लखनऊ ।कोरोन संकट से जूझती योगी सरकार ने वित्तीय प्रबंधन को और अधिक कारगर बनाने के लिए ख़र्चों में कटौती का सोमवार को एक नया शासनादेश जारी कर दिया। जिसमें नई गाड़ियों की खरीद पर रोक, गैर जरूरी पदों को समाप्त करने, नई योजनाओं पर रोक लगाने तथा बहुत जरूरी होने पर ही नए निर्माण कार्य किये जाने जैसे बिंदु शामिल हैं।
कोरोना संक्रमण से निपटने के लिए वित्तीय प्रबंधन में जुटी योगी सरकार व उसके वित्त विभाग द्वारा पहले भी कई महत्वपूर्ण और त्वरित निर्णय लिए गये लेकिन बचत की धनराशि जैसे पुराने व बड़े मामले पर भी ध्यान देना ज़रूरी है। निर्णयों की फेहरिस्त में सांसद निधि और विधायक निधि के कार्यों को स्थगित किया जाना शामिल है तो मुख्यमंत्री की विशेष योजना त्वरित आर्थिक योजना भी बंद की जा चुकी है। लेकिन यह देखना दिलचस्प होगा कि इन योजनाओं में बचत की धनराशि का हिसाब किताब रखने में शासन का वित्त विभाग कितना कामयाब हो पाता है।जबकि अभी सरकार हर ऐसे स्रोत की तलाश में है जिससे कि सूबे के वित्त की माली हालात को सुधारा जा सके।
बताते चलें कि बचत की धनराशि के संबंध में कैग की टिप्पणी के बाद सूबे के बड़े निर्माणी विभाग में हड़कम्प मचा था ।
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कोरोना के इस संकट से राजस्व में आयी कमी के कारण खर्चों में कटौति करने में जुटे वित्त विभाग ने १८ मई को जारी शासनादेश में गैरजरूरी पदों को समाप्त करने और सरकारी यात्राओं में कमी लाने, बहुत जरूरी होने पर ही नए निर्माण कार्य शुरू करने जैसे आदेश तो जारी किए हैं लेकिन बंद हो चुकी योजनाओं में बची धनराशि पर सरकार और उसका वित्त विभाग फिर मौन है. जबकि इसी बचत की धनराशि पर कैग के साथ ही सत्ताधारी दल के विधायक ने भी उँगली उठायी थी और मामला लोक लेखा समिति तक गया जिसमें क़रीब डेढ़ सौ इंजिनियरों पर कार्यवाही की तलवार लटक रही थी।फ़िलहाल मिली जानकारी के अनुसार यह कार्यवाही अधर में है।
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