पुरुषोत्तम चतुर्वेदी की रिपोर्ट
वाराणसी।काशी से जी आई क्राफ्ट की राखी गलवान घाटी में तैनात वीर सपूतों को भेजा शिल्पकार बहनों ने
लकड़ी से निर्मित हस्तनिर्मित राखी आदरणीय प्रधानमंत्री सहित गलवान घाटी के सेना के जवानों को संसदीय कार्यालय के माध्यम से भेजा ।।
पद्म श्री सम्मान से सम्मानित जी आई विशेषज्ञ डा रजनी कांत ने बताया इस कोविद के संक्रमण में आत्म निर्भर भारत के घोषणा के पश्चात ही इसकी पृष्ठभूमि बनानी शुरू कर दी गई थी, और लगभग 15 दिन पहले इस जी आई राखी की पहली खेप नेशनल मेरिट अवॉर्डी रामेश्वर सिंह के द्वारा व्यापार हेतु नई दिल्ली भेज दिया गया था और तत्काल डिमांड आने के अपना और तेजी से तैयार किया गया। आज वाराणसी संसदीय कार्यालय में महिला शिल्पियों ने माननीय प्रधान मंत्री जी को एक आग्रह पत्र भेजते हुए इन राखियो को उनको स्वीकार करने और गालवान घाटी में तैनात भारत माता के वीर सपूतों को भेजने का आग्रह किया है।
माननीय प्रधानमंत्री जी को संबोधित राखी का पैकेट आज वाराणसी संसदीय कार्यालय में महिला शिल्पियों शालिनी, वंदना,रीता पुष्पा, सीता,के साथ वीरेंद्र, राजकुमार और रामेश्वर सिंह ने कार्यालय प्रभारी की सौंपा और आग्रह किया की इसे माननीय प्रधानमंत्री जी और सी डी यस श्री विपिन रावत जी के माध्यम से वीर जवानों तक गलवांन घाटी भेज दिया जाये ।।
महिलाएं ने पत्र में लिखा है कि
आदरणीय प्रधानमंत्री जी,
आप के आशीर्वाद और प्रेरणा से हम काशी की शिल्पकार बहन , बेटियां आत्म निर्भर भारत के तहत मंत्र ले कर काशी के जी आई पंजीकृत क्राफ्ट ” वुडेन लेकरवेयर एंड टॉयज” के अन्तर्गत पहली बार राखी बनाने का निर्णय लिया जिसमे रामेश्वर सिंह, नेशनल मेरिट अवॉर्डी ने पूरा सहयोग किया है । हम लोग इस जी आई पंजीकृत राखी को, रक्षा बंधन के पवित्र अवसर पर देश की रक्षा के लिए तैनात गलवान घाटी के वीर जवानों को और आप के लिए यह राखी भेज रहे है ।।
आप से आग्रह है कि काशी की शिल्पकार बहनों की राखी भारत माता के वीर सपूतों तक पहुंचवाने की कृपा करे और स्वयं भी रक्षा बंधन के दिन अपनी कलाई पर सुशोभित कर के काशी के बहनो के साथ देश की बौद्धिक संपदा में शुमार काशी के क्राफ्ट का मान बढ़ाए ।।
आप के प्रेरणा से लोकल को ग्लोबल बनाते हुए करोना के संक्रमण काल में भी वाराणसी के इस जी आई क्राफ्ट की लगभग पचास हजार पीस लकड़ी की हस्त निर्मित राखी को सप्लाई किया गया है जिससे बहुत से महिला शिल्पियों को रोजगार मिला ।।