साहित्यकारों ने मनाई गोस्वामी तुलसीदास की जयंती

सुरसरि सम सबकर हित होई-सोनभद्र(सर्वेश श्रीवास्तव)- रामचरितमानस के रचनाकार गोस्वामी तुलसीदास की जयंती रविवार को रॉबर्ट्सगंज स्थित विंध्य कन्या महाविद्यालय सभागार में मनाई गई। इस दौरान सर्वप्रथम गोस्वामी जी के चित्र पर माल्यार्पण एवं दीप प्रज्वलित कर उन्हें शत-शत नमन करते हुए गोष्ठी की शुरुआत की गई। राष्ट्रीय संचेतना समिति के बैनर तले आयोजित गोष्ठी में वक्ताओं ने तुलसीदास के कृतित्व- व्यक्तित्व पर प्रकाश डाला। कहा गोस्वामी तुलसीदास जी द्वारा रचित रामचरितमानस काल वाह्य धर्मशास्त्र है जो मानव मात्र के कल्याण के लिए रचा गया है। मुख्य वक्ता ने तो यह भी कहा कि एक तरह से गीता का लोक भाषा में भाष्य ही है रामचरितमानस। भोजपुरी साहित्य के रचनाकार एवं लोकप्रिय गीतकार जगदीश पंथी एवं कथाकार रामनाथ शिवेंद्र ने कहा की रामचरितमानस में तुलसीदास का समन्वयवादी दृष्टिकोण मिलता है। उन्होंने सगुण और निर्गुण दोनों को अपने ढंग से सहेजने और महत्व देने का प्रयास किया है।‘अगुणहि सगुणहि नहीँ कछु भेदा।
गावहि मुनि पुराण बुध बेदा।गोष्ठी की अध्यक्षता कर रहे हिंदी साहित्य के विद्वान पारसनाथ मिश्र ने कवितावली का उल्लेख करते हुए समकालीन परिस्थितियों के कारण तुलसीदास की मनोगत भावों के कारणों पर प्रकाश डाला।धूत कहौ, अवधूत कहौ, राजपूत कहौ, जोलहा कहौ कोऊ।काहू की बेटी से बेटा न ब्याहब, काहू की जाति बिगारब न सोऊ।इस अवसर पर ओम प्रकाश त्रिपाठी, सुशील कुमार राही, अमरनाथ अजेय, प्रदुम्न कुमार त्रिपाठी, राकेश शरण मिश्र, राम नरेश पाल, अब्दुल हई, दिवाकर द्विवेदी मेघ, सरोज कुमार सिंह, प्रभात सिंह चंदेल, दिलीप सिंह दीपक, सुनील चउचक, कौशल्या कुमारी, दयानंद दयालु, राधेश्याम पाल आदि साहित्यकारों ने एक से बढ़कर एक रचनाएं प्रस्तुत कर गोस्वामी तुलसीदास जी को याद किया। संचालन गीतकार जगदीश पंथी ने किया। इस मौके पर कॉलेज की तमाम छात्राएं एवं साहित्य और गोस्वामी तुलसीदास जी के प्रति आस्था निष्ठा रखने वाले वरिष्ठ अधिवक्ता मार्तंड प्रसाद मिश्रा, रमेश देव पांडेय और शिक्षाविद भैया लाल जी मुख्य रूप से मौजूद रहे।

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