पुरुषोत्तम चतुर्वेदी की रिपोर्ट

वाराणसी। छठ एकमात्र ऐसा महापर्व है, जिसमें उदयमान सूर्य के साथ-साथ अस्ताचलगामी सूर्य को भी अर्घ्य दिया जाता है। छठ के इस पर्व पर देवाधिदेव महादेव की नगरी काशी के सभी गंगा घाटों पर व्रती महिलाओं सहित आस्थावानों का जनसैलाब उमड़ पड़ा। कोरोना महामारी के उपर आस्था भारी पड़ता हुआ दिखाई दिया। षष्ठी की संध्या को गंगा के घाटों के किनारे खड़े होकर डूबते सूर्य को अर्घ्य देकर व्रती महिलाओं ने भगवान भाष्कर से अपने पुत्र की लंबी आयु की कामना के लिए प्रार्थना किया। इसके पश्चात शनिवार की सुबह सप्तमी को पुन: प्रात: उदयमान सूर्य को अर्ध्य देकर व्रत अनुष्ठान को सम्पन्न किया जायेगा। हालांकि कुछ लोगों ने कोरोना को देखते हुए घर पर ही भगवान भास्कर की उपासन की।
इस पर्व के दिन महिलाएं दो दिन का व्रत रखकर भगवान से अपने पुत्र और पति के लिए आशीष मांगती हैं। हालांकि यह पूजन पुरुष भी उतनी ही श्रद्धा और भक्ति भाव से करते हैं। व्रती महिलाओं की अगर माने तो संपूर्ण निष्ठा और भक्ति से की जाने वाली पूजा को छठ मइया जरुर स्वीकार करती हैं और फल प्रदान करती हैं। पूरे चकाचौंध और भक्तिभाव से की जाने वाली इस पूजा को न सिर्फ बिहार में बल्कि पूरे देश के लोग पूरी निष्ठां और श्रधा के साथ मनाते हैं। लेकिन इसबार कई प्रदेशों में कोरोना को देखते हुए घाटों पर प्रतिबंध भी लगाया गया है। छठ की छटा से पूरी फिजा सराबोर है बनारस के सभी घाट और कुंड श्रद्धालुओं से भरे पड़े हैं। हर दिल में यही एहसास है छठ मईया हमारी पुकार सुन लो ,हमारी मनोकामना पूरी कर दो।
कहते हैं छठ पर्व को मनाने की परंपरा आदिकाल से ही चली आ रही है। बात सतयुग की हो या फिर द्वापर युग की। हर युग में सूर्य देव और छठी मईया की उपासना होती रही है और हमेशा होती भी रहेगी। क्योकि न ही छठ मईया का महात्म कभी कम होगा और न ही इस महापर्व का महत्व। अर्घ देने के लिए गंगा में पहले से ही उतर कर श्रद्धालु भगवान् भास्कर की पूजा कर रहे हैं।
इस महापर्व में देवी षष्ठी माता एवं भगवान सूर्य को प्रसन्न करने के लिए स्त्री और पुरूष दोनों ही व्रत रखते हैं। छठ का व्रत काफी कठिन होता है, जिसमें निराजल रहकर भी व्रती महिलाएं चेहरे पर मुस्कान लिये छठी मईया का विधिविधान पूर्वक पूजन करती है। इस बात का यह प्रमाण है , गंगा के तट पर उमड़ी भीड़, जहां आज के दिन पांव रखने की भी जगह उपलब्ध हो पाना काफी मुश्किल है और यही आस्था और विश्वास ही देश की संस्कृति को विश्व पटल पर सुसोभित किये हुए है।
SNC Urjanchal News Hindi News & Information Portal