जहरीले धुएं से हरी-भरी वादियोंं की दूषित हो रही आबोहवा

ओबरा(सतीश चौबे)
-वन विभाग के अधिकारियोंं ने साधी चुप्पी
-आदिवासियोंं ने की प्लांट हटाने की मांग
सोनभद्र : चोपन ब्लाक के कई गांव पहले से ही फ्लोरोसिस की बीमारी से त्रस्त है, एेसे में तेलगुड़वा गांव से लगे वन क्षेत्र के ठीक किनारे सड़क पैचिंग प्लांट लगाने से धूल व धुएं से हरी-भरी वादियोंं की आबोहवा खराब हो रही है। प्लांट लगाने से पहले वन विभाग व क्षेत्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड से अनुमति भी

नहीं ली गई। जनपद आदिवासी बाहुल्य क्षेत्र है। यहां बिजली, कोल परियोजनाओंं की कमी नहीं है। इन परियोजनाओंं से सोनभद्र प्रदूषण के मामले में एनजीटी के निशाने रहता है। प्रदूषण का मानक इतना बढ़ गया है कि एनजीटी ने जल प्रदूषण रोकने के लिए बालू खनन पर रोक लगा दी है। पर्यावरण संरक्षण का पालन न करने वाली कई पत्थर खदानोंं के संचालन पर भी रोक है। एेसे हालात में तेलगुड़वा क्षेत्र में वन

क्षेत्र से सटे सड़क पैचिंग प्लाट वह भी बिना आदेश लगाना समझ से परे हैं। तेलगुड़वा से पत्थर खदानोंं की दूरी मात्र 10 किमी के अंदर ही है। रेंजर राजेश सोनकर ने कहा कि प्लांट वन क्षेत्र में नहीं है लेकिन उससे निकलने वाले जहरिले धुएं से सभी प्रभावित है। इससे पर्यावरण भी बिगड़ रहा है। विद्यालय से महज सौ मीटर दूरी तेलगुड़वा में सड़क पैचिंग प्लाट की प्राथमिक व उच्च प्राथमिक विद्यालय तेलगुड़वा पश्चिम से दूरी महज सौ मीटर ही है। चिमनी की ऊंचाई कम होने से स्कूल परिसर में भी धुएं का गुबार फैला रहता है। इसके अलावा गांव के लोग भी जहरीले धुएं से परेशान हैं।

नहीं लिया गया आदेश, कराया जाएगा बंद
तेलगुड़वा में सड़क पैचिंग प्लांट लगाने का आदेश प्रदूषण विभाग से नहीं लिया गया है। यदि प्रदूषण फैल रहा तो गंभीर बात है। इसकी जांच कर प्लांट को बंद कराया जाएगा। – राधेश्याम, क्षेत्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड अधिकारी।

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