षेत्र में यह रैली आयोजित करके और मंच से घृणास्पद भाषण देने पर जो मुस्लिम मतदाताओं का ध्रुवीकरण करने के लिए एक पूर्व निर्धारित साज़िश के तहत यह रैली की गई। राघव लखनपाल ने आरोप लगाया है कि रैली के मंच पर बसपा सुप्रीमो मायावती, सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव, अजीत सिंह, मलूक नागर, हाजी फ़ज़लुर्रहमान, आकाश आनंद, सतीश मिश्र और जयंत चौधरी थे। आरोप है कि इस रैली में बसपा सुप्रीमो मायावती ने घृणा भाषा का प्रयोग किया जबकि हाजी फ़ज़लुर्रहमान ने बसपा सुप्रीमो मायावती के भाषण की सराहना करते हुए मंच साझा किया। बसपा सुप्रीमो मायावती ने जानबूझकर चुनाव में ध्रुवीकरण करने के एकमात्र इरादे के साथ घृणा भाषण दिया।
राघव लखनपाल ने यह भी कहा है कि चुनाव आयोग ने अभद्र भाषा का संज्ञान लिया और मायावती को कारण बताओ नोटिस जारी किया। मायावती ने नोटिस का जवाब दिया। चुनाव आयोग ने जवाब पर विचार के बाद फैसला किया कि इस भाषण राजनीतिक दलों और अभ्यर्थियों के मार्गदर्शन के लिए “आदर्श आचार संहिता” का ‘सामान्य आचरण’ का हिस्सा, जो जातिगत और सांप्रदायिक भावनाओं पर रोक लगाता है और अभिराम सिंह के केस में सर्वोच्च न्यायालय के फ़ैसले का उल्लंघन है। इसी के साथ आयोग ने मायावती पर 48 घंटे के लिए किसी भी सार्वजनिक बैठक, सार्वजनिक जुलूस, सार्वजनिक रैलियों, रोड शो और साक्षात्कार आदि पर रोक लगा दी थी।
राघव लखनपाल ने याचिका में यह। आरोप भी लगाया है कि प्रचार के दौरान हाजी फ़ज़लुर्रहमान का आचरण, भाषण और विशेष रूप से रैली के दौरान जब उन्होंने मायावती के साथ मंच साझा किया, मायावती का नफरत भरा भाषण जिसमें वह अपने मुस्लिम उम्मीदवार के पक्ष में मुस्लिम वोटों का ध्रुवीकरण करने का उद्देश्य एक भ्रष्ट आचरण है। याचिका में आरोप है कि यदि क़ानून व संविधान का उल्लंघन करने वाला जातिगत आधार पर वोट करने की यह अपील ना की गई होती, तो मुस्लिम वोटों का बसपा के उम्मीदवार के पक्ष में ध्रुवीकरण नहीं होता और याची राघव लखनपाल शर्मा को जीत हासिल होती।
यह भी कहा गया है कि 2014 के लोकसभा चुनाव में बसपा उम्मीदवार जगदीश राणा को देवबंद विधानसभा में केवल 46101 वोट मिले थे, जबकि 2019 में बसपा उम्मीदवार हाजी फ़ज़लुर्रहमान को 109028 वोट मिले। बसपा के वोटों में यह वृद्धि पूरी तरह से घृणास्पद भाषण के कारण हुए मुस्लिम वोटों के ध्रुवीकरण के कारण हुई थी । हाजी फ़ज़लुर्रहमान द्वारा किए गए भ्रष्ट आचरण के आधार पर राघव लखनपाल ने सहारनपुर से निर्वाचित सांसद हाजी फ़ज़लुर्रहमान की संसद से सदस्यता निरस्त करने और याची राघव लखनपाल को सहारनपुर लोकसभा क्षेत्र का विधिवत सांसद घोषित करने की मांग की है।