दुर्लभ पांडुलिपियों के संरक्षण कार्य को और गति देने का निर्देश
रिपोर्टर पुरूषोतम चर्तुवेदी
वाराणसी। राज्यपाल एवं कुलाधिपति श्रीमती आनंदीबेन पटेल द्वारा संपूर्णानंद विश्वविद्यालय स्थित दुर्लभ पांडुलिपियों का निरीक्षण किया गया तथा इसके संरक्षण के कार्यों को और गति देने का निर्देश दिया गया। उन्होंने कहा कि इसके अंदर निहित भारत के ज्ञान के संरक्षण के साथ-साथ ही इसका प्रकाशन भी हो तथा उसको समाज की जानकारी हेतु प्रसारित किया जाये।

राज्यपाल द्वारा विश्वविद्यालय में सन् 1896 में स्थापित सरस्वती भवन पुस्तकालय जिसमें संग्रहित 96 हजार दुर्लभ पाण्डुलिपियों के बारे में जानकारी प्राप्त की और उनमें से सात प्रमुख पाण्डुलिपियों को क्रमशः श्रीमद्भागवतम्, रासपच्चाध्यायी- सचित्र, भागवतगीता, दुर्गासप्तसती, यंत्रराजकल्पः, सिंहासन बत्तीसी और कृषि पद्धति पाण्डुलिपियों का बारिकी से निरीक्षण कर उनके बारे में जानकारी प्राप्त किया। उन्होंने विश्वविद्यालय के विस्तार भवन में चल रहे पाण्डुलिपि संरक्षण के कार्यों के तीनों प्रकारों प्रिवेंटिव, क्यूरेटिव और मेटाडाटा के निर्माण के तीनों तरह के गतिविधियों को देखा और उसके बारे में विस्तार पूर्वक जानकारी प्राप्त की। उसके साथ ही संरक्षण के चल रहे कार्यों पर संतोष व्यक्त करते हुये कार्यों में गति लाने का निर्देश देते हुए कार्य समय पर पूर्ण करने तथा प्रकाशन समय पर संपादित करने को कहा। इससे पूर्व विश्वविद्यालय परिसर में पहुंचने पर कुलपति प्रो. बिहारी लाल शर्मा द्वारा पुष्पगुच्छ एवं अंगवस्त्रम् देकर राज्यपाल का स्वागत किया गया।
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