नई दिल्ली।आयुष मंत्रालय ने पतंजलि आयुर्वेद लिमिटेड, हरिद्वार (उत्तराखंड) के द्वारा कोविड-19 के उपचार के लिए विकसित आयुर्वेदिक दवाइयों के बारे में हाल में मीडिया में आए समाचारों का संज्ञान लिया है। उल्लिखित वैज्ञानिक अध्ययन के दावे के तथ्यों और विवरण के बारे में मंत्रालय को कोई जानकारी नहीं है।
संबंधित आयुर्वेदिक दवा विनिर्माता कंपनी ने बताया है कि आयुर्वेदिक औषधियों सहित दवाओं के ऐसे विज्ञापन औषधि एवं जादुई उपचार (आपत्तिजनक विज्ञापन) अधिनियम, 1954 के प्रावधानों और उसके नियमों तथा कोविड महामारी के क्रम में केन्द्र सरकार द्वारा जारीदिशानिर्देशों के अंतर्गत विनियमित हैं। मंत्रालय ने 21 अप्रैल, 2020 को जारी राजपत्र अधिसूचना संख्याL.11011/8/2020/AS भी जारी की गई थी, जिसमें आयुष हस्तक्षेप/औषधियों के साथ कोविड-19 पर किए जाने वाले शोध अध्ययन की आवश्यकताओं और उसके तरीकों के बारे में बताया गया था।
उपरोक्त समाचार के तत्थों और दावों के सत्यापन के प्रति मंत्रालय को सूचित किए जाने के क्रम में पतंजलि आयुर्वेद लिमिटेड से उन दवाओं के नाम और संयोजन; स्थानों/अस्पताल जहां कोविड-19 के लिए शोध कराया गया;प्रोटोकॉल, नमूना आकार, संस्थागत आचार समिति की मंजूरी, सीटीआरआई पंजीकरण और शोध के नतीजे के विवरण उपलब्ध कराने तथा इस मसले की विधिवत जांच पूरी होने तक ऐसे दावों के विज्ञापन/प्रचार को बंद करने के लिए कहा गया है। मंत्रालय ने उत्तराखंड सरकार के संबंधित राज्य लाइसेंसिंग प्राधिकरण से भी लाइसेंस की प्रतियां और आयुर्वेदिक दवाओं की उत्पाद स्वीकृति का विवरण उपलब्ध कराने के लिए कहा है, जिसके कोविड-19 के उपचार में कारगर होने का दावा किया जा रहा है।
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