जीवन मंत्र । जानिये पंडित वीर विक्रम नारायण पांडेय जी से सन् 2023 में वृषभ राशि का वैदिक राशिफल
वृष TAURUS (ई, उ, ए, ओ, वा, वि, वू, वे, वो)
सन् 2023 में वृषभ राशि का वैदिक राशिफल
वृष TAURUS (ई, उ, ए, ओ, वा, वि, वू, वे, वो)
शुभ रंग सफेद,
शुभ अंक 6
शुभ रत्न हीरा व सफेद पुखराज,
शुभ वार शुक्रवार, बुध व शनि,
ईष्ट महालक्ष्मी, संतोषी माता।
शुभ तारीख 6, 15, 24।
शुभमास ज्येष्ठ,
सामान्य मास श्रावण, आश्विन, कार्तिक, मार्गशीर्ष, पौष माघ, फाल्गुन,
अशुभ मास चैत्र, वैशाख, आषाढ़ व भाद्रपद।
व्यक्तित्त्व गुरुभक्त, कृतज्ञ, दयालु।
सकारात्मक पक्ष आकर्षक पहनवा, वस्त्रआभूषण में रूचि।
नकारात्मक पक्ष कानो का कच्चा, दुराग्रही, आलसी।
आपकी राशि का स्वामी शुक्र है। वैसे यह काफी प्रभावीशाली राशि मानी जाती है। जितना मानसिक प्रेम रखते हैं उतना ही लोग भय भी रखते हैं। साधारण-सी बातचीत का अंदाज व्यवहार, भावुकता, प्रेम भावना में बदल जाता है। जिसका परोक्ष लाभ, यश मिलता है। दूसरी का विश्वास, मनमाफिकता आसान हो जाती है। स्वयं के सोच, अस्तित्व को बनाए रखना मुश्किल होता है। स्वयं को स्थापित रखते हैं। दूसरों को दर्शाते नहीं। आत्मचिंतन मानो विशेष परिस्थिति में ही करते हैं। समय पर होने अथवा रहने वाली स्थिति को महत्व देते हैं। योजनाओं का प्रभाव आकर्षण बना रहता है। किन्हीं मामलों में दूसरों की योजनाओं का क्रियान्वयन बेहतर कर पाते हैं। निजी मामलों में वह संभव नहीं रहता जिसका सामाजिक जातिगत, व्यक्तिगत प्रभाव रहता है। कार्यकुशलता में कमी रहती है। हिम्मत साहस, आत्मवि श्वास नहीं जुटा पाते तर्क-वितर्कता में नुकसान, विरोध, शत्रुता स्वभाव का प्रश्नचिह्न बन जाता है। पश्चाताप गंभीरता के कारण स्वयं उलझे रहते हैं नितांत निजी जीवन हताश ही रखता है आप राशि वालों को स्वभाव के गुण धर्मों से ही प्रगति, अवसरों में अवरोध आते हैं। जो भी लाभ, योग्यता, प्रतिष्ठा, सम्मान मिलता है उसे सम्हालना, निभाना आसान नहीं होता।
वर्ष फल
इस वर्ष में अधिकांश कार्यों में अनुकूल परिणाम रहेंगे। चली आ रही पनोती भी खत्म हो गई। कुल मिलाकर आरंभ से ही कामकाज में यश, सफलता, संतोष रहेगा। हर स्थिति, अवसर का उपयोग करें। कार्यकुशलता का लाभ मिलेगा। योजनाएं, बातचीत, सहयोग से आश्वस्त रहेंगे। स्वभाव के गुण भी सहयोगात्मक रहेंगे। जिद्दता स्वाभिमान, परिश्रम का साहस रखें। प्रभावी वातावरण का परिश्रम, मेहनत से उपयोग करें। मानसिक, वैचारिक, संतोष रहेगा। पारिवारिक दृष्टि से वर्ष उत्तम रहेगा। पारिवारिक प्रतिष्ठा, प्रभाव, सम्मान मिलेगा। विशेष कुछ हासिल कर पाएंगे। जातिगत, सामाजिक अवसरों का लाभ मिलेगा। संतान संबंधी कार्य, विवाह, मांगलिक कार्य, जवाबदारी, पुरानी इच्छा, आकांक्षा की सफलता मिलेगी। स्थायित्व स्तर बढ़ा पाएंगे। मिलनसारिता, आमोद- प्रमोद बढ़ेगा। आर्थिक योग वर्ष में अनुकूल। आमदनी-लाभ, बचत, निवेश कर पाएंगे।
वर्षारम्भ से 12 मार्च तक इस राशि पर मंगल का संचार रहने से क्रोध उत्तेजना तथा व्यर्थ के बाद-विवाद से बचना चाहिए। ता. 15 फर. से 11 मार्च के मध्य राशिस्वामी शुक्र उच्च राशिगत संचार करने से लाभ व उन्नति के अवसर प्राप्त होंगे। ता. 15 मई से 15 जून के मध्य सूर्य इस राशि पर संचार करने तथा 22 अप्रै. से वर्षान्त तक द्वादशस्थ गुरु-राहु’ पर शनि की नीच दृष्टि रहने से क्रोधाधिक्य, व्यर्थ के खर्च, बनते कार्यों में विघ्न, आँखों में कष्ट व
मानसिक तनाव होगा। ता. 23 जुला. से 3 सितं. तक शुक्र वक्री रहने से आय के साधनों में भी विघ्न उत्पन्न होंगे ता. 2 से 29 नवं के मध्य शुक्र नीच राशि में होने से किसी दुष्ट व्यक्ति द्वारा हानि होने के संकेत मिलते हैं।
उपाय – (1) हर मंगलवार माता के मन्दिर में एक नारियल चढ़ाना तथा उस दिन श्रीदुर्गा-सप्तशती का पाठ करना शुभ होगा।
(2) ता. 30 अक्तू. तक प्रतिदिन पक्षियों को बाजरा डालना तथा प्रत्येक संक्रान्ति नारियल मन्दिर में प्रशाद रूप में चढ़ाएं।
(3) ता. 22 मार्च के बाद मई तक, पुनः जुलाई से नवं. तक हर शुक्रवार छोटी कन्याओं का पूजन करके उन्हें बर्फी, फलादि भेंट देकर स्वयं व्रत रखें।
मासिक राशिफल
जनवरी इस राशि पर मंगल का संचार रहने तथा शुक्र भाग्य स्थान में होने से स्वभाव में तेजी, व्यर्थ की भागदौड़ रहेगी। कठिनाईयों के बावजूद निर्वाह योग्य धन प्राप्ति होती रहेगी। घर-परिवार में सुखद माहौल होते हुए भी गुप्त चिन्ता रहेगी। पारिवारिक और व्यवसायिक योजनाओं की ओर मनोवृत्ति बढ़ेगी।
फरवरी पूर्वार्द्ध में दशम भाव में ‘शुक्र शनि’ योग होने से वृथा यात्रा, शत्रु-भय, मानसिक तनाव, अवछित स्थान परिवर्तन से परिवार में कलह-क्लेश रहेगा। ता. 15 से शुक्र उच्चस्थ होने से मन में उत्साह और प्रसन्नता जागृत होगी। धन लाभ व उन्नति के योग हैं।
मार्च मासारम्भ में धन लाभ तथा व्यवसायिक व्यस्तताएँ बढ़ेंगी। ता. 12 से शुक्र द्वादशस्थ होने से खर्च अधिक, घरेलु उलझनें व तनाव भी बढ़ेगा घरेलु समस्याओं के कारण मन परेशान रहे।
अप्रैल ता. 6 से शुक्र स्वराशिगत (वृष) होने से कोई शुभ समाचार मिलेगा। पारिवारिक मा सहयोग से कोई उलझा हुआ कार्य पूर्ण होने के योग हैं। भाग्य से धन प्राप्ति और मान- प्रतिष्ठा में वृद्धि होगी। किसी पर अन्ध-विश्वास न करें, धोखा होने की सम्भावना है।
मई इस मास शुक्र मिथुन राशि में, ‘गुरु राहु’ द्वादशस्थ रहने से क्रोधाधिक्य, व्यर्थ के खर्च, बनते कार्यों में विघ्न, आँखों में कष्ट व मानसिक तनाव होगा। व्यवसाय एवं नौकरी में लाभ व उन्नति के अवसर प्राप्त होंगे, परन्तु विलासता के कारण अभीष्ट लाभ नहीं होगा।
जून शुक्र चतुर्थस्थ (कर्क) रहने से अत्यन्त कठिनाई से निर्वाह योग्य धन की प्राप्ति होगी। व्यवसाय में विघ्न तथा घरेलू उलझनों के कारण मन चिन्तित रहे। शरीर कष्ट रहे। पारिवारिक शान्ति का वातावरण बनाए रखने के लिए श्रीसुन्दरकाण्ड का पाठ करना शुभ होगा।
जुलाई ता. 6 तक शुक्र तृतीयस्थ रहने से परिस्थितियों में विशेष परिवर्तन होंगे। भाई-बन्धुओं से मतभेद, स्वभाव में तेजी रहेगी। ता. 7 से शुक्र चतुर्थस्थ होने से विशेष परिश्रम एवं भागदौड़ के बाद निर्वाह योग्य आय के साधन बनेंगे।
अगस्त मासारम्भ से ही शुक्र वक्री रहने से कार्य व्यवसाय में रुकावटें, आय के साधनों में विघ्न रहेंगे। ता. 7 से शुक्र पुनः तृतीयस्थ संचार करने से पारिवारिक सदस्यों के साथ मतान्तर एवं मतभेद उत्पन्न हो। ता. 17 तक ‘पुरुषोत्तम माहात्म्य’ का पाठ करें।
सितम्बर ता. 4 से शुक्र मार्गी अवस्था में तृतीयस्थ संचार करने से घरेलु एवं कारोबारी परिस्थितियों में धीरे-धीरे सुधार होगा। व्यर्थ की भागदौड़ अधिक रहे, परन्तु अत्यन्त संघर्ष के बावजूद निर्वाह योग्य धन प्राप्ति के साधन बन पाएंगे।
अक्तूबर 1 अक्तू से शुक्र पुनः चतुर्थ स्थान में संचार करने से गत समय में किए गए प्रयासों का प्रतिफल कुछ दिनों के बाद प्राप्त होगा। माता-पिता या किसी निकटस्थ से धन व उपहारादि की प्राप्ति के योग हैं। आशा के विपरीत खर्च बहुत होंगे।
नवम्बर ता. 3 से शुक्र नीच राशि (कन्या) में होने से पारिवारिक अशान्ति बढ़ेगी। भाई-बन्धुओं से वृथा तकरार, धन का अपव्यय, शरीर कष्ट रहेगा। वाहनादि से चोटादि का भय रहे।
दिसम्बर ता. 24 तक शुक्र षष्ठस्थ स्वराशि में होने से परिस्थितियों में कुछ सुधार होने के योग हैं। धीरे-धीरे आर्थिक क्षेत्र में कुछ परिवर्तन एवं लाभ के योग बनेंगे। किसी नवीन कार्य की योजना बनेगी। परन्तु कार्यरूप देने में विघ्न उत्पन्न होंगे।