पूर्व में भी अवैध वसूली की लौटा चुका है रकम दुद्धी सोनभद्र। स्थानीय सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में तैनात एक फार्मासिस्ट द्वारा मेडिको लीगल बनाने के नाम पर 15 सौ रुपए अवैध वसूली का मामला प्रकाश में आया है। पीड़ित बलवंत कुमार 30 वर्ष पुत्र बद्री प्रसाद निवासी राम चंद्रपुर छत्तीसगढ़ ने बताया कि वह 13 तारीख को सनावल अपने दोस्त को लेने अपनी होंडा मोटरसाइकिल से दुद्धी आ रहा था। अमवार पुलिस चौकी के करीब 200 मीटर आगे बढ़ते ही एक मोड़ पर विपरीत दिशा से आ रही तेज रफ्तार टाटा मैजिक यूपी 64 ए टी 1859 ने जोरदार टक्कर मार दिया, जिससे बलवंत के बाएं हाथ सहित शरीर में गंभीर चोटें आई। तत्काल बलवंत ने रिपोर्टिंग चौकी अमवार पर इसकी सूचना दी जिस पर सक्रिय पुलिस टाटा मैजिक को पकड़कर चौकी परिसर में लाकर खड़ा कर दिया तथा बलवंत से पहले अपना इलाज कराने के बाद एफआईआर दर्ज कराने की बात कही। बलवंत दुद्धी स्थित सीएचसी पर जाकर ड्यूटी पर तैनात फार्मासिस्ट संजय श्रीवास्तव से मिलकर उपचार करने व मेडिकल बनवाने का आग्रह किया। फार्मासिस्ट ने प्राइवेट मेडिकल बनाने के नाम पर 2000 रुपये की मांग की। इस दौरान चिकित्सक विनोद सिंह को चोट दिखाने पर बाएं हाथ में फ्रेक्चर की आशंका व्यक्त करते हुए केंद्र में रेडियोलॉजिस्ट न होने का हवाला देते हुए उसे जिला अस्पताल के लिए रिफर कर दिया। 14 जून को बलवंत जिला अस्पताल पहुंचकर अपना एक्सरे कराया और फैक्चर होने की दशा में वहां पर मौजूद चिकित्सकों द्वारा निशुल्क प्लास्टर भी किया गया। दुद्धी कोतवाली में प्राथमिकी दर्ज कराने के उपरांत मेडिकल बनवाने के लिए जब वह 15 जून को पुनः सामुदायिक स्वास्थ्य पहुंचा तो ड्यूटी पर तैनात फार्मासिस्ट संजय श्रीवास्तव ने उससे फिर वही ₹2000 की मांग की। बलवंत द्वारा काफी हाथ-पैर जोड़ने के बाद 15 सौ रुपए की अदायगी की गई। फार्मासिस्ट ने चिकित्सक विनोद सिंह से उसका मेडिकल बनवाया। मजेदार बात तो यह है 1 दिन पहले 14 जून को बलवंत का जिला अस्पताल में एक्सरे व प्लास्टर होने के बाद दूसरे दिन 15 जून को दुद्धी के चिकित्सक द्वारा जारी मेडिकल सर्टिफिकेट में उसे जिला अस्पताल के लिए रेफर किया जा रहा है, जो अपने आप मे संदेह लिए प्रतीत होता है। विदित हो कि मेडिकल के नाम पर अवैध वसूली का अड्डा बन चुके इस सीएचसी में इसी फार्मासिस्ट द्वारा कुछ दिन पहले 15 सौ की अवैध वसूली की गई थी जिसपर हो हल्ला मचने व अखबारों तथा सोशल मीडिया पर खबर वायरल होने के बाद उसने रकम लौटाई थी। मेडिकल के नाम पर लोगों की मजबुरी का फायदा इस प्रकार के कर्तव्यहीन स्वास्थ्यकर्मी कब तक उठाते रहेंगे, यह विकसित समाज के लिए बहुत बड़ा प्रश्न है।