दिल्ली।विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग के एक स्वायत्त संस्थान, जवाहरलाल नेहरू सेंटर फॉर एडवांस्ड साइंटिफिक रिसर्च (जेएनसीएएसआर) की सहायक कम्पनी (स्पिनऑफ) वीएनआईआर बायोटेक्नोलोजीज प्राइवेट लिमिटेड, ने रिवर्स ट्रांसक्रिप्शन पोलीमरेज़ चेन रिएक्शन (आरटी-पीसीआर) जांच के लिए स्वदेशी फ्लोरेसेंस प्रोब्स और पॉलीमरेज़ चेन रिएक्शन (पीसीआर) का मिश्रण लॉन्च किया, जो कोविड-19 टेस्ट किट में इस्तेमाल होने वाले आणविक प्रोब्स हैं। वीएनआईआर बायोटेक्नोलोजीज प्राइवेट लिमिटेड, कर्नाटक सरकार के बैंगलोर जैव-नवाचार केंद्र (बीबीसी) में स्थित है।
वीएनआईआर के सह-संस्थापक प्रो टी गोविंदराजू और डॉ मेहर प्रकाश ने आरटीपीसीआर की जांच के लिए फ्लोरेसेंस प्रोब्स और पीसीआर मिश्रण विकसित किया है। इन आणविक प्रोब्स का उपयोग कोविड-19 परीक्षण किट में किया जाता है। एक विशिष्ट, पीसीआर आधारित परीक्षण किट में तीन महत्वपूर्ण घटक (ओलिगो, एंजाइम, आणविक प्रोब्स) होते हैं। पहले दो भारत में आंशिक रूप से उपलब्ध हैं और आंशिक रूप से आयात किये जाते हैं जबकि कोविड-19 परीक्षणों में उपयोग किए गए आणविक प्रोब्स केवल आयात किए जाते हैं। पीसीआर में प्रवर्धन को देखने के लिए आणविक प्रोब्स का उपयोग किया जाता है। उनका तत्काल उपयोग कोविड-19 परीक्षण के लिए है, लेकिन ये कई रोगों के आणविक नैदानिक परीक्षणों के लिए सामान्य-उद्देश्य वाले आणविक उपकरण हैं।
वीएनआईआर ने आणविक प्रोब्स के एक संश्लेषण प्रोटोकॉल का निर्माण किया है, जो पीसीआर आधारित कोविड-19 परीक्षण के लिए उपयोगी होगा। वीएनआईआर अपनी प्रक्रिया नवाचार की सुरक्षा के लिए आवेदन दाखिल करेगा।
आणविक नैदानिक परीक्षण का उपयोग अनुसंधान प्रयोगशालाओं में या सीमित अनुप्रयोगों के लिए किया जाता था। कोविड-19 ने एक गंभीर समस्या प्रस्तुत की है। आणविक नैदानिक परीक्षण के सूक्ष्म स्तर को जनसंख्या स्तर पर प्रयोग करना पड़ता है। कोविड-19 के लिए आवश्यक परीक्षणों के बड़े पैमाने को देखते हुए, महत्वपूर्ण परीक्षण किट के घटकों के सन्दर्भ में आत्मनिर्भर होना बहुत महत्वपूर्ण है। एंजाइम और ऑलिगो की जरूरतें भारतीय निर्माताओं से आंशिक रूप से पूरी होती हैं। वीएनआईआर, तीसरे महत्वपूर्ण घटक-आणविक प्रोब्स की समस्या को हल करना चाहता है।
डीएसटी के सचिव प्रोफेसर आशुतोष शर्मा ने कहा “आरटी-पीसीआर आधारित कोविड-19 परीक्षण के लिए प्रोब्स, नए उत्पादों के विकास के लिए हमारे बुनियादी विज्ञान का लाभ उठाने का एक उत्कृष्ट उदाहरण है जिन्हें अब तक आयात किया जा रहा है। यह ज्ञान एक विशेष वायरस तक ही सीमित नहीं है, बल्कि यह भविष्य में अन्य वायरस के लिए भी आणविक निदान को तेजी से विकसित करने में हमारी मदद करेगा।”
आणविक प्रोब्स विकास, सिंथेटिक कार्बनिक रसायन का एक परिणाम है। इसके कई पहलुओं को समझना जरूरी है, जैसे अणु, इसका लक्ष्य, रसायनों की उपलब्धता, और प्रोटोकॉल के विवेकपूर्ण विकल्प द्वारा संश्लेषण के प्रत्येक चरण में परिणाम की अधिकतम प्राप्ति। वीएनआईआर ने आणविक जांच विकास में अपनी मुख्य ताकत का उपयोग किया और नयी सिंथेटिक प्रक्रिया का उपयोग करके आणविक प्रोब्स विकसित किये।
मार्च 2020 में, शेष दुनिया के साथ, वीएनआईआर के कार्य भी थोड़े समय के लिए बाधित हुए। कोविड-19 की समस्या का समाधान करने के लिए वीएनआईआर टीम ने घर पर रहने के अवसर का उपयोग किया।
प्रो. गोविंदराजू ने कहा, “चल रहे आर एंड डी प्रोजेक्ट्स के अलावा नए आर एंड डी में निवेश करना एक स्टार्टअप के रूप में हमारे लिए कठिन था। हालांकि, हमने जोखिम और चुनौती को स्वीकार किया। हमारी टीम ने कोविड-19 परीक्षणों के लिए इन आवश्यक प्रोब्स के संश्लेषण की योजना बनाई। भारत सरकार के मेक-इन-इंडिया और आत्मानिभर भारत मिशनों के अनुरूप वीएनआईआर का आर एंड डी प्रयास, कोविड-19 परीक्षण में आत्मनिर्भरता प्राप्त करने के लिए है। हमारी जानकारी के अनुसार, कोई भी भारतीय कंपनी इन आणविक प्रोब्स का निर्माण नहीं कर रही है।”