ब्रेथ ईजी हॉस्पिटल ने आयोजित किया श्वांस रोगों पर चिकित्सा संगोष्ठी

काशी में विशेषज्ञों ने किया श्वांस रोगों के सरल ईलाज पर मंथन


आई.एम्.एस बी.एच.यू के निदेशक एवं सी.एम्.ओ वाराणसी ने ब्रेथ ईजी हॉस्पिटल द्वारा आयोजित चिकित्सा संगोष्ठी का किया उद्घाटन


चिकित्सकों द्वारा बी.ई टाइम्स पत्रिका का हुआ विमोचन

रिपोर्टर पुरूषोत्तम चतुर्वेदी

वाराणसी। ब्रेथ ईजी चेस्ट फाउंडेशन फॉर ह्यूमैनिटी, ब्रेथ ईजी टी.बी, चेस्ट, एलर्जी केयर अस्पताल (अस्सी, वाराणसी) एवं आई.एम्.ए (वाराणसी चैप्टर) के संयुक्त तत्वाधान से 30 जून 2024 (रविवार) को होटल रेडिसन, वाराणसी में एक चिकित्सीय संगोष्ठी का आयोजन किया गया, जिसमे विश्व विख्यात चिकित्सकों ने वर्तमान स्थिति के सबसे गंभीर व महत्वपूर्ण विषय को चुनते हुए गंभीर श्वांस की बीमारी पर परिचर्चा की I इस चिकित्सकीय सम्मलेन में वाराणसी एवं पूर्वांचल के 300 चिकित्सक एवं ऑनलाइन के माध्यम से देश के 10000 चिकित्सकों ने भाग लिया I
इस चिकित्सकीय कार्यक्रम का उदघाटन मुख्य अतिथि आई.एम्.एस बी.एच.यू के निदेशक प्रोफेसर एसएन संखवार, डॉ. संदीप चौधरी (मुख्य चिकित्सा अधिकारी, वाराणसी), डॉ राजेंद्र प्रसाद (प्रोफेसर व विभागाध्यक्ष – एरा मेडिकल कॉलेज), फोर्टिस अस्पताल में श्वसन चिकित्सा के प्रमुख – डॉ प्रशांत एन छाजेड़, मैक्स सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल, नई दिल्ली के पल्मोनोलॉजी डिप्ट. के निदेशक एवं प्रमुख – डॉ विवेक नांगिया,लीलावती हॉस्पिटल एंड रिसर्च, मुंबई के चेस्ट मेडिसिन विभाग के हेड – डॉ. प्रल्हाद प्रभुदेसाई, मेट्रो ग्रुप ऑफ हॉस्पिटल्स, नई दिल्ली के निदेशक – डॉ. दीपक तलवार, ब्रेथ इज़ी हॉस्पिटल, वाराणसी के वरिष्ठ पल्मोनोलॉजिस्ट – डॉ एस के पाठक, सीएमआरआई, कोलकाता के वरिष्ठ पल्मोनोलॉजिस्ट – डॉ राजाधर, बीएलके सुपर स्पेशलिटी अस्पताल और राष्ट्रीय एलर्जी केंद्र (एलर्जी और अस्थमा विभाग), नई दिल्ली के वरिष्ठ चिकित्सक – डॉ पी सी कथूरिया ने संयुक्त रूप ने दीप प्रज्वलित करके किया I कांफ्रेंस उद्घाटन के ततपश्चात डा. एस के पाठक द्वारा संपादित मेडिकल पत्रिका “बी ई टाइम्स” का विमोचन अतिथियों द्वारा किया गया, जिसमे फेफडे, एलर्जी एवं चेस्ट संबंधित कई तरह के विमारियो के बारे में महत्व पूर्ण जानकारियों दी गई है, जो मरीज एवं चिकित्सकों को स्वास्थ्य जानकारी में लाभप्रद साबित होगी।
रेस्पिरेटरी कानक्लेव कांफ्रेंस 2024 के ऑर्गनाइजिंग सेक्रेट्ररी व् वरिष्ठ श्वांस एवं टी.बी रोग विशेषज्ञ डॉ. एस.के पाठक ने बताया कि – “ब्रेथ ईजी के प्रयास से भारत में ग्यारहवीं बार इस चिकित्सीय संगोष्ठी का आयोजन किया जा रहा हैं I इस चिकित्सकीय संगोष्ठी का उद्देश्य चिकित्सको को गंभीर श्वांस बीमारी के प्रति नयी पद्दिती की जानकारी के बारे में अवगत कराना हैं, जिससे मरीजों को श्वांस जैसी गंभीर बिमारियों से कम समय तथा कम खर्च में आसानी से ईलाज मिल सके I डॉ पाठक ने गंभीर श्वांस बीमारी के बारे में विस्तार पूर्वक जानकारी दी और इससे बचने के विषय में भी प्रकाश डाला I ”मैक्स-सुपरस्पेशलिटी हॉस्पिटल, पल्मोनरी मेडिसिन, क्रिटिकल केयर एंड स्लीप मेडिसिन, नई दिल्ली के चिकित्सक – डॉ. स्वप्निल पाठक ने “इंटरवेंशनल पल्मोनोलॉजी पर परिचर्चा” की I डॉ. स्वप्निल ने बताया – “इंटरवेंशनल पल्मोनोलॉजी, पल्मोनरी मेडिसिन की अपनी मूल विशेषता से एक परिपक्व चिकित्सा उप-विशेषता है। यह विशेष रूप से नियोप्लास्टिक के साथ-साथ वायुमार्ग, फेफड़े और फुस्फुस के गैर-नियोप्लास्टिक रोगों के निदान और उपचार के लिए न्यूनतम इनवेसिव एंडोस्कोपिक और पर्क्यूटेनियस प्रक्रियाओं से संबंधित है।“फोर्टिस अस्पताल में श्वसन चिकित्सा के प्रमुख डॉ प्रशांत एन छाजेड़ ने “चिकित्सकों के डेली प्रैक्टिस में इंटरवेंशनल पल्मोनोलॉजी की भूमिका” के बारे में बताया I ” डॉ प्रशांत ने बताया – “हाल की प्रगति में औपचारिक प्रशिक्षण का मानकीकरण, परिधीय फेफड़े के पिंडों के निदान और संभावित उपचार के लिए नए उपकरण (रोबोटिक ब्रोंकोस्कोपी सहित लेकिन उस तक सीमित नहीं), प्रतिरोधी फेफड़े के रोगों के प्रबंधन के लिए तेजी से अच्छी तरह से परिभाषित ब्रोंकोस्कोपिक दृष्टिकोण और घातक फुफ्फुस बहाव वाले लोगों के लिए रोगी-केंद्रित परिणामों को अधिकतम करने के लिए न्यूनतम इनवेसिव तकनीकें शामिल हैं।“मैक्स सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल, नई दिल्ली के पल्मोनोलॉजी डिप्ट. के निदेशक एवं प्रमुख डॉ विवेक नांगिया ने “नैदानिक अभ्यास में अज्ञात टीबी के लिए दृष्टिकोण और प्रबंधन के बारे में” बताया I डॉ विवेक ने बताया – “अज्ञात टीबी, टीबी बैक्टीरिया के वाहक होते हैं जो निष्क्रिय होते हैं, कोई बीमारी नहीं दिखाते हैं, कोई लक्षण नहीं दिखाते हैं, और टीबी बैक्टीरिया को दूसरों तक नहीं पहुंचाते हैं। हालाँकि, अज्ञात टीबी से पीड़ित लोगों में टीबी विकसित होने का खतरा तब होता है जब उनकी प्रतिरक्षा प्रणाली कमजोर हो जाती है।“लीलावती हॉस्पिटल एंड रिसर्च, मुंबई के चेस्ट मेडिसिन विभाग के हेड – डॉ. प्रल्हाद प्रभुदेसाई ने “अस्थमा और सीओपीडी में नई उपचार पर रणनीतियाँ” के बारे में जानकारी दी I डॉ प्रल्हाद ने बताया कि “सीओपीडी प्रत्येक व्यक्ति में अलग-अलग दर से बढ़ता है । एक बार जब यह बढ़ जाता है, तो आप सीओपीडी से फेफड़ों की क्षति को उलट नहीं सकते हैं, लेकिन एक स्वस्थ जीवन शैली का पालन करवा कर और जितनी जल्दी हो सके उपचार देकर, लक्षणों को प्रबंधित किया जा सकता हैं और मरीज को बेहतर महसूस कराया जा सकता हैं ।“मेट्रो ग्रुप ऑफ हॉस्पिटल्स, नई दिल्ली के निदेशक डॉ. दीपक तलवार ने “अंतरालीय फेफड़ों की बीमारी के बारे में” बताया I डॉ दीपक ने बताया – “आईएलडी के रोगियों के लिए एकल फेफड़े का प्रत्यारोपण एक बहुत ही संतोषजनक प्रक्रिया है। हाल ही में निंटेडेनिब, पिरफेनिडोन और ट्रेप्रोस्टिनिल दवाओं को सरकार द्वारा मंजूरी दी गई है और इनसे रोगियों की स्थिति में सुधार देखा गया है।“ब्रेथ इज़ी हॉस्पिटल, वाराणसी के वरिष्ठ पल्मोनोलॉजिस्ट डॉ एस के पाठक ने “क्लिनिकल प्रैक्टिस में पल्मोनरी फंक्शन टेस्ट की भूमिका” के बारे में परिचर्चा की I डॉ पाठक ने बताया – “पल्मोनरी फंक्शन टेस्ट (पीएफटी)

एक विशेष प्रकार का परीक्षण हैं जो बताता हैं कि फेफड़े कितनी अच्छी तरह काम कर रहे हैं। परीक्षण फेफड़ों की मात्रा, क्षमता, प्रवाह की दर और गैस विनिमय को मापते हैं। यह जानकारी चिकित्सकों को फेफड़ों के कुछ विकारों का निदान करने और उपचार तय करने में मदद कर सकती है।“
सीएमआरआई, कोलकाता के वरिष्ठ पल्मोनोलॉजिस्ट डॉ राजाधर ने “श्वसन चिकित्सा में ए.आई की भूमिका” के बारे में वृस्तित जानकारी दी I डॉ राजधर ने बताया कि – “आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) चिकित्सा में क्रांति लाने का वादा करता है, जिससे हमें स्वास्थ्य और बीमारी की

बेहतर समझ और डेटा के आधार पर अधिक निर्णय लेने की क्षमता मिलती है।“बीएलके सुपर स्पेशलिटी अस्पताल और राष्ट्रीय एलर्जी केंद्र (एलर्जी और अस्थमा विभाग), नई दिल्ली के वरिष्ठ चिकित्सक डॉ पी सी कथूरिया ने “एलर्जिक अस्थमा के अभ्यास में एलर्जेन इम्यूनोथेरेपी” के बारे में बताया I डॉ कथूरिया ने बताया कि – “एलर्जेन इम्यूनोथेरेपी एक विकल्प प्रदान करती है जो लगातार चिकित्सीय लाभ देती है। हाल के साक्ष्य यह भी बताते हैं कि उपचार के इस रूप से एलर्जिक राइनाइटिस को अस्थमा में बदलने और नई एलर्जिक संवेदनशीलता के विकास को रोका जा सकता है।“
डॉ. राजेंद्र प्रसाद (प्रो. एवं विभागाध्यक्ष – एरा मेडिकल कॉलेज) ने चेस्ट सम्बंधित कुछ चुनिन्दा केस के बारे में चिकित्सको को जानकारी दी I डॉ प्रसाद ने आगे बताया कि –“इस चिकित्सीय संगोष्ठी का आयोजन, ब्रेथ ईजी के प्रयास से एक सराहनीय कार्य हैं I यह चिकित्सीय संगोष्ठी पूर्वांचल के चिकित्सको को गंभीर श्वांस के बीमारी के प्रति अपडेट करने में सहायक होगी I विगत कुछ वर्षो में ब्रेथ ईजी व डॉ. एस.के पाठक का चिकित्सीय क्षेत्र में उल्लेखनीय योगदान हेतु भारत सरकार के प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी की मुलाकात एक गौरवपूर्ण बात हैं I” इसके अलावा डॉ. राजेंद्र प्रसाद चेस्ट मेडिसिन के कुछ गोल्डन पॉइंट्स को नए चिकित्सको के सामने विश्लेषण किया और बताया सही समय में सही ईलाज से मरीजों का भला हो सकता हैं जिससे मरीज को कोल्लेप्स होने से बचाया जा सकता हैं I ” तत्पश्चात चिकित्सक दिवस पर सभी चिकित्सकों ने डॉ. विधानचंद्र राय को पुष्प माला अर्पित कर एवं केक काट कर मनाया। कार्यक्रम के अंत में रेस्पिरेटरी कॉन्क्लेव कांफ्रेंस 2024 के ओर्गैनिज़िंग सेक्रेटरी डॉ. एस.के पाठक ने सभी फैकल्टी को स्मृतिचिन्ह एवं अंगवस्त्रम देकर सम्मानित किया और ऑनलाइन के मध्यम से जुड़े हुए सभी मेडिकल एवं नॉन मेडिकल लोगो को जुड़ने के लिए धन्यवाद किया I

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