लाइफस्टाइल डेस्क. वैज्ञानिकों ने गुब्बारे जैसा दिखने वाला ऐसा प्लेन बनाया है जो हवा से भी हल्का है। हाल ही में पहली बार इसकी टेस्टिंग की गई है।इसकी टेस्टिंग 120 मीटर की दूरी के बीच की गई है। वैज्ञानिकों का कहना है कि प्लेन में हीलियम गैस का इस्तेमाल किया गया है। जिसके कारण इसका अंदरूनी हिस्सा गुब्बारे जैसा हो गया है। गैस के कारण यह हवा से भी हल्का होने से यह ऊपर की ओर उड़ान भरता है।
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यह प्लेन बयोन्सी प्रोपल्शन तकनीक पर काम करता है जो इसे लगातार आगे बढ़ाने का काम करता है। इस तकनीक का इस्तेमाल खासतौर पर पानी के अंदर चलने वाले जहाजों में किया जाता है। इसका नाम फीनिक्स रखा गया है। इसे स्कॉटलैंड के वैज्ञानिकों ने बनाया है।
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यह अपनी फ्रीक्वेंसी के कारण एयरोप्लेन की तरह हवा में उड़ता है लेकिन इसे बहुत ज्यादा ऊपर और नीचे नहीं किया जा सकता है। इसे तैयार करने वाले वैज्ञानिकों के मुताबिक, इसमें इंजन नहीं लगाया गया है और लगातार लंबे समय तक आगे बढ़ने सक्षम है। उनका दावा है कि यह सैटेलाइट भेजने का सबसे सस्ता विकल्प हो सकता है।
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प्लेन में एक बैग भी दिया गया है। जिसका इस्तेमाल इसे जमीन पर उतारने के लिए किया जाता है। उड़ान के दौरान इसे खोलने पर इसमें हवा भर जाती है और प्लेन धीरे-धीरे भारी होने के कारण जमीन पर उतरने लगता है। इस खूबी के कारण यह हवा में ऊपर या नीचे ले जाने की बजाय सीधे उड़ान भरने में समर्थ है।
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इसकी लंबाई 15 मीटर और पंखों की चौड़ाई 10.5 मीटर और वजन 120 किलो है। यूनिवर्सिटी ऑफ हाईलैंड एंड आईलैंड के प्रो. एंड्रयू रे के मुताबिक, हवा से हल्का और हवा से भारी रहकर दो तरह से काम करता है। हवा ही उड़ने और लैंडिंग में मदद करती है। इसमें बैटरी के तौर बेहद हल्के और आसानी से मुड़ने वाले सोलर सेल्स का प्रयोग किया गया है जिसे इसे पंखों और पिछले हिस्सों में लगाया गया है। इनकी मदद से प्लेन में लगे पंप और वॉल्व को एनर्जी मिलती है।
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वैज्ञानिकों के मुताबिक, इसकी तकनीक को समझने और यह कैसे बेहतर काम कर सकता है, यह अध्ययन करने में तीन साल का समय लगा है। वैज्ञानिक अब प्लेन बनाने वाली कंपनियों के साथ मिलकर इसे और भी विकसित बनाने की योजना बना रहे हैं।