जुनूनी कलाकारों ने इस बीमारी को अपनी कला पर हावी नहीं होने दिया

अनिल बेदाग़-मुंबई: परिस्थितियां चाहे कितनी प्रतिकूल क्यों ना हों, एक कलाकार अपनी रचनात्मकता के सहारे कला को नए आयाम देने की कोशिशों में लगा रहता है। लॉकडाउन का असर दुनिया भर में देखा गया लेकिन जुनूनी कलाकारों ने इस बीमारी को अपनी कला पर हावी नहीं होने दिया। ऐसे ही एक जूनून कलाकार हैं राजन शाह जिनके गीत संगीत का जादू यू एस के अनिवासी भारतीयों पर ही नहीं, विदेशी श्रोताओं पर भी छाया है। गायक, गीतकार व संगीतकार के तौर पर राजन शाह ने संगीत को ही अपनी रुह में उतार लिया है। संगीत ही उनका गुरु है और संगीत में ही उन्हें भगवान नजर आते हैं। संगीत के प्रति उनका जुनून उन्हें आज इस मोड़ पर ले आया है जहां सीमाओं का कोई बंधन नहीं है। वाशिंगटन डीसी के नजदीक उनकी अपनी एक रचनात्मक दुनिया है जहां उनकी कला परवान चढ़ती है। यूएस में ही रहकर राजन ने दर्जनों गीत बना डाले जो आज यूट्यूब पर हिट हैं। राज म्यूजिक प्रोडक्शन के तहत इन्होंने अब तक बैंजो, चांद का आईना, चारपाई, सलाम ए मोहब्बत, फिरोजी साड़ी, जब से तुम से रूबरू, आई लव यू लोंग टाइम, सही ना जाए, खोखली, छीटें, शोर मचावे रे, छुपी है तू कहां जैसे दर्जनों गीत न सिर्फ लिखे बल्कि खुद ही गाते हुए संगीत से भी सजाया। राजन कहते हैं कि पत्नी संगीता ने ही मुझे गीत लिखने के लिए प्रेरित किया। मेरा लिखा एक गीत उनके दिलों को छू गया और वह मुझसे बोली कि तुम्हारी भावनाएं जब शब्दों के रूप में बाहर आती हैं तो संगीत की धारा के समान लगती हैं। पत्नी से मिली तारीफ ने मुझे गीतकार बना दिया और फिर धीरे-धीरे उन गीतों को अपनी आवाज दी क्योंकि बचपन से ही मैं संगीत से जुड़ा था इसलिए संगीत तैयार करने में कोई परेशानी नहीं हुई। 12 साल की उम्र में ही हारमोनियम बजाने लगा था और आज संगीत से जुड़े दर्जनों साज बजा रहा हूं। राजन शाह म्यूजिक डॉट कॉम पर आप मेरे संगीत का आनंद ले सकते हैं। हाल ही में राजन शाह का नया म्यूजिक सिंगल ‘स्लेव’ यूट्यूब पर लॉन्च हुआ है। 21 नवंबर को एक नया गीत ‘तेरी खुशबू’ यूट्यूब पर ही अपनी महक फैलाएगा। ‘तेरी खुशबू’ राजन शाह के ही एक पुराने गीत का रीमेक है। पुराने गीत का ही रीमेक क्यों? इस सवाल पर राजन कहते हैं कि पुराना गीत 2005 में बनाया था। 2020 में मुझे एहसास हुआ कि इस गीत में सुधार की जरूरत है। पुराने गीत में स्पीड थी लेकिन अब रीमेक में उसे हल्का किया गया है जिसका असर आपको नजर आएगा। राजन कहते हैं कि यूएस में संगीत को बहुत ज्यादा महत्व दिया जाता है। बचपन से ही 8 से 10 साल के बच्चों को संगीत सिखाना शुरू कर दिया जाता है। संगीत के जरिए ही बच्चे सीखते हुए आगे बढ़ते हैं। ग्रुप में संगीत सीखते, बजाते हुए उनमें टीम वर्क की भावना पैदा होती है। संगीत को सेहत से जोड़ते हुए राजन कहते हैं कि संगीत मस्तिष्क की सक्रियता बढ़ाने के साथ-साथ उम्र संबंधी बीमारियों को दूर रखने में मदद करता है। कहने का मतलब यह है कि संगीत से मस्तिष्क की दक्षता बढ़ती है। राजन कहते हैं कि 2006 में उन्होंने पियानो सिखाने के लिए पुस्तक लिखी थी जिसे उनकी साइट से फ्री डाउनलोड किया जा सकता है। संगीत तो ऐसा ज्ञान है जो कीमत लेकर नहीं बांटा जा सकता है।

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