बिना अनुबंध के रिहंद डैम में मारी जा रही मछली से राजस्व का लग रहा है चुना।

छोटी मछली को वोट जाल से भी पकड़ी जा रही है।
अनपरा सोनभद्र ।सोनभद्र।ऊर्जांचल के बिजली परियोजना को गोविंद बल्लभ पंत सागर रिहंद जलाशय बिजली उत्पादन के लिए तो पानी की पूर्ति करती है, वहीं दूसरी तरफ इस जलाशय से सरकार को करोड़ों का राजस्व मिलता है जिससे विकाश के कार्य होते है।मछली के टेंडर से करोड़ों के राजस्व से सरकार को कई फायदा होता है ।बताते हैं रिहंद जलाशय का टेंडर 2020 में मत्स्य विभाग निर्देशक लखनऊ के द्वारा निरस्त होने के बाद पुनः टेंडर की प्रक्रिया 2020-2021 में की गई ।अनुबंध की सुकृति भी नहीं प्रदान की गई थी तब तक शिकार माही वोट पर चढ़कर मछली मारना शुरू कर दिया । यहां तक ही नहीं प्रतिबंधित मछली रोहू, कतला, सिल्वर ग्रास, करियास जो 1.50 केजी से नीचे नहीं मारने का आदेश है उसे भी आदेश का ठेंगा दिखाते हुए छोटी से छोटी जाल से भी प्रतिबंधित मछली व अन्य मछली मारी जा रही है।पिछले वर्ष 2019 20 का ठेकेदार को भुगतान जमा न होने के कारण टेंडर निरस्त कर नया टेंडर दो करोड एक लाख में निकाला गया । जबकि पिछला टेंडर दो करोड़ 55 लाख 55000 555 रुपया का मूल्यांकन था ।सरकारी मूल्यांकन में हर वर्ष 10% की बढ़ोतरी होने का भी प्रावधान है ।जिसमें कुछ ना कुछ टेंडर में गड़बड़झाला भी दिख रही है।इस संदर्भ में सहायक निर्देशक राकेश ओझा पिपरी ने बताया अभी अनुबंध अधूरी है,ठेकेदार को भुगतान जमा करने को कहा गया है तब तक मछली नहीं मार सकते जबकि सूत्र बताते हैं कई पॉइंट पर मछलियां मारकर वाहन से अन्य प्रदेश में भेजा जा रहा है।

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