जानिये पंडित वीर विक्रम नारायण पांडेय जी से मंत्र क्यों नहीं करते हैं काम…….

जीवन मंत्र । जानिये पंडित वीर विक्रम नारायण पांडेय जी से मंत्र क्यों नहीं करते हैं काम…….

आपने अक्सर सत्संग में सुना होगा, रामायण, महाभारत या वेदों आदि में पढ़ा होगा कि प्राचीन काल में तपस्वी लोग मंत्रों की शक्ति से जो चाहे हासिल कर लेते थे। वे जिस चीज का आह्वान करते थे, उसे तुरंत पा लेते थे।

आज भी आप जब शारीरिक या आर्थिक रूप से परेशान होते हैं, और किसी ज्योतिषी के पास जाते हैं, तो वह क्या करता है। जन्म पत्रिका देखने के बाद पीड़ित ग्रह की शांति के लिए कुछ उपाय बता देता है और कुछ मंत्रों का जाप करने के लिए कहता है।

ऐसे में कई बार लोग सवाल करते हैं कि उन्होंने मंत्रों का जाप तो किया, लेकिन कोई खास सफलता नहीं मिली। आखिर ऐसा क्यों होता है कि जो मंत्र प्राचीन काल में सिद्ध थे, उनका प्रभाव आज कम दिखता है या नहीं दिखता है। मंत्रों की शक्ति प्रभावी क्यों नहीं होती है।
आज हम आपको इसका सबसे बड़ा राज बताने जा रहे हैं कि मंत्रों की शक्ति आखिर काम कैसे करती है। दरअसल, आज लोग मंत्रों को जाप करते समय सिर्फ मुंह से बोलते रहते हैं। उसमें उनका मन और आत्मा नहीं शामिल होती है।
मंत्र पढ़ते या जपते समय आधा ध्यान घर के काम में लगा होता है और कई बार तो लोग मंत्रों का जाप करते हुए घर की साफ सफाई भी कर देते हैं, गाड़ी भी चला लेते हैं। उन्हें लगता है कि पंडित ने जपने के लिए कहा था और यह किसी काम को करते हुए भी तो किया जा सकता है।
मगर, यह गलत तरीका है। मान लीजिए आपके घर में अंधेरा है और आप जीरो वॉट का बल्ब लगाते हैं, तो कितनी रोशनी मिलेगी? फिर आप कहेंगे बल्ब तो जला दिया है, लेकिन रोशनी तो आ ही नहीं रही है। यही तो आप मंत्रों को जपते हुए कर रहे हैं। जीरो वॉट के बल्ब की तरह सिर्फ मुंह से मंत्र का उच्चारण करते जा रहे हैं। खुद ही सोचिए क्या वह फलीभूत होंगे।
दूसरा तरीका है, मन से जाप करने का। एक जगह ध्यान लगाकर बैठ जाएं। आपको विचलित करने वाली कोई चीज मोबाइल, किसी तरह का शोर नहीं हो। मंत्र को पूरे मनोयोग से ध्यान केंद्रित करते हुए जपें। जब मन की शक्ति शामिल होगी, तो यह 10 वाट के बल्ब की तरह रोशनी देगी। आपको इसका फायदा होता दिखेगा।

तीसरा तरीका है आत्मा से मंत्रों का जप करना। यह 100 वॉट का बल्ब है, जो पूरे कमरे को रोशनी से भर देगा। क्योंकि इसमें आपका शरीर यानी मुंह से मंत्रों का उच्चारण हो रहा होगा, मन यानी ध्यान में भी आपके मंत्र होंगे और आत्मा यानी आपके शरीर के सातों चक्र, रोम-रोम उसका उच्चारण कर रहा होगा, जैसे प्राचीन काल में लोग करते थे। अब बताइए 100 वॉट का बल्ब जलेगा, तो क्या मंत्रों की शक्ति आपके जीवन के अंधकार को दूर नहीं कर देगी।
मंत्र तो वही थे, वही रहेंगे, लेकिन उन्हें जपने और सिद्ध करने में आप कितनी ऊर्जा लगाते हैं। इससे तय होता है कि आपको उसका फायदा कितना मिल रहा है। पहले तरीके से मंत्र जपने से तो बेहतर है कि आप न ही करें क्योंकि इसका कोई लाभ नहीं मिलेगा।

यह बिल्कुल टेप रिकॉर्डर की तरह है, जिसमें आपके मन ने मंत्र बोलने की फीडिंग कर ली है और जैसे आप बाइक या कार चलाते हुए ध्यान नहीं देते हैं और कार चलती रहती है, वैसे ही मंत्रों की शक्ति को बढ़ाते नहीं है। दिमाग की प्रोग्रामिक के चलते मंत्र मुंह से निकलते रहते हैं।

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