धान खरीद में व्याप्त भ्रष्टाचार को लेकर भाजपा किसान मोर्चा के जिलाध्यक्ष ने लिखा मुख्यमंत्री को पत्र

सोनभद्र।

भाजपा किसान मोर्चा सोनभद्र के जिलाध्यक्ष यादवेन्द्र दत्त द्विवेदी ने आज सूबे के मुखिया योगी आदित्यनाथ को पत्र के माध्यम से अवगत कराते हुए बताया कि जनपद सोनभद्र में धान क्रय समस्त सरकारी तंत्र मीलरों के साथ मिलकर भारी भ्रष्टाचार कर रहा है, किसान व्यवस्था से तंग होकर अपनी जरूरतों व कर्जो के बोझ से त्रस्त होकर 10 से 12 रू0 प्रति
किलो अपना धान बेचनें को विवष है और जनपद के आला अधिकारियों
से बात करना तो दूर मिल पाना ही ईश्वर की प्राप्ति के समान है। समस्त
शासकीय व्यवस्था सिर्फ लूट की मानसिकता में व्यस्त है आम जन किसान विवष होकर भाग्य का रोना रो रहा है। सरकार की छवि तो स्वयं अधिकारी लीप पोत रहे है, कि सब योगी जी का फरमान है।आगे बताया कि श्रीमान जी निम्न बिन्दुओ पर विचार कर तत्काल कार्यवाही नितान्त आवश्यक है।
यह कि सरकार द्वारा लगभग 17 प्रतिशत नमी व 3 प्रतिशत पईया की छूट का
कोई फायदा किसान को नही दिया जा रहा जबकि मीलरों से चावल प्राप्त करते
समय इससे कहीं ज्यादा कटौती कर बीच की लगभग 20 से 25 प्रतिशत राशि
अधिकारियों व मीलरों द्वारा मिल बॉट लिया जाता है।
यह कि क्रय केन्द्र पर कागज में अथवा दिखावें में 3 या 5 या 7 भी
कॉटे तौल के लिए लगाए गए हों लेंकिन 1 या 2 काटों से ही किसान का
धान धीमी गति से खरीदा जा रहा है, बाकि के काटों के माध्यम से
मीलरों द्वारा दलालों के माध्यम से खरीदे गए धान को एडजेस्ट किया जाता
है, इसका सबसे बडा प्रमाण है कि सभी मीलरों के यहां छापा मारा जाय
तो मानक से 20 से 50 गुना अधिक धान का स्टाक मीलों पर जमा मिलेगा
जिसमें सभी अधिकारियों की मिली भगत है। क्रय केन्द्र पर धान का
विक्रय न हो पानें जिलाधिकारी द्वारा प्रति किसान 50 कुन्तल से ज्यादा धान न
खरीदनें के फरमान के कारण मौसम की मार से त्रस्त किसान औनें
पौनें दाम पर दलालों के हाथों उधार में कागज पत्तर सहित बेंच दे
रहा है जो मीलरों के माध्यम से उनके हेलीमेली लोगों की खतौनी
पर पुनः क्रय केन्द्र पर दर्ज होकर समस्त धान सरकारी खरीद हो जा रही है
और अधिकरी मानक से अधिक किसानों का धान खरीदनें का झूठा ढोल
पीट कर सरकार से प्रशस्ती और इधर मोटी रकम भी प्राप्त कर रहे है। इसके
लिये भी प्रमाण है कि पत्रावली की जॉच किया जाय तो 100 किलो मीटर
दूर के किसान का धान 100 किलो मीटर दूर के क्रय केन्द्र पर बिकता है
जबकि सरकार की व्यवस्था से हर क्षेत्र में क्रय केन्द्र व्याप्त हैं किन्तु ये सब
मीलरों की सेटिंग से होता है क्यों कि कागज में हि तो दर्ज करना है
उल्टा भाडा भी बॉटनें खानें का सुअवसर कौन छोडे किन्तु
पास में क्रय केन्द्र होने पर कोई किसान 100 कि0मी0 दूर हप्तों क्रय
केन्द्र पर ठंड में धान बेचनें नही जाएगा।
यह कि धान क्रय में लगा समस्त सरकारी तंत्र मीलरों के साथ मिलकर एक
बडा लूट का सिण्डिकेट चला रहा है जिसमें एक ओर छोटे और मझोलें
किसान तो दूसरी ओर स्वयं सरकार ठगी का शिकार हुई जा रही है। किसान
से तौल करते व तुरन्त बोरे में भरते समय ही 5 से 7 किलो धान 5 मिनट
में ही सूख जाता है आखिर निचले स्तर पर पल्लेदारों को और क्रय
केन्द्र प्रभारियों का भी तो कोई हक बनता है कि नहीं अर्थात
कल्पना से परे है कि नीचे से उपर तक के इस खेल में स्वयं सरकार व आम किसान

को एक वर्ष में कितनें करोण का चूना लगाया जा रहा है और यह खेल
प्रत्येक वर्ष का है।
किसान से तोल करते समय नमी और पईया के नाम पर मानक से ज्यादा धान
लिया जाता है और तत्काल बोरे में भरते समय नमी और पईया काट लिया
जाता है अर्थात उधर किसान से भी 5 किलों प्रति बोरा लिया तो सारकार
को भी 5 किलो प्रति बोरा चूना 5 मिनट में ही लगा दिया यानी 10
किलो प्रति बोरा जो दिन भर में कई कुन्तल छीटन के नाम पर बटोरा
जाता है। मतलब आलम यह है कि लूट सको तो लूट लो पैसा तो सडक पर
फेंका है बटोरनें वालें की क्षमता पर निर्भर करता है कि वह कितना
सक्षम है और उसका पात्र यानी पेट कितना बडा है।
अतः श्रीमान जी से विनम्र आग्रह है कि राजस्व व किसान हित में आवश्यक कदम
उठानें की कृपा करें, अन्यथा पत्र जॉच के लिए उन्ही अधिकरियों के पास
भेज दिया जाएगा जो इस व्यवस्था में लिप्त हैं। बाकी हम सभी
कार्यकर्ता तो आमजन को अपनें बुद्धि विवेक के अनुरूप समझाते मनाते ही
हैं।इसकी प्रतिलिपि प्रधानमंत्री भारत सरकार, मा0 विधायक, जिलाध्यक्ष भा0ज0पा0 को भी भेजा गया है।

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