पवन सिंह ठाकुर,बैतूल.मध्यप्रदेश में बैतूल जिले का भंडारपानी गांव। यहां की आबादी 500 है। यह 1800 फीट ऊंचे पहाड़ी पर बसा है। यहां झोपड़ी में एक स्कूल है, वह भी सिर्फ पांचवीं तक। इसलिए बच्चों को आगे की पढ़ाई के लिए दूसरे गांव में जाना पड़ता है। लेकिन वहां पहुंचने के लिए उन्हें करीब 3 घंटे का समय लगता है।
इस समस्या को दूर करने के लिए गांव के 20 लोगों ने बारी-बारी 45 दिन श्रमदान किया और पहाड़ी तोड़कर 3 किमी लंबा रास्ता बना दिया। अब बच्चे महज 30 मिनट में स्कूल पहुंच रहे हैं। ग्रामीण बताते हैं कि यह गांव 19 साल पहले इस पहाड़ी पर बसा था। इस कारण यहां मूलभूत सुविधाओं की कमी है।
पहाड़ी पर रहने वाले सभी परिवार आदिवासी हैं
घोड़ाडोंगरी इलाके के तहसीलदार सत्यनारायण सोनी ने बताया कि यहां रहने वाले सभी परिवार आदिवासी हैं। यदि वे आबादी वाले क्षेत्र में बसना चाहते हैं तो उन्हें बसाने के प्रयास किए जाएंगे। उधर, ग्रामीण बताते हैं कि बच्चे अभी तक 5वीं से आगे नहीं पढ़ पाते थे। इमली खेड़ा गांव जाने के लिए घना पहाड़ी रास्ता है। यहां वन्य जीवों का डर रहता है। बच्चों के भविष्य के लिए गांव वालों की एक बैठक होनी है। इसमें पहाड़ी छोड़कर नीचे बसने पर फैसला किया जाएगा।
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