पुरुषोत्तम चतुर्वेदी की रिपोर्ट
वाराणसी।वाराणसी की पहचान घाटों से है। हर दिन वाराणसी के घाटों पर पूजा पाठ,अनुष्ठान के साथ गंगा आरती और अन्य धार्मिक एवं सांस्कृतिक आयोजन होते हैं। गंगा किनारे होने वाले इन आयोजनों पर अब नगर निगम टैक्स वसूलेगा। गंगा आरती से लेकर घाट पर पूजा अनुष्ठान कराने वाले पंडो को अब टैक्स देना पड़ेगा।
वाराणसी नगर निगम ने नदी किनारे रख रखाव संरक्षण एवं नियंत्रण उपविधि 2020 की घोषणा कर दी है। तत्काल प्रभाव से ये शुल्क लागू हो गया है। नगर निगम के राजस्व एवं तहसीलदार विनय राय ने बताया कि घाटों की साफ सफाई और उनके संरक्षण के लिए शुल्क की व्यवस्था की गई है। घाटों पर पूजा पाठ कराने वाले पुरोहित,गंगा आरती के आयोजकों और अन्य धार्मिक आयोजनों के लिए अब शुल्क निर्धारित किया गया है।
ये शुल्क निर्धारित
नगर निगम नदी रखरखाव संरक्षण एवं नियंत्रण उपविधि 2020 के मुताबिक अब घाटों पर पूजा पाठ कराने वाले पुरोहितों को 100 रुपये और गंगा आरती कराने वाले आयोजकों को 500 रुपये वार्षिक शुल्क देना पड़ेगा। इसके साथ ही घाटों पर सांस्कृतिक आयोजन के लिए 4000 रुपये, धार्मिक आयोजन के लिए 500 और सामाजिक आयोजन के लिए 200 रुपये का शुल्क निर्धारित किया गया है।
काशी तीर्थ पुरोहित संघ ने जताया विरोध
घाटों पर धार्मिक आयोजनों के लिए लगाए गए शुल्क का विरोध भी शुरू हो गया है। काशी तीर्थ पुरोहित संघ के इसका विरोध किया है। संघ के अध्यक्ष कन्हैया त्रिपाठी ने बताया कि घाट किनारे पूजा पाठ कराने वाले पुरोहितों से टैक्स लेने का फैसला पूरी तरह से अनुचित है। वाराणसी नगर निगम को अपना ये फैसला वापस लेना चाहिए। काशी तीर्थ पुरोहित संघ के अलावा समाजवादी पार्टी भी इसका विरोध कर रही है।