*कबीर जयंती पर सोन संगम की ऑनलाइन विचारगोष्ठी तथा कवि समागम

शक्तिनगर, सोनभद्र। शक्तिनगर की साहित्यिक, सामाजिक संस्था सोन संगम के तत्वावधान में, कबीर जयंती के उपलक्ष्य में, 05 जून, शुक्रवार को ऑनलाइन विचारगोष्ठी एवं कवि समागम का आयोजन किया गया। भूगोल की सीमाएँ भूलकर देश के साहित्य प्रेमी इस आयोजन के साक्षी बने। कार्यक्रम में सोनभद्र एवं सिंगरौली के अतिरिक्त वाराणसी, रीवा एवं नई दिल्ली के हिन्दी सेवियों ने सहभागिता की। ऑनलाइन कार्यक्रम प्रातःकाल से देर रात्रि तक चला। कार्यक्रम की अध्यक्षता आलोक चन्द्र ठाकुर, अपर महाप्रबन्धक, एनटीपीसी रामागुण्डम, तेलंगाना ने की, जबकि संचालन डॉ0 मानिक चन्द पाण्डेय, शक्तिनगर ने किया।
कार्यक्रम के प्रारम्भ में डॉ0 मानिक चन्द पाण्डेय ने कबीर के जीवन एवं शिक्षाओं का सार प्रस्तुत करते हुए उन्हें भारतीय अध्यात्म एवं सामाजिक विद्रोह का प्रखर सूर्य बताया। योगेन्द्र मिश्र ने कबीर की प्रतिनिधि रचनाओं ‘मोको कहाँ ढूँढे बन्दे, मैं तो तेरे पास में’, ‘झीनी रे बीनी चदरिया’ आदि का पाठ किया।
काव्य गोष्ठी में नई दिल्ली से शामिल हुए कवि विभव त्रिपाठी ने ‘बदरा उमड़- घुमड़ घर आये’ गीत सुनाकर आषाढ़ की अगवानी की तो रीवा, म0प्र0 से आकाशवाणी उद्घोषक एवं कवि आशीष मिश्र ने ‘तुम क्यों आये इतने करीब’ कविता से प्रेम की पीर को स्वर दिया। वाराणसी से मिथिलेश कुमार श्रीवास्तव ने कबीर पर लिखी अपनी रचना ‘कबीर तेरी वाणी के कद्रदान अब नहीं रहे’ सुनाकर कबीर के विद्रोही स्वरूप को याद किया। सीएमपीडीआई, सिंगरौली के महाप्रबन्धक उमाकान्त यादव ने ‘काश! हर कोई होता सिर्फ इंसान’ कविता से फिरकापरस्ती पर चोट की। नई दिल्ली से वरिष्ठ रंगकर्मी, संगीतकार एवं कवि सुशील शर्मा की कविता ‘ध्रुव तारे के ठीक बगल में, मेरी अम्मा दिखती है’ ने वातावरण को मर्मस्पर्शी बना दिया। रेणुकूट, सोनभद्र से एसडीओ फॉरेस्ट एवं प्रख्यात गीतकार मनमोहन मिश्र ने ‘तपिश के नाम से घबरा गये तुम’ कविता से पर्यावरण की चिन्ता की। जयंत, सिंगरौली से रामखेलावन मिश्र ने ‘कष्ट कसौटी में कसकर यह देह स्वर्ण बन जायेगी’ कविता के माध्यम से से जीवन में चुनौतियों से लड़ने की प्रेरणा दी। योगेन्द्र मिश्र ने ‘बात- बात पे बात पुरानी, छोड़ो भी’ गजल से वर्तमान के अंगीकार पर बल दिया। कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे आलोक चन्द्र ठाकुर ने संस्था के इस अभिनव प्रयास पर सबको शुभकामनाएँ दीं एवं ‘कबिरा फिर से आ जाना’ शीर्षक कविता सुनाकर कबीर को श्रद्धांजलि दी।
उक्त अवसर पर नवीन चन्द्र श्रीवास्तव, उमेश चन्द्र जायसवाल, देवकान्त आनन्द, धर्मेन्द्र दत्त तिवारी, डॉ0 पूनम सिंह, ज्योति राय ‘ज्वाला’, डॉ0 नृपेन्द्र सागर, विजय दुबे, श्यामदेव गुप्त निर्दोष, सुरेरूा गिरि प्रखर, श्रवण कुमार, दिवाकर पटेल, मुकेश, उपेन्द्र, छोटू सहित कई गणमान्य व्यक्ति न सिर्फ कार्यक्रम का आनन्द लेते रहे, अपितु रचनाकारों का निरंतर उत्साहवर्धन करते रहे।
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