खेल डेस्क. जापान की राजधानी टोक्यो में 2020 के जुलाई-अगस्त में ओलिंपिक गेम्स होने हैं। इसमें विजेताओं को मिलने वाले मेडल्स ई-वेस्ट से इकट्ठा सोनेऔर चांदी से बनाए जाएंगे। अप्रैल 2017 से चलाए जा रहे इस राष्ट्रव्यापी प्रोजेक्ट के तहत ई-वेस्ट से अब तक 16.5 किग्रा सोना और 1800 किग्रा चांदी इकट्ठा कर ली गई है।जून 2018 तक 2,700 किग्रा कांस्य पहले ही निकाला जा चुका है।
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टोक्यो संगठन समिति ने शहर में एयर पॉल्यूशन (कार्बन डाई ऑक्साइड) को कम करने और ई-वेस्ट को रिसाइकल करने के उद्देश्य सेपुरानी धातु से नए मेडल्स का प्रोजेक्टचलाया है। ओलिंपिक में 5000 मेडल दिए जाएंगे।
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इस प्रोजेक्ट को मोबाइल फोन ऑपरेटर एनटीटी डोकोमो, जापानी गवर्मेंट इनवायरमेंट सेनिटेशन सेंटर और टोक्यो मेट्रोपोलिटनगवर्मेंटका भी सपोर्ट मिला है। विजेताओं को मिलने वाले मेडल के डिजाइन इस साल की गर्मियों में लॉन्च किए जाएंगे।
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इस प्रोजेक्ट के शुरू होने से लेकर अब तक राष्ट्रीय स्तर पर दानदाताओं ने ई-वेस्ट के रूप में उपयोग किए हुए स्मार्टफोन, पुराने डिजिटल प्रोडक्ट, लेपटॉप, कैमरा आदि दान दिए हैं। पिछले 18 महीनों में अब तक करीब 50 हजार टन ई-वेस्ट इकट्ठा हो चुका है।
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प्रशासनिक जानकारी के मुताबिक, टोक्यो में एयर पॉल्यूशन कम करने के लिए 29 हजार करोड़ रुपए इस साल खर्च किए जाएंगे। ओलिंपिक कमेटी ने इस बार 2016 ओलिंपिक से 16% कम पॉल्यूशन का लक्ष्य रखा है। इसके लिए गेम्स के मुख्य स्टेडियम को बनाने में 87 फीसदी लकड़ी का इस्तेमाल किया जाएगा। रिसाइकल चीजें भी इस्तेमाल में लाई जाएंगी।
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पुराने एसी, फ्रिज और वॉटर हीटर को हटाकर इसकी जगह कम प्रदूषण वाले सामान को इस्तेमाल करने के लिए बढ़ावा दिया जा रहा है। पूरे शहर में कई दुकानों पर ईको पॉइंट बनाए हैं। यहां लोग अपने पुराने सामान बदल सकते हैं। एक दुकानदार को सात किलो कार्बन डाई ऑक्साइड कम करने के एक पॉइंट यानी एक येन (.64 रुपए) और गिफ्ट वाउचर मिलेंगे। एक फ्रिज से औसतन एक महीने में 200 किग्रा कार्बन डाई ऑक्साइड (CO2) गैस निकलती है।
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ओलिंपिक का मुख्य स्टेडियम नवंबर में तैयार हो जाएगा। 60% वेन्यू रियूज्ड और रिसाइकल चीजों से बन रहे हैं। स्टेडियम की सभी लाइटें सोलर एनर्जी से चलेंगी। स्टेडियम बनाने में 11 हजार करोड़ रुपए की लागत आएगी।