लखनऊ। योगी सरकार के मंत्रिपरिषद ने उत्तर प्रदेश कतिपय श्रम विधियों से अस्थायी छूट अध्यादेश, 2020 के प्रारूप को अनुमोदित कर दिया है।
वर्तमान में कोविड-19 वायरस महामारी के प्रकोप ने उत्तर प्रदेश में औद्योगिक क्रियाकलापों व आर्थिक गतिविधियों को बुरी तरह से प्रभावित किया है। औद्योगिक क्रियाकलापों व आर्थिक गतिविधियों की गति कम हो गयी है, जिसके कारण श्रमिकों के हितों पर भी प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहा है। चूंकि लाॅकडाउन की लम्बी अवधि में औद्योगिक प्रतिष्ठान, कारखाने व उनसे जुड़े औद्योगिक क्रियाकलाप तथा उत्पादन लगभग बन्द रहे हैं। औद्योगिक क्रियाकलापों व आर्थिक गतिविधियों को पुनः पटरी पर लाने हेतु प्रदेश में नये औद्योगिक निवेश के अवसर पैदा करने होंगे तथा पूर्व से स्थापित पुराने औद्योगिक प्रतिष्ठानों व कारखानों में औद्योगिक क्रियाकलापों एवं उत्पादन आदि को गति प्रदान करनी होगी।
नये औद्योगिक निवेश, नये औद्योगिक प्रतिष्ठान व कारखाने स्थापित करने एवं पूर्व से स्थापित पुराने औद्योगिक प्रतिष्ठानों व कारखानों आदि के लिये प्रदेश में लागू श्रम विधियों से कुछ अवधि हेतु अस्थायी रूप से उन्हें छूट प्रदान करनी होगी। अतः आगामी तीन वर्ष की अवधि के लिए उ0प्र0 मंे वर्तमान में लागू श्रम अधिनियमों में अस्थायी छूट प्रदान किया जाना आवश्यक हो गया है। इस हेतु ‘उत्तर प्रदेश कतिपय श्रम विधियों से अस्थायी छूट अध्यादेश, 2020’ लाया गया है।
इस अध्यादेश में समस्त कारखानों व विनिर्माण अधिष्ठानों को उत्तर प्रदेश में लागू श्रम अधिनियमों से तीन वर्ष की छूट प्रदान किये जाने का प्राविधान है। परन्तु यह छूट कुछ शर्तों के अधीन है, यथा बंधुआ श्रम प्रथा (उत्सादन) अधिनियम 1976, कर्मचारी प्रतिकर अधिनियम, 1923, भवन एवं अन्य सन्निर्माण कर्मकार (नियोजन व सेवा शर्तें विनियमन) अधिनियम, 1996 के प्राविधान लागू रहेंगे। बच्चों और महिलाओं के नियोजन से सम्बन्धित श्रम अधिनियम के प्राविधान भी लागू रहेंगे। वेतन संदाय अधिनियम, 1936 की धारा 5 के अन्तर्गत विहित समय सीमा के अन्तर्गत वेतन भुगतान का प्राविधान भी लागू रहेगा।