खेल डेस्क. पर्थ में जीत हासिल कर ऑस्ट्रेलिया ने टेस्ट सीरीज 1-1 से बराबर कर दी है और मुकाबला कड़ा हो चला है। मेरा मानना है कि इसके साथ ऑस्ट्रेलिया का पलड़ा भारी हो गया है। दूसरे टेस्ट में ऑस्ट्रेलियाई टीम 146 रन से जीती और कम स्कोर वाले मैच में यह अंतर काफी बड़ा कहा जाएगा। इसलिए अब मोमेंटम अब ऑस्ट्रेलिया के साथ है।
पर्थ में टीम का चयन सही नहीं था
भारत को एक टीम के तौर परे एकजुट होना होगा और विराट कोहली को अपनी रणनीति पर विचार करना होगा। न सिर्फ टीम सेलेक्शन में बल्कि गेंदबाजी में बदलाव और फील्ड प्लेसमेंट पर भी। पर्थ में भारत की हार के कई कारण रहे। इनमें टॉस हारना, विराट का विवादास्पद तरीके से आउट होना और काफी लंबी टेल शामिल है। लेकिन, सबसे महत्वपूर्ण टीम चयन है।
कई आलोचकों के मुताबिक चार तेज गेंदबाजों का चयन भारी गलती थी। लेकिन, क्या ऐसा कहना सही है? अगर भारतीय टीम ने जडेजा को मौका दिया होता या उमेश के स्थान पर भुवनेश्वर कुमार खेलते तो क्या वे गेंदबाजी के लिए मददगार पिच पर मैच जीतने के लिए जरूरी 147 रन और बना पाते। मुझे इस पर संदेह है।
लियोन इतिहास के सर्वश्रेष्ठ स्पिनरों में से एक
नाथन लियोन की सफलता को अलग नजरिए से देखने की जरूरत है। यह ऑफ स्पिनर अपने करिअर के चरम पर है। अब वे इतिहास के सर्वश्रेष्ठ गेंदबाजों में से एक माने जाते हैं। उन्होंने हर तरह की परिस्थितियों में सफलता हासिल की है और मौजूदा ऑस्ट्रेलियाई आक्रमण में सबसे खतरनाक हैं। मेरे विचार से भारत की मुख्य समस्या बल्लेबाजी ही है। लंबी टेल को दोष देना भी बहुत उचित नहीं है।
ओपनर्स और नीचले क्रम के बल्लेबाज फेल
वास्तव में भारतीय बल्लेबाजी क्रम में दोनों छोर पर टेल है, क्योंकि ओपनर बुरी तरह फेल रहे हैं। पर्थ में भारत की हार की मुख्य वजह यही रही। गेंदबाज पिच की वजह से लाइमलाइट में थे। लेकिन, पहली पारी में हैरिस और फिंच की शतकीय साझेदारी काफी महत्वपूर्ण रही। दोनों ही बल्लेबाज टेस्ट क्रिकेट में अनुभवी नहीं है। इसकी बदौलत ऑस्ट्रेलियाई टीम 326 रन का स्कोर खड़ा कर पाई।
कोहली ने ही सिर्फ निरंतरता दिखाई
विराट कोहली को छोड़ दें तो भारत की फ्रंट लाइन बल्लेबाजी लचर रही। इस साल हुए मैचों से यह स्पष्ट हो गया है कि अगर नियमित तौर पर 340-350 रन नहीं बनते हैं तो विदेशी परिस्थितियों में जीत हासिल करना लगभग असंभव होगा। टॉप ऑर्डर में सिर्फ कोहली ने ही निरंतरता दिखाई है। उन्होंने इस साल 1200 टेस्ट रन बनाए हैं। पुजारा ने कुछ पारियां अच्छी खेली हैं लेकिन, उनमें निरंतरता नहीं। रहाणे ने छिट-पुट अच्छा प्रदर्शन किया है।
गेंदबाज शानदार प्रदर्शन कर रहे हैं और इस साल 13 में से 11 टेस्ट में विपक्षी टीम को दो-दो बार ऑलआउट किया है। लेकिन, एक ही बल्लेबाज के अच्छा खेलने से गेंदबाजों की मेहनत जीत नहीं दिला पाएगी। अगर अन्य बल्लेबाज अच्छा नहीं खेले तो यह सीरीज भी भारत के लिए निराशा के साथ खत्म हो सकता है।
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