कोरोना की लड़ाई में उत्तर प्रदेश देश में एक मॉडल के रूप में उभरा जो दूसरे राज्यों के लिए मार्गदर्शक भी बन रहा है-सीएम

सरकार की चाक चौबंद व्यवस्थाओं से ही उत्तर प्रदेश में कोरोना संक्रमण की भयावहता पर लगा अंकुश

जल्द ही कोरोना की लड़ाई जीतने में सफल होगा उत्तर प्रदेश

सरकार की प्रभावी और चुस्त दुरूस्त कोरोना के खिलाफ अपनाई गई रणनीति के फलस्वरूप उत्तर प्रदेश में देश के अन्य राज्यों की अपेक्षा लोग कम लोग संक्रमित हुए

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने अपने संसाधनों के तहत उत्कृष्ट व्यवस्था सुनिश्चित करके यह सिद्ध कर दिया कि दृढ़इच्छा शक्ति से कोरोना के भयावह फैलाव पर अकुंश लगाया जा सकता है

वाराणसी।मुख्यमंत्री आदित्यनाथ द्वारा कोरोना से बचाव और उपचार एवं प्रभावी पहल हेतु की गई व्यवस्थाओं की प्रशंसा देश में ही नहीं, अपितु विदेशी राष्ट्रों में भी आज की जा रही है।

राज्य सरकार की जान भी और जहाँन भी के बचाव के प्रति की गयी चाक चौबंद व्यवस्था के तहत लोग घर में रहें, सुरक्षित रहे, सामाजिक दूरी बनाये रखे, मास्क का निरन्तर उपयोग करे, हाथों को बीस सैकण्ड तक दिन में चार-पाँच बार धोयें, दस साल से नीचे के बच्चे और 65 साल के ऊपर के बजुर्ग बेवजह आवाजाही न करें, भीड़-भाड़ से बचे, सामाजिक दूरी का दृढ़ता से पालन करे-जैसी सलाहों का प्रचार-प्रसार करके की ही चिकित्सकों की आज प्रदेश में कोरोना की भयावह स्थिति पर काफी अंकुश लग सका है। इसके साथ ही अस्पतालों का निरन्तर सजग व सचेत रहना, पीड़ितो को बेहतर इलाज सुलभ कराना, चिकित्सकों को मरीजों के प्रति संवेनशीलता का परिचय देना, टेस्टिंग की प्रभावी व्यवस्था, संक्रमितों के सम्पर्क में आने वाले व्यक्तियों को क्वारेंटाइन की सुविधा, असहायों, गरीबों और बेसहारों को नियमित खानपान की सुविधा उपलब्ध कराना तथा लॉकडाउन का कड़ाई से अनुपालन सुनिश्चित करने आदि ऐेसे उदाहरण हैं, जिसके कारण उत्तर प्रदेश में कोरोना की भयावह स्थिति उत्पन्न नहीं हो पायी। या यूं कहा जाय कि कोरोना की लड़ाई में उत्तर प्रदेश देश में एक मॉडल के रूप में उभरा जो दूसरे राज्यों के लिए मार्गदर्शक भी बन रहा है। सरकार की प्रभावी और चुस्त दुरूस्त कोरोना के खिलाफ अपनाई गई रणनीति के फलस्वरूप उत्तर प्रदेश में देश के अन्य राज्यों की अपेक्षा लोग कम लोग संक्रमित हुए।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने वैश्विक महामारी कोरोना की लड़ाई को जीतने और लोगों की जान की सुरक्षा हेतु आवश्यक उपकरणों के साथ हाइड्रोक्सी क्लोरोक्वीन दवाइयों, ट्रू नेट मशीनों तथा वेन्टीलेटर आदि आवश्यक उपकरणों की उपलब्धता अस्पतालों में प्रभावी रूप से की गयी। यद्यपि इस महामारी से बचाव हेतु न तो अभी कोई वैक्सीन ही बन पायी है और न ही कोई कारगर दवाई ईजाद हो पायी है। जबकि भारत सहित दुनिया के अनेक देश इसकी वैक्सीन बनाने में दिनरात शोघ पर शोध बराबर करने में तल्लीन है। इसके वाबजूद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने अपने संसाधनों के तहत उत्कृष्ट व्यवस्था सुनिश्चित करके यह सिद्ध कर दिया कि दृढ़इच्छा शक्ति से इसके भयावह फैलाव पर अकुंश लगाया जा सकता है। यही कारण है कि मुख्यमंत्री आदित्यनाथ द्वारा कोरोना से बचाव और उपचार एवं प्रभावी पहल हेतु की गई व्यवस्थाओं की प्रशंसा देश में ही नहीं, अपितु विदेशी राष्ट्रों में भी आज की जा रही है। कोरोना से निपटने के लिये मुख्यमंत्री ने अपने 11 वरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारियों की एक टीम गठित की, जिसकी प्रतिदिन बैठक करके आवश्यक दिशा निर्देश देने के साथ ही वे स्वयं इसकी गहन मानीटरिंग करते है। इसके साथ कोरोना से बचाव तथा क्वारनटाइन आदि की मानिटरिंग हेतु हर जिले में ऐक नोडल अधिकारी की भी तैनाती की गई, जो निरन्तर अनुश्रवण आदि का कार्य गहनता से करके सरकार को प्रतिदिन अपनी रिपोर्ट सुलभ कराते हैं। जिलों में चिकित्सा आदि की कमियों को दूर करने और व्यवस्थाओं को सुदृढ़ करने की भी जिम्मेदारी नोडल अधिकारियों को दी गई। प्रशासनिक अधिकारियो के अलावा प्रदेश के मन्त्रीगणों को भी कोरोना की लड़ाई हेतु व्यवस्थाओं को बेहतर बनाने के लिये उत्तरदायी बनाया गया। सभी ने मिलकर हर सम्भव योगदान कर प्रदेश में इसके प्रसार पर रोक लगाने में सफलता अर्जित करने में कोई कोताही नही बरती।
मुख्य मंत्री के कुशल निर्देशन में कोरोना से पीडि़तो को राहत देने के लिए ओैर लॉकडाउन का कड़ाई से पालन करवाने के लिए एल-1, एल-2, तथा एल-3 अस्पतालों में एक लाख से अधिक बेड की व्यवस्था की गई। इसके अतिरक्ति 33 लैबोट्री भी प्रदेश में कार्य कर रही है। लॉकडाउन का एक फायदा उत्तर प्रदेश को जरूर मिला, जहां नगण्य रूप से पी0पी0ई0 किट बनाये जाते थे, मास्क निर्माण की संख्या अत्यन्त ही कम थी, वेन्टीलेटरों का अभाव था, सेनेटाइजर का उत्पाद गिनी चुनी कम्पनियां/इकाइयां ही करती थी, वहीं लॉकडाउन की अवधि में बड़ी संख्या मे इकाईयों द्वारा इन सभी उपकरणों का निर्माण तेजी से किया गया और इसका कोई भी अभाव नहीं होने दिया गया। इकाईयों के साथ-साथ स्वंय सहायता समूह और सामाजिक व स्वेछिक संस्थाओं द्वारा मास्क बनाकर लोगों में बड़ी संख्या में वितरित किये गये। लगभग सभी अस्पतालों में वेन्टीलेटर और बेड़ो की पर्याप्त व्यवस्था करके अस्पतालों के सुदृढ़ीकरण को नया आयाम दिया गया। कई जनपदों के अस्पतालों में अत्याधुनिक टू नेट मशीनें स्थापित करके टैंस्टिग के कार्य में तेजी लाई गई। टू-नेट मशीनों की वजह से नॉन कोविड केयर में काफी मदद मिली। इसी कारण प्रदेश में कोरोना जांच की क्षमता में इजाफा हुआ। राज्य सरकार प्रदेश के सभी जिला चिकित्सालयों और प्रमुख चिकित्सालयों में टू नेट मशीनों की स्थापना का कार्य प्राथमिकता से कर रही है। इनकी स्थापना से प्रतिदिन कोरोना टेस्ट के संख्या 15 हजार तक करने का लक्ष्य है। अभी 13 हजार टेस्ट प्रतिदिन हो रहे है। अब तक करीब चार लाख से अधिक टेस्ट किये जा चुके है।
सरकार ने कुशल रणनीति अपनाकर काम करके कोरोना संक्रमण से जन-जन को बचाने की जो मुहिम छेड़ी, वह लगभग पूरी तरह सफल कही जा सकती है। दूसरे राज्यों में फसेें हुए लोगों, छात्रों कामगारों तथा श्रमिकों को अपने साधनों से सरकार ने लाकर उन्हें उनके घर तक सुरक्षित पहुंचाने की व्यवस्था सरकार की एक बड़ी उपलब्धि के रूप में माना जा सकता है। इतना ही नहीं प्रवासियों को क्वारंटाइन कर उन्हें उपचार तथा खानपान की बेहतर व्यवस्था देकर यह सिद्ध कर दिया कि सरकार प्रदेशवासियों के प्रति पूरी तरह संवेदनशील एवं मानवीयता के प्रति प्रतिबद्ध है। राज्य सरकार की और से की गयी व्यवस्थाओं के फलस्वरूप कोरोना वायरस संक्रमण के मामले कम रहे। अब तक 356570 नमूनों की जांच की जा चुकी है। कोरोना मरीजों का उपचार विभिन्न अस्पतालों में हो रहा है। यानी 58 प्रतिशत मरीज ठीक हो चुके हैं, जो राष्ट्रीय औसत से काफी बेहतर स्थित में उत्तर प्रदेश है।
आशा कार्यकत्रियों द्वारा अब तक 14 लाख से अधिक प्रवासी श्रमिकों और कामगारों का घर घर जाकर सर्वेक्षण किया गया। सरकार द्वारा समय समय पर बरती गयी निगरानी, मुस्तैदी और कोरोना के विरूद्ध अपनाई गयी जागरूकता का ही नतीजा है कि इस संक्रमण की संख्या आाबादी की दृष्टि से उत्तर प्रदेश में बहुत ही कम रही।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ अपने घर और परिवार की फिक्र न करके पीडि़तों की सेवा में तत्पर रहकर कोरोना महामारी में योगदान करने वाले कोरोना योद्धाओं का समय-समय पर मनोबल बढ़ाते रहे। जिसके फलस्वरूप ये योद्धा-प्रशासिनक अधिकारी, चिकित्सक, नर्स, वार्डव्याय, अस्पताल के अन्य कर्मी, पुलिसकर्मी, सफाईकर्मी, डाककर्मी, परिवहन कर्मी विद्युतकर्मी, बैंककर्मी, लॉकडाउन अवधि में असहायों, निराश्रितों, गरीबों, प्रवासियों आदि को भोजन की व्यवस्था सुनिश्चित करने वाले शासकीय, सामाजिक एवं स्वेछिक संस्थाओं के व्यक्तियों/पदाधिकारियों तथा आवश्यक सेवाओ को सुचारू बनाये रखने वाले कर्मियों आदि का योगदान भी उत्कृष्ट रहा। इनके सहयोग के साथ ही जनता का सहयोग भी कदम-कदम पर सरकार को निरन्तर मिलता रहा, जिससे आज प्रदेश में कारोना पर अंकुश लग सका और अब लोग शनैः शनैः सामान्य जीवन की ओर सत्त अग्रसर होने लगे हैं। अन्त में, सामाजिक दूरी बनाये रखने, मास्क, ग्लब्स आदि का बराबर उपयोग करने सबंधी निगरानी और नियमों का कड़ाई से पालन यदि सभी लोग करते रहेगे तथा भीड़-भाड़ वाले इलाकों में जाने से बचेगें, तो निश्चित ही वैश्विक कोरोना की समाप्ति मे देर नहीं लगेगी और फिर से सभी का जीवन पूर्व की भांति पटरी पर तेजी से लौट आयेगा। यद्यपि इस दिशा में उत्तर प्रदेश मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के कुशल नेतृत्व एवं मार्गदर्शन में सततृ प्रयत्नशील है और जल्द ही कोरोना की लड़ाई जीतने में उत्तर प्रदेश देश में पहले स्थान पर आने में कोई कोर कसर नहीं उठा रखेगा।

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