पांडव नगरी लाक्षागृह की कुछ अनसुनी कहानी।

प्रयागराज-लवकुश शर्मा

प्रयागराज एक ऐसा तीर्थ स्थल जिसे तीर्थों का राजा कहा जाता है l जहां गंगा जमुना और सरस्वती के आपस में मिलान से संगम का निर्माण होता है। उसी संगम नगरी से 45 किलोमीटर दूर स्थित हडिया से 6 किलोमीटर दक्षिण दिशा में गंगा के किनारे भूतल से हजार फिट ऊंचाई पर बसा लक्षागृह गांव है।

इस गांव को यहां केे स्थाई लोग पांडव नगरी के नाम से पुकारते हैं, और इसे महाभारत युग से जोड़ते हुए ऐतिहासिक स्थल मानते हैं। प्रत्येक सोमवती अमावस्या पर यहां पर भव्य मेले का आयोजन किया जाता है।

कुदरत के खुले वातावरण में भोर के समय और संध्या के बाद चिड़ियों का चहचहाना, सुनहरी गुनगुनाती हवा का कानों के बगल से निकल जाना तो वही हवा में झूमते हुए वृक्षों के पत्ते मानो जैसे ताल पीट रहे हो

l गंगा के किनारे हवा के साथ-साथ गंगा के तेज सुनहरी धाराओं का बार-बार एक के बाद एक आना बड़ा ही आकर्षक एवं मनोरंजक पूर्ण दृश्य होता है। प्रकृति के इस खुले वातावरण के दरबार में साधु-संत जहां तपस्या में लीन होते हैं तो वहीं दूर-दूर से आए हुए बहुत से रोगी सुबह के वातावरण का लाभ लेकर ठीक भी हो जाते हैं।

गंगा के किनारे से 100 मीटर की दूरी पर महंत केशवदास का मंदिर है, जहां साधु संत भक्ति भाव में लीन रहते हैं। और प्रत्येक वर्ष बड़े-बड़े अनुष्ठान के दौरान भंडारे का आयोजन करते रहते हैं। महंत केशवदास के मंदिर से थोड़ी दूरी पर साध्वी अर्चना सेवा आश्रम और गौशाला है जहां सुबह शाम भगवान जगन्नाथ सहित सभी देवी देवताओं का आरती रोजाना होती है।

मान्यता-
———– पौराणिक कथाओं की मान्यता के अनुसार देखा जाए तो यह वही गांव है जहां पर पांडवों को सपरिवार दुर्योधन और शकुनि के षड्यंत्र द्वारा निर्मित लाह के महल में आग लगाकर जिंदा जलाने की योजना बनाया गया था। पांडवों को जब इस बात का पता चला तो वह रात्रि में महल के अंदर से एक सुरंग का निर्माण कर के सुरक्षित वहां से निकल गए । लोगों का कहना है कि आग लगने के दौरान भीम अपनी गदा को सुरंग के अंदर ही छोड़ दिए थे जिसकी रक्षा आज भी एक बड़ा अजगर कर रहा है।

हंडिया-
———— लाक्षागृह गांव से 6 किलोमीटर उत्तर दिशा में बसा हंडिया मान्यता के अनुसार भीम का ससुराल माना जाता है। कहा जाता है यहां का राजा हिडिंब दानव था जिसका सामना भीम से हुआ था। हिडिंब दानव भीम से परास्त हो जाने के बाद वह अपनी पुत्री की शादी भीम से कर दिया । हंडिया पौराणिक कथाओं के साथ-साथ अन्य क्षेत्रों के लिए भी जाना जाता है क्योंकि हडिया के इसी पावन धरती से कथक नृत्य का प्रचलन बैजू महाराज और लच्छू महाराज द्वारा अपने गांव किचकिला से प्रारंभ किया गया था l पांडव की इस नगरी से 12 किलोमीटर पूर्व दिशा में सीता समाहित स्थल सीतामढ़ी है। माना जाता है की रामायण काल के दौरान सीता जी यही धरती में समाहित हुई थी l
पुरातत्व-
———— पुरातत्व की खुदाई के दौरान यहां पर पांडव गुफा होने का प्रमाण मिलता है l खुदाई के दौरान उस समय के काफी चीजें प्राप्त हुए जिससे ऐतिहासिक दृष्टि से यह सिद्ध होता है कि यहां पर पांडव वास्तव में निवास करते थे ।

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