बनारस कृषि उत्पादों के निर्यात का हब बन रहा है

पुरुषोत्तम चतुर्वेदी की रिपोर्ट

*कृषि निर्यात हेतु इंफ्रास्ट्रक्चर व कैपेसिटी बिल्डिंग के कार्य तेजी से हो रहे हैं*

*चेयरमैन एपीडा, कमिश्नर व डीएम ने अधिकारियों संग बैठक कर कृषि उत्पादों के प्रमोट व एक्सपोर्ट पर किया मंथन*

*स्थानीय लोगों को कृषि निर्यातक बनाने में प्रशासन सहयोग करेगा*

*अधिक से अधिक एपीओ बनाने व ऑर्गेनिक खेती बढ़ाने पर जोर*

*एक्सपोर्ट में प्रयोग होने वाली पैकेजिंग मैटेरियल स्थानीय उद्यमियों से बनवाने के अवसर होंगे*

*एपीओ धान खरीद व गेहूं खरीद की एजेंसी के रूप में कार्य कर आय बढ़ा सकते हैं*

वाराणसी। बनारस कृषि उत्पादों के निर्यात का हब बन रहा है। यहां कृषि निर्यात हेतु व्यापक स्तर पर इंफ्रास्ट्रक्चर व कैपेसिटी बिल्डिंग के कार्य तेजी से हो रहे हैं। बनारस सहित आसपास के क्षेत्रों यथा- मिर्जापुर, चंदौली, गाजीपुर, जौनपुर व गोरखपुर तक के कृषि, सब्जी उत्पाद के निर्यात का बनारस केंद्र बन रहा है। किसानों की आय में बढ़ोतरी होगी, साथ ही यहां की इकॉनमी बढ़ेगी।
उक्त जानकारी देते हुए अध्यक्ष एपीडा, वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय एम अंगामुथु, कमिश्नर दीपक अग्रवाल, जिलाधिकारी कौशल राज शर्मा ने बुधवार को अधिकारियों के साथ कमिश्नरी सभागार में बैठक कर कृषि उत्पादों के प्रमोट व एक्सपोर्ट को बढ़ाते हुए पूरे देश के लिए मॉडल के रूप में विकसित करने पर मंथन किया। राजातालाब पेरिशेबल कार्गो को अपग्रेड किया जाएगा। अभी यहां सब्जी के स्टोरेज, ट्रेडिंग, ऑर्गेनिक फार्मिंग आदि से लगभग 5000 किसान सीधे लाभान्वित हो रहे हैं। एयरपोर्ट पर कोल्ड सम तैयार है। मिनी पैकेजिंग हाउस बनेगा। यहां निर्यात हो रहा है। आईवीआरआई के वैज्ञानिकों ने अनुरूप क्वालिटी सीड उपलब्ध कराने की सहमति दी। किसान सीधे टीएफएल सीड ले सकता है। रेड भिंडी, मिर्च व बैगन आदि यहां की वैरायटी प्रसिद्ध है। निर्यात होने वाली सब्जियों की टेस्टिंग हेतु लेबोरेटरी को चावल अनुसंधान केंद्र (इरी) में कराने हेतु संभावना बनाई जा रही है। एयरवेज से यूरोपीय कंट्री में तथा जल मार्ग से गल्फ कंट्री में निर्यात के लिए इंफ्रास्ट्रक्चर व व्यवस्थाएं की जाएंगी। इससे बनारस व उत्तर प्रदेश सीधे निर्यातक होगा। स्थानीय लोगों को कृषि निर्यात के लिए प्रमोट किया जाएगा। अभी एक एपीओ की निर्यात का लाइसेंस दिलाया गया। इसे और प्रमोट किया जाएगा। एपीओ धान खरीद, गेहूं खरीद की एजेंसी के रूप में कार्य कर लाभ कमा सकेंगे। निर्यात होने वाले सामान का बनारस से ही कस्टम क्लीयरेंस की व्यवस्था कराने पर भी चर्चा हुई। इसके लिए उच्च स्तर पर कार्यवाही की जाएगी।
ऑर्गेनिक खेती बढ़ाने पर जोर दिया गया। एपीओ हर ब्लॉक में बनेंगे। कमिश्नर दीपक अग्रवाल ने ऑर्गेनिक खेती का एपीओ बनाने का सुझाव दिया। इसे सेवापुरी ब्लाक से शुरुआत की जाए। किसानों के प्रशिक्षण, फील्ड विजिट, एपीओ बनाने के लाभ, ऑर्गेनिक खेती, निर्यातक बनाने की प्रक्रिया आदि की जानकारी देकर प्रमोट व कैपेसिटी बिल्डिंग होगी। बनारस में निर्यात के लिए हवाई मार्ग, जलमार्ग, यही पैकेजिंग, यही टेस्टिंग, यही कस्टम सर्टिफिकेशन, किसानों को क्वालिटी सीड की उपलब्धता, बेहतर स्टोरेज व्यवस्था, स्थानी निर्यातक बढ़ाने, अधिक से अधिक किसानों की रजिस्ट्रेशन कर सुविधाएं उपलब्ध कराने आदि समस्त इंफ्रास्ट्रक्चर व व्यवस्थाओं पर तेजी से कार्य हो रहा है। बनारस निर्यात का हब बनने के साथ पूरे देश के लिए मॉडल होगा। वर्तमान में लंगड़ा आम, दशहरी आम, टमाटर, हरी मिर्च व काला चावल आदि उत्पाद समय-समय पर विदेशों में निर्यात हो रहे हैं। यहाँ सब्जी, फल, कृषि उत्पाद की व्यापक संभावना है। जिसे गुणवत्ता युक्त उत्पाद कराकर बड़े स्तर पर निर्यात कराकर किसानों की आय व बनारस की इकोनॉमी में अप्रत्याशित वृद्धि हो सकेगी।

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