प्रवासी मजदूरों को सकुशल पहुँचाने को लेकर प्रियंका गांधी और योगी सरकार के बीच लेटर बम जारी

संजय द्विवेदी
लखनऊ। लॉक डाउन में मजदूरों को सकुशल पहुचाने के लिए 1000 बस के मामले में प्रियंका गांधी और योगी सरकार के बीच लेटर बम की राजनीति गरमा गई है।

नोवेल कोरेना वायरस के संक्रमण के मद्देनजर लाॅकडाउन-4 में सकुशल घर वापसी की आस में बैठे प्रवासी मजदूरों के लिए एक हजार बसों के इंतजाम को लेकर कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी के निजी सचिव और उत्तर प्रदेश सरकार के बीच छिड़ी जुबानी तकरार लगातार चौथे दिन मंगलवार को भी जारी रही। यूपी सरकार ने पहले बस लखनऊ मंगवाई, लेकिन कांग्रेस की ओर कहां गया कि मजदूर नोएडा और गाजियाबाद में फंसे हैं। ऐसे में बसें और परमिट लखनऊ भेजने का कोई औचित्य नहीं है। इसके बाद सरकार और कांग्रेस दोनों के बीच लेटर वार चलता रहा।बताते चले कि
मजदूरों के लिए बस की व्यवस्था को लेकर अब खुलकर राजनीति होने लगी है। बीजेपी और कांग्रेस दोनों की तरफ से आरोप-प्रत्यारोप का दौर जारी है।

आइए जानते हैं इस मामले में खास रिपोर्ट

बीते शनिवार 16 मई को कांग्रेस महासचिव उत्तर प्रदेश की प्रभारी प्रियंका गांधी वाड्रा ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को पत्र के माध्यम प्रवासी श्रमिकों के लिये एक हजार बसें चलाने की अनुमति मांगी थी।किन्तु सरकार की ओर से कोई जवाब नहीं मिलने के बावजूद अगले दिन यानी रविवार को कांग्रेस की राजस्थान सरकार ने सीमा पर बसों का बेड़ा खड़ा कर दिया। इस बीच प्रियंका गांधी ने एक के बाद एक तीन ट्वीट कर योगी सरकार पर निशाना साधते हुये बसों के संचालन की अनुमति देने को कहा। किन्तु देर शाम मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने ट्वीट के जरिये प्रतिक्रिया देते हुये इसे कांग्रेस की कुटिल राजनीति का सूचक बताया। सीएम योगी ने कहा कि सरकार प्रवासी श्रमिकों को सुरक्षित घर पहुंचाने के लिये कटिबद्ध है और इसके लिये बसों का इंतजाम सीमावर्ती जिलों में किया जा चुका है। बाद में सूबे के अपर मुख्य सचिव गृह अवनीश कुमार अवस्थी ने कांग्रेस से बस का रजिस्ट्रेशन नम्बर,फिटनेस प्रमाणपत्र,चालक परिचालक की सूची मांगी जिसे कांग्रेस ने सोमवार दोपहर बाद सरकार को भेज दिया गया। कांग्रेस द्वारा भेजी गयी सूची को स्वीकार करते हुये सरकार की तरफ से कहा गया कि बसों को लखनऊ चालक परिचालक के साथ भेजा जाए। जिसके प्रतिक्रिया में प्रियंका गांधी के निजी सचिव संदीप सिंह ने सोमवार और मंगलवार की रात दो बजे सूबे के अपर मुख्य सचिव गृह को पत्र लिख कर कहा, ‘लाकडाउन में फंसे प्रवासी मजदूरों के सिलसिले में रविवार शाम चार बजे सरकार ने एक हजार बसों की सूची चालक परिचालक के नाम के साथ मांगी थी जिसे उपलब्ध करा दिया गया है। आपने मंगलवार सुबह दस बजे लखनऊ में बसें उपलब्ध कराने की अपेक्षा की है जबकि प्रवासी गाजियाबाद और नोएडा स्थित दिल्ली सीमा पर फंसे है। ऐसे में लखनऊ को बस भेजना समय और संसाधन की बरबादी है और गरीब विरोधी मानसिकता की उपज है। ऐसा लगता नहीं है कि आपकी सरकार श्रमिकों की मदद करना चाहती है।’इसके जवाब में सरकार की ओर से अवनीश अवस्थी ने प्रियंका गांधी के निजी सचिव को पत्र लिखकर कहा कि 500 बसें गाजियाबाद के कौशांबी और साहिबाबाद बस अड्डे पर दोपहर 12 बजे तक उपलब्ध करा दें। इसके अलावा 500 बसे गौतमबुद्धनगर को एक्सपो मार्ट के निकट ग्रांउड पर उपलब्ध कराने का कष्ट करें।
पत्र का जवाब देते हुये प्रियंका के सचिव ने कहा कि सुबह 11 बजकर पांच मिनट पर पत्र मिलने के बाद इतनी जल्दी बस उपलब्ध कराना मुश्किल है। क्योंकि दोबारा परमिट दिलाने की कार्यवाही की जा रही है। बसों की संख्या अधिक होने के कारण इसमें कुछ समय लगेगा। आग्रह है कि शाम पांच बजे तक समय देने की कृपा करें और साथ ही सरकार यात्रियों की सूची और रोडमैप तैयार रखे ताकि संचालन में हमे कोई आपत्ति न आये। दोपहर एक बजे प्रियंका गांधी के निजी सचिव ने कांग्रेस के मीडिया ग्रुप में पोस्ट किया कि बसें बार्डर पर तैयार खड़ी है लेकिन उन्हे प्रवेश की अनुमति नहीं दी जा रही है। स्थानीय प्रशासन का कहना है कि उन्हे ऊपर से कोई आदेश नहीं है। आखिर यह हो क्या रहा है। क्या तानाशाही है। बसों की कतार लगी है मगर घुसने नहीं दे रहे है। इसके साथ ही कतारबद्ध बसो का वीडियो भी शेयर किया है।

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