एनसीएल के खदानों में तैनात सुरक्षा प्रहरी कम्पनी हिमांशु रत्नागिरी द्वारा पिछले 4 महीने से वेतन का भुगतान नही किया गया
पीएफ नंबर पिछले 1 साल से नही दिया गया है।
सुरक्षाकर्मीयों द्वारा एनसीएल खड़िया परियोजना प्रबंधन को ज्ञापन देकर बैठे धरने पर
प्रबंधन द्वारा अभी ठोस कार्यवाही नही
शक्तिनगर।(मनोज सोनी ) ।शक्तिनगर थाना अंतर्गत एनसीएल खड़िया परियोजना में कार्यरत हिमांशु रत्नागिरी कम्पनी सिक्योरिटी का कार्य कर रही है| टेंडर प्राप्त कंपनी हिमांशु रत्ना द्वारा सुरक्षा के दायित्व का काम पेटी पर दिया गया है| कई बार पेटी कांटेक्टर बदलने के बाद पिछले माह फरवरी से अभी तक सुरक्षाकर्मियों का भुगतान नहीं किया गया है| जिससे सुरक्षाकर्मियों में काफी रोष बयाप्त है। सुरक्षाकर्मियों का आरोप है कि प्रबंधन द्वारा पिछले 4 माह से वेतन भुगतान न दिये जाने से हम सब भुखमरी के कगार पर है। फौजी व सुरक्षागार्ड देश विभिन्न कोनों से जैसे बिहार, झारखंड, उत्तराखंड, नेपाल से आकर लोग यहां एनसीएल परियोजना के अंदर कार्य कर रहे है| पेटी कांट्रेक्टर द्वारा पिछले 4 महीने से वेतन का भुगतान न करने के कारण सुरक्षागार्डों के हौसले पस्त हो गए हैं और सुरक्षागार्डो के परिवार की स्थिति पतली हो गई है|
सुरक्षाकर्मियों द्वारा बताया गया कि पेटी कांट्रैक्टर इससे पूर्व में भी किसी का सुरक्षा एजेंसी लेकर चला रहे थे, वहां भी सुरक्षा गार्डों का भुगतान समय से नहीं दिया जा रहा था| खदान के अंदर बड़े पैमाने पर अवैध कबाड़ी डीजल चोरी जैसे कार्यो मे संलिप्तता उजागर होती रही है| सूत्रों की माने तो एनसीएल परियोजनाओं के अंदर आए दिन डीजल कबाड़ी चोरी का कार्य बड़े पैमाने पर चलता है| कुछ हद तक सुरक्षाकर्मी द्वारा कबाड़ीयो पर नकेल कसा जाता था परंतु आज से सुरक्षाकर्मी अपनी ड्यूटी पर नहीं जाएंगे तो सोचिए एनसीएल परियोजना के अंदर करोड़ों का का हेरा फेरी हो सकता है|
सुरक्षा कर्मियों का कहना है कि किसी को 10000 किसी को 19000 वेतन दिया जाता किसी से 8 घंटे किसी से 12 घंटे ड्यूटी कराई जाती है| इस आंदोलन में लगभग 200 सुरक्षाकर्मी आज से स्ट्राइक पर हैं अरुण पांडे एक्समेन राघवेंद्र प्रजापति, नंदराय गिरी, अमर बहादुर थापा, जीत बहादुर सुनार, भरत बहादुर, बलबीर पांडे, आशीष पांडे, प्रकाश चंद, नागेश्वर लगभग सैकड़ों लोग आज शनिवार से एनसीएल माइंस के अंदर तैनात नहीं रहेंगे| अब देखना यह है कि क्या एनसीएल के आला अधिकारी इन पेटी कांट्रेक्टर को पर कोई उचित या ठोस कार्रवाई करते हैं? या ऐसे ही सुरक्षाकर्मियों या फौजियों का शोषण होता रहेगा?