गंगा नदी के तटीय क्षेत्रों में भूमि एवं जल संरक्षण तथा प्रबंधन हेतु प्रभावी कार्यवाही की जाये
दुर्गा शंकर मिश्र,
मुख्य सचिव
दिनांक: 16 फरवरी, 2022
लखनऊ: गंगा नदी के तटीय क्षेत्र दोनों किनारों से 10 किलोमीटर तक भूमि एवं जल संरक्षण तथा प्रबंधन के लिए प्रभावी कार्यवाही किये जाने की जरूरत है। भारत सरकार ने प्राकृतिक खेती को प्रोत्साहन देने की बजट में घोषणा की है उसके अनुरूप हमें भी प्रदेश की कार्ययोजना तैयार करनी होगी। प्राकृतिक व आर्गेनिक खेती को जोड़कर कार्ययोजना तैयार की जाए। ये बातें बुधवार को मुख्य सचिव दुर्गा शंकर मिश्र ने राज्य गंगा समिति/शासी परिषद की 9 वीं बैठक को संबोधित करते हुए कही।
उन्होंने कहा कि रिवर मैनेजमेंट के लिए पोर्टल का निर्माण किया जाना चाहिए, जिससे कि लोग स्थानीय आधार पर आवश्यकताएं, समस्याएं व अन्य सूचनाएं दर्ज कर सकें। स्थानीय अपेक्षाओं और जरूरतों के हिसाब से प्लान को तैयार कर उसका क्रियान्वयन किया जाए और इसके लिए मुख्य विकास अधिकारियों को नोडल ऑफिसर बनाया जाए।
उन्होंने कहा कि मृदा के क्षरण को रोकने के लिए बड़े पैमाने पर तटों के किनारे वृक्षारोपण कराया जाये। उन्होंने कहा कि निजी ज़मीनों पर भी लोगों को फलों की खेती के फायदे बता फलदार वृक्ष लगाने के लिए प्रेरित करने का काम किया जाये। खाद व हरा चारा की आवश्यकता को ध्यान में रखते हुए गौशालाओं को भी इस प्रक्रिया से जोड़ना ज़रूरी है। बरसीम की खेती को प्रोत्साहित कर हरा चारा पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध कराया जा सकता है तथा इससे डेयरी को भी बढ़ावा मिलेगा।
उन्होंने कहा कि वेटलैण्ड्स को डेवलप कर मत्स्य पालन किया जा सकता है। जैविक एवं औषधीय पौधों की खेती के लिए किसानों को प्रोत्साहित किया जाये। वेटलैंड क्षेत्र को पिकनिक स्पॉट के रूप में विकसित करने से ग्रामीण पर्यटन को भी बढ़ावा मिलेगा। शहरी क्षेत्रों में वेटलैण्ड डेवलप कर उसे पर्यावरण एवं पर्यटन से जोड़ा जा सकता है। गंगा किनारे पार्क, गार्डेन, साइकलिंग ट्रैक भी बनाये जा सकते हैं। उन्होंने उक्त के दृष्टिगत विस्तृत कार्ययोजना शीघ्र तैयार करने के निर्देश दिये।
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