पंकज सिंह@9956353560
म्योरपुर विकास खण्ड के ग्रामीण अंचलों में धूम धाम से राखी का त्योहार शकुशल सम्पन्न हुआ इस दौरान बाजारों बहना ने भाई की कलाई से प्यार बाँधा है, प्यार के दो तार से संसार बाँधा है गाना हर नुक्कड़ चौराहे पर बजता रहा भले ही ये गाना बहुत पुराना न हो पर भाई की कलाई पर राखी बाँधने का सिलसिला बेहद प्राचीन है।बताते चले कि सुबह से ही बाजारों में भीड़ जमा होने लगी छेना का मीठा 400 प्रति किलो तक बिका जबकि बर्फी 250 से तीन सौ प्रति किलो तक बिका तथा चीनी से बने मीठा 150 रुपये किलो तक बीके चुकी लॉक डाउन आज से ही अनलॉक
हुआ इस लिये दुकानदार कम ही माल बनाये थे शाम होते होते ज्यादातर दुकानदारों के मीठा बिक चुके थे बताते चले कि रक्षाबंधन पर्व पर जहाँ बहनों को भाइयों की कलाई में रक्षा का धागा बाँधने का बेसब्री से इंतजार रहता है, वहीं दूर-दराज में बसे भाइयों को भी इस बात का इंतजार रहता है कि उनकी बहना उन्हें राखी भेजे। उन भाइयों को निराश होने की जरूरत नहीं है, जिनकी अपनी सगी बहन नहीं है, क्योंकि मुँहबोली बहनों से राखी बंधवाने की परंपरा भी काफी पुरानी है। बहनों से राखी बंधवाने के बाद भाई उन्हें उपहार स्वरूप पैसे गिप्ट देकर बहनों को खुश कर उनकी रक्षा का सफथ लेते है।
इसलिए इस दिन हर बहन अपने भाई को राखी बांधती हैं और भाई उसकी हिफाजत का वचन देता है. बहन भाई की कुशलता और सफलता की कामना करती है. ये वचन और भावना ही रक्षाबन्धन के त्योहार का सबसे महत्वपूर्ण भाग है. क्योंकि प्रेम और विश्वास का यही बंधन भाई और बहन के रिश्ते के स्नेह की डोर अर्थात् राखी होती है.