किसी मे भी सिम्पटम हो तो ESI अस्पताल या नजदीकी PHC में जा कर जांच कराएं-डीएम

पुरषोत्तम चतुर्वेदी की रिपोर्ट

वाराणसी। वाराणसी में अब तक कोरोना की वजह से जितनी मृत्यु हुई है उसमें सबसे ज्यादा मृत्यु सिगरा थाने में, उसके उपरांत कैंट, चौक, मडुवाडीह, भेलूपुर और लंका थाने में हुई है। इन छह थानों को यदि शामिल कर लिया जाए तो 76 में से कुल 41 मृत्यु केवल इन छह थाना क्षेत्रों में हुई है। इन थाना क्षेत्रों की पीएचसी पर अब सर्वाधिक पॉजिटिव केस आ रहे हैं। इन थाना क्षेत्रों के निवासियो को अत्यधिक सतर्क रहने की आवश्यकता है। इन मे स्थित दुकानें पूरी अहतियाद बरतें। पूरी तरह मास्क और सोशल डिस्टेंस का पालन करें। जिला अधिकारी वाराणसी कौशल राज शर्मा ने बताया कि किसी मे भी सिपम्पटम हो तो ESI अस्पताल या नजदीकी PHC में जा कर जांच कराएं। साथ ही तुरंत एन्टी बायोटिक का कोर्स डॉक्टर की सलाह ले कर शुरू करें।विगत दिनों में कोरोना संक्रमण से कई ऐसी मृत्यु हुई है जिसमें मृतक व्यक्ति को पूर्व में यह आभास भी नहीं था कि वह कोरोना पॉजिटिव है। कई मामलों में व्यक्ति पिछले दिन तक भी अपना दैनिक कार्य कर रहा था, उसने टेस्ट करवाया और उसके 24 घंटे के भीतर उसकी मृत्यु हो गई। उनके परिवार के लिए यह एक अविश्वसनीय प्रकार की घटना होती है।
पूर्व की घटनाओं को देखते हुए यह प्रयास किया जाना चाहिए कि जितनी जल्दी संभव हो उतनी जल्दी व्यक्ति को कोरोना की बीमारी का पता लग जाए। इसके लिए जिन भी लोगों में कोरोना के सिम्टम्स हैं उनको तो तुरंत अपनी जांच करानी चाहिए। जांच का सैंपल देने के साथ-साथ ही उसको अपने ट्रीटमेंट भी शुरू कर देना चाहिए। ट्रीटमेंट करने में जांच के रिजल्ट आने तक विलंब ना किया जाए। यदि कोरोना की जांच पॉजिटिव भी आती है तो भी अंत में अस्पताल में ट्रीटमेंट ही होना है अतः सिम्टम्स आने पर तत्काल ट्रीटमेंट प्रारंभ हो जाए तो व्यक्ति की बचने की संभावना कई गुना बढ़ जाती है। प्राय देखा गया है कि ट्रीटमेंट में देरी की वजह से 5 दिन के अंतराल पर ही व्यक्ति की तबीयत इतनी ज्यादा खराब हो जाती है कि उसके फेफड़े कोरोना वायरस से प्रभावित हो जाते हैं और उसके बाद सीधे उसको वेंटिलेटर पर ही ले जाने की आवश्यकता पड़ती है। ऐसी स्थिति में भी उसकी स्थिति नहीं सुधरती और अस्पताल पहुंचने के दो-तीन दिन के भीतर भीतर वह दम तोड़ देता है। इसलिए इस बात की अत्यंत आवश्यकता है कि कोरोना सिम्पटम का प्रत्येक व्यक्ति तत्काल ट्रीटमेंट ही लेना प्रारंभ कर दें, इसके पूर्व या पश्चात अपना टेस्ट कराए, अपने रिजल्ट का इंतजार ना करें। यदि सैंपल का रिजल्ट पॉजिटिव आता है तो तत्काल अस्पताल में भर्ती हो और अगर नहीं है तो होम आइसोलेशन में ही ट्रीटमेंट जारी रखें।

ट्रीटमेंट के साथ पल्स ऑक्सीमीटर का भी बहुत महत्व बढ़ गया है। कई ऐसे मामले हैं जिनमें कोई भी सिम्पटम नहीं था परंतु फिर भी व्यक्ति की 24 घंटे के भीतर मृत्यु हो गई। ऐसे मामलों में यह पाया गया कि उन सभी में ऑक्सीजन लेवल अत्यंत कम निकला। ऑक्सीजन सैचुरेशन नापने का एकमात्र तरीका है पल्स ऑक्सिमिटर मशीन। यह मशीन मार्केट में 1000 से ₹1200 के बीच मिलती है। सभी को यह मशीन खरीदनी चाहिए अथवा पूल करके अपने आसपास रखनी चाहिए। कार्यस्थल में अपने कार्यालय में ऐसी मशीन खरीद के रखनी चाहिए ताकि हर व्यक्ति दिन में दो बार अपना ऑक्सीजन लेवल चेक करें। स्वास्थ्य कर्मियों को यह मशीन बाटी जा रही है जो मुफ्त में घर जाकर सभी का ऑक्सीजन लेवल चेक करेंगे। ऑक्सीजन लेवल चेक करने के माध्यम से ही पता लगता है कि कोरोना होते हुए भी व्यक्ति बिना सिम्पटम हुए प्रभावित हो सकता है। यदि लेवल 95% से नीचे चला गया है तो तत्काल उसे अपना ट्रीटमेंट करवाना चाहिए और यदि 85 से नीचे चला गया है तो तत्काल एक्स-रे करवाते हुए अस्पताल में भर्ती होना चाहिए। अधिकतर मामलों में लेवल 70 से नीचे चला जाता है तो मरीज की रिकवरी मुश्किल हो जाती है और उसको बचाना मुश्किल हो जाता है। इसलिए यदि कोई बाहरी सर्दी जुकाम बुखार नहीं हैं तो भी यह ना माने कि सभी कोरोना मुक्त है, ऐसी दशा में पल्स ऑक्सीमीटर से चेक करना ही एकमात्र विकल्प है। इसलिए अपना ऑक्सीजन लेवल दिन में दो बार जरूर चेक करें। यह मशीन सभी होम आइसोलेशन वाले मरीजों को आवश्यक की गई है इसके अलावा सभी कार्य क्षेत्रों में आवश्यक की गई है।

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