*सीएम सिटी में करीब 10 साल पहले शुरू हुई थी सुनहरी शकरकंद की खेती
*वनटांगियों के लिए योगी ने सड़क से लेकर संसद तक किया था संघर्ष
*मुख्यमंत्री बनने के बाद इनकी बस्तियों को दिया था राजस्व गांव का दर्जा
*गुजरात और महाराष्ट्र को पसंद आयी सुनहरी शकरकंद, पीएम नरेंद्र मोदी ने की तारीफ
लखनऊ ।गोरखपुर और महराजगंज की वनटांगियां बस्तियां। योगी आदित्यनाथ के मुख्यमंत्री बनने के पहले घने जंगलों में आबाद इन बस्तियों के लोग आजाद भारत के नागरिक तक नहीं थे। जब नागरिक ही नहीं थे तो इस रूप में मिलने वाली सरकारी सुविधाओं (आवास,शौचालय आदि,रसोई गैस और बिजली आदि) के बारे में सोचना दूर की कौड़ी थी। उस समय बतौर सांसद योगी आदित्यनाथ सड़क से लेकर संसद तक इनकी आवाज बने। इस दौरान उनपर मुकदमा भी दर्ज हुआ। मुख्यमंत्री बनने के बाद योगी ने इनके गांवों को राजस्व गांव का दर्जा दने के साथ शासन की जनहित की सभी योजनआें से संतृप्त किया। अब इन बस्तियों के लोग नया कीर्तिमान रच रहे हैं। महराजगंज के वनटांगिया बस्ती बीट सदर के राम गुलाम इसके सबूत हैं। इनकी कृषि उत्पाद संगठन (एफपीओ) से जुड़े किसानों की सुनहरी शकरकंद को मुंबई और अहमदाबाद के लोग पसंद कर रहे हैं। बीते 25 दिसंबर को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी राम गुलाब से बात कर उनकी तारीफ करते हुए बाकी किसानों के लिए इसे नजीर बताया।
मालूम हो कि महराजगंज के वनटांगियों के एफपीओ ‘महराजगंज बेजीटेबल प्रोड्यूसिंग कम्पनी’ एवं गुजरात के अहमदाबाद जिले की कम्पनी ‘ट्यूबर फूड्स प्राइवेट लिमिटेड’ के बीच सुनहरी शकरकंद की खरीद के लिए मेमोरंडम ऑफ अंडरस्टैंडिंग (एमओयू) साइन किया है। इसमें बिल एंड मिलिंडा गेट्स फाउंडेशन की बड़ी भूमिका रही। इन किसानों को मूल रूप से कीनिया की सुनहरी शकरकंद की खेती के लिए पीआरडीएफ (पार्टिसिपेटरी रूरल डेवलपमेंट फाउंडेशन) के वैज्ञानिक डॉ आरसी चौधरी ने प्रेरित किया था।
करीब 10 साल पहले डा.चौधरी ने केन्या से सुनहरी शकरकंद का बीज लाकर इसे उगाया। साथ ही गोरखपुर, संतकबीरनगर और महराजगंज के कई किसानों को इसकी खूबी (पौष्टिकता) को बताते हुए इसकी खेती के लिए तैयार किया।
‘महराजगंज वेजीटेबल प्रोड्यूसिंग कम्पनी’ के निदेशक रामगुलाब और टीम लीडर विनोद तिवारी ने पीआरडीएफ के डॉ आर सी चौधरी एवं बिल एंड मिलिंडा गेट्स फाउंडेशन के साथ मिल कर 100 से अधिक किसानों को 80 एकड़ जमीन पर सुनहरी शकरकंद की खेती के लिए तैयार किया। इसकी खेती से जुड़े अधिकांश किसान वनटांगिया हैं।
*₹ 25 रुपये प्रति किग्रा की दर से 400 टन शकरकंद खरीदेगी गुजरात की कम्पनी*
करार के अनुसार गुजरात की कंपनी महराजगंज के एफपीओ से 25 रुपये प्रति किलोग्राम उनकी उपज खरीद लेगी। फरवरी 2022 तक 200 टन और जून 2022 तक 200 टन सुनहरी शकरकंद की डिलिवरी देनी है।
*एक एकड़ में 280 लाख रुपये का उत्पादन*
राम गुलाब के अनुसार एक एकड़ में 70 से 80 क्विंटल सुनहरी शकरकंद का उत्पादन होता है। साल में दो बार इसकी बोआई होती है। अक्तूबर की फसल की 15 फरवरी तक और मध्य मार्च तक बोई गई फसल की जून मध्य तक तैयार हो जाती है। हार्वेस्टिंग हो जाएगी। इस तरह साल में एक एकड़ में 140 से 160 क्विंटल की उपज मिल जाती है। ₹ 25 प्रति किलोग्राम की दर से बिकने पर किसानों को प्रति एकड़ करीब ₹2 लाख का लाभ होगा।