
पुरुषोत्तम चतुर्वेदी की रिपोर्ट
वाराणसी।श्रीकृष्ण जन्मोत्सव की तरीख को लेकर सस्पेंस खत्म हो गया है क्योंकि इसें दो दिन मनाया जाएगा। भगवान श्रीकृष्ण का जन्म भाद्रपद की अष्टमी तिथि को रोहिणी नक्षत्र में हुआ था। इसी पर्व को श्रीकृष्ण जन्माष्टमी कहते हैं। श्रीकृष्ण जन्माष्टमी का पर्व मनाकर हर मनोकामना पूरी की जा सकती है। जन्माष्टमी का व्रत करने से संतान प्राप्ति, दीर्घायु और समृद्धि की प्राप्ति होती है।
ज्योतिषाचार्यों का कहना है कि 11 और 12 अगस्त, दोनों ही दिन जन्माष्टमी मनाई जाएगी। हालांकि जन्माष्टमी का व्रत रखने वाले लोगों को एक खास बात का ध्यान रखना होगा। बताया गया है कि वैष्णव और स्मार्त दो अलग-अलग दिन जन्माष्टमी मनाते हैं।
मंगलवार,11 अगस्त को स्मार्त समुदाय के लोग जन्माष्टमी मनाएंगे यानी जो शादी-शुदा लोग, पारिवारिक या गृहस्थ लोग जन्माष्टमी का व्रत रखेंगे। जबकि बुधवार, 12 अगस्त को उदया तिथि में वैष्णव जन के लोग जन्माष्टमी मनाएंगे। मथुरा और काशी में जितने भी मंदिर है, वहां 12 तारीख को ही जन्माष्टमी होगी।
11 अगस्त को सूर्योदय के बाद ही अष्टमी तिथि शुरू होगी। अष्टमी तिथि मंगलवार, 11 अगस्त सुबह 9:06 बजे से शुरू हो जाएगी। यह तिथि बुधवार, 12 अगस्त सुबह 11:16 मिनट तक रहेगी। वैष्णव जन्माष्टमी के लिए 12 अगस्त का शुभ मुहूर्त बताया गया है। बुधवार रात 12.05 बजे से 12.47 बजे तक बाल-गोपाल की पूजा-अर्चना की जा सकती है।
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