खेल डेस्क. पिछले हफ्ते लगातार ये डिबेट होती रही कि भारत को वर्ल्ड कप में पाकिस्तान से खेलना चाहिए कि नहीं? आखिरकार बीसीसीआई-सीओए ने फैसला भारत सरकार पर छोड़ दिया है। सीओए ने तो शुक्रवार को करीब 3 घंटे तक इसी मसले पर बैठक की। लेकिन कोई ठोस नतीजा नहीं निकल सका। सीओए के प्रमुख विनोद राय ने भी कह दिया है कि पाकिस्तान से खेलने के मामले में सरकार की सलाह पर फैसला किया जाएगा।
ये तो पहले से ही तय था कि बीसीसीआई इस मामले में गेंद सरकार के पाले में ही डालेगा। हालांकि बीसीसीआई एक स्वतंत्र संस्था है। फिर भी कई विदेशी दौरों के लिए सरकार से राय-सलाह लेनी ही पड़ती है। खासकर फॉरेन एक्सचेंज को लेकर। ये चलन आईसीसी के फ्यूचर टूर प्रोग्राम के आने से पहले ज्यादा था। दरअसल, भारत ने 1952-53 में जब से पहली द्विपक्षीय सीरीज खेली है, तब से पड़ोसी देशों से सीरीज पर सरकार की नजर रही ही है। शुक्रवार की बैठक में भी इससे अलग कोई नतीजा निकलना मुश्किल ही था।
‘ये फैसला टूर्नामेंट में भारत के भविष्य पर भी असर डालेगा’
अगले 3 महीने में सरकार का क्या रुख रहेगा, ये तो सरकार ही जाने। फिर भी मेरी व्यक्तिगत राय ये है कि मैच का बहिष्कार कर देना उचित विकल्प नहीं है। अगर पाकिस्तान को सजा देना ही मकसद है तो ये मकसद मैच ना खेलने से पूरा नहीं होने वाला है। ये फैसला टूर्नामेंट में भारत के भविष्य पर भी असर डालेगा। वहीं, दूसरी तरफ निगेटिव पब्लिसिटी मिलने के अलावा पाकिस्तान के लिए कुछ बिगड़ने वाला नहीं है। वर्ल्ड कप मैच का बहिष्कार करने की बजाय भारत को अन्य तमाम संसाधनों के जरिए पाकिस्तान पर दबाव बनाना चाहिए, जिससे पाकिस्तान को वित्तीय धक्का लग सके।
सीओए ने आईसीसी के सामने दो मुद्दे उठाए
पुलवामा हमले के बाद सीओए ने आईसीसी के सामने दो मुद्दे उठाए हैं। पहला- इन हालात में वर्ल्ड कप के दौरान भारतीय खिलाड़ियों और फैन्स की सुरक्षा को मजबूत रखने का मुद्दा। दूसरा- आतंकवाद को बढ़ावा दे रहे आईसीसी के सदस्य देशों को ठीक उसी तरह अलग-थलग करना चाहिए, जिस तरह रंगभेद के मुद्दे पर कभी द. अफ्रीका को अलग किया गया था। इन मांगों पर आईसीसी का क्या रुख होता है, ये तो आने वाला समय ही बताएगा। पाकिस्तान खुद को भी आतंकवाद के शिकार देश के तौर पर प्रस्तुत करता रहा है। आईसीसी के लिए भी ये आसान नहीं होगा कि एक देश की मांग पर दूसरे देश के खिलाफ कार्रवाई कर सके। आईसीसी यूं भी इस सिद्धांत पर चलता है कि किसी भी देश, टीम या खिलाड़ी के खिलाफ भेदभावपूर्व रवैया नहीं अपनाया जाएगा।
ओलिंपिक कमेटी ने भारतीय एसोसिएशन और सरकार पर दबाव बनाया
उदाहरण के लिए देखिए कि पाकिस्तान के 2 शूटर्स को वीसा ना देने पर इंटरनेशनल ओलिंपिक कमेटी ने भारतीय ओलिंपिक एसोसिएशन और सरकार पर किस तरह दबाव बनाया। माना कि क्रिकेट और ओलिंपिक में फर्क है। साथ ही भारत क्रिकेट के सबसे शक्तिशाली देशों में से है। फिर भी आईसीसी को किसी एक देश पर दबाव बनाने के लिए राजी कर पाना आसान नहीं होगा।
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