अंतराष्ट्रीय साक्षरता दिवस पर हिंडालको महान ने आयोजित की साक्षरता कार्यशाला।
साक्षरता किसी भी देश के विकास के लिए सबसे ज़रूरी चीज़ों में से एक है
सिगरौली।8 सितंबर यानि विश्व साक्षरता दिवस,विश्व में शिक्षा के महत्व को दर्शाने और निरक्षरता को समाप्त करने के उद्देश्य से 17 नवंबर 1965 को यह निर्णय लिया गया,कि प्रत्येक वर्ष 8 सितंबर को अंतराष्ट्रीय साक्षरता दिवस के रूप मे मनाया जाय। इसके बाद पूरे देश मे 8 सितंबर को अंतराष्ट्रीय साक्षरता दिवस के रूप में मनाते आये है,हिंडालको महान द्वारा लगातार शिक्षा के प्रति अपनी सामाजिक जिम्मेदारी का निर्वहन सी.एस.आर के माध्यम से किया है,हिंडालको महान के कंपनी प्रमुख सेन्थिलनाथ व मानव संसाधन प्रमुख बिश्वनाथ मुखर्जी के मार्ग दर्शन में साक्षरता दर को बढ़ाने के लिये कई अभिनव प्रयास किये गये हैं।अंतराष्ट्रीय साक्षरता दिवस के मौके पर हिंडालको महान द्वारा विस्थापित कालोनी मझिगंवा में संचालित सरस्वती शिशु मंदिर में बच्चो के बीच साक्षरता के महत्व पर स्लोगन प्रतियोगिता का आयोजन किया गया,जिसमें विद्यालय के आचार्य गोपाल विश्वकर्मा द्वारा बच्चो को शिक्षा के महत्व पर अपना ब्याख्यान दिया व अच्छे स्लोगन लेखकों को पुरस्कृत किया,वही हिंडालको महान के महिला इंजीनियर्स रिनका घोष व काजल मौर्या ने हिंडालको महान द्वारा संचालित प्रौढ़ शिक्षा केंद्र कनई में उन महिलाओं को प्रोत्साहित करने पहुची,जो निरक्षरता का जीवन आज भी जी रही थी। पर उन्हें सी.एस.आर.विभाग द्वारा साक्षर करने का प्रयास किया जा रहा है। ज्ञान का प्रकाश लाने के लिये आयोजित इस कार्यशाला में दोनों इंजीनियर्स ने कहा कि ज्ञान के प्रकाश से हम सब वंचित तबके को इस बात एहसास करा सकते हैं, कि शिक्षा प्राप्त करने की कोई उम्र नहीं होती और आप सब साक्षर होकर कम से कम सरकार की शिक्षा संबंधी योजनाओं का लाभ तो उठा ही सकती हैं, जो आपके छोटे से प्रयास से अंधकारमय जीवन में एक नया दीपक जला सकती है।कार्यक्रम में सी.एस.आर.विभाग से बीरेंद्र पाण्डेय ने कहा कि शिक्षा, रोजगार या पैसे से ज्यादा खुद के विकास के लिए जरूरी है ।आज का दिन साक्षर करने, सामाजिक और अपने अधिकारों को जानने के लिये यह दिन मनाया जा रहा है। साक्षर व्यक्ति न सिर्फ अपना जीवन बेहतर बना सकता है, बल्कि ग़रीबी उन्मूलन, जनसंख्या को नियंत्रित करने, बाल मृत्यु दर को कम करने जैसी सामाजिक समस्या में भी मदद कर सकता है।कार्यशाला के समाप्ति के बाद साक्षरता फेरी लगाई गई,व पढ़ने की कोई उम्र नही के नारे से ग्रामीणों को निरक्षरता के अंधकार से बाहर निकलने के लिये प्रेरित किया गया।इसके पश्चात हिंडालको महान के इंजीनियर्स शासकीय स्कूल बेटहाडाड़ के बच्चो को साक्षरता के ताकत को बताने के लिये उनसे संवाद स्थापित किया और कैरियर से संबंधित प्रश्नों के जबाब दिये। साक्षरता दिवस कार्यशाला व प्रतियोगिताओ के सफल आयोजन में भोला बैश्य,देवेश त्रिपाठी,अरविंद वैश्य व नरेंद्र वैश्य का विशेष योगदान रहा ।