पीएम मोदी का सोशल डिस्टेंसिंग का आह्वान देश के लिये रामबाड़ साबित हो सकता हैसंजय द्विवेदी खास रिपोर्टलखनऊ।नोवेल कोरोना वायरस (कोविड-19) के संक्रमण रोकना एक अद्र्श्य सेना के खिलाफ चुनौती है।इसे सोशल डिस्टेंसिंग के सहारे कुछ हद तक रोका जा सकता है पर विजय प्राप्त नही किया जा सकता।सोशल डिस्टेंसिंग के सहारे भारत मे कोरेना के संक्रमण पर अंकुश लगाया है।जोपीएम मोदी का सोशल डिस्टेंसिंग का आह्वान देश के लिये रामबाड़ साबित हो सकता है। कोरोना वायरस के संक्रमण से विश्व पर क्या असर हुआ है इसकी बानगी पूरा विश्व देख ही रहा है ।, “विश्व कोरोना वायरस की एक अदृश्य सेना के चुनौती के खिलाफ लड़ाई लड़ रहा है.” चीन के वुहान से शुरू होने वाली कोरोना नामक यह बीमारी जो अब महामारी का विकराल स्वरूप ले चुकी है आज अकेले चीन ,अमेरिका ,भारत ,इटली,ब्रिटेन,पाकिस्तान,स्पेन,ईरान ,यूके,जर्मनी, तुर्की,ब्राजील ,जर्मनी सहित 188 देशों के लिए परेशानी का सबब बन गई है।आजकल ब्रह्मांड पर पर आया कहर नोवल कोरोना वायरस कोविड-19 का आतंक अब सिर चढ़कर बोल रहा है।पूरा विश्व आतंकित है ।अब तक 53 हज़ार से ज्यादा लोग अकाल मृत्यु के शिकार हो चुके हैं। लेकिन इसका सबसे अधिक चिंताजनक पहलू यह है कि वैश्वीकरण की वर्तमान परिस्थितियों में यह बीमारी समूची दुनिया के सामने केवल स्वास्थ्य ही नहीं बल्कि आर्थिक चुनौतियाँ भी लेकर आई है।अब तक नॉवेल कोरेना वायरस के संक्रमण से विश्व के 188 देशों के आकड़ो को देखा जाय तो 10 लाख से ज्यादा लोग अब तक कोरेना वायरस संक्रमित है 2,11हजार6 सौ 15 को संक्रमण से वाहर निकाला गया वही 53 हजार से ज्यादा लोगो की अब तक मौत हो चुकी है।अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने कहा कि अमेरिका ने खतरनाक कोरोना वायरस को पूरी तरह से हराने के लिए उसके खिलाफ हर मोर्चे पर युद्ध छेड़ रखा है।
अमेरिका में अब तक इस वायरस से 5 हजार से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है और यहां संक्रमित लोगों की संख्या 2लाख के पार जा चुकी है जो कि दुनिया में सबसे ज्यादा है।भारत मे कोरोना वायरस का संक्रमण बढऩे की बड़ी वजह दिल्ली निजामुद्दीन क्षेत्र में तब्लीगी जमात के एक कार्यक्रम के कारण कोरोना वायरस प्रकोप का सबसे बड़ा केंद्र बन चुका है जिससे देश में कोरोना वायरस का संक्रमण थमने का नाम नहीं ले रहा है। रोजाना बड़ी संख्या में नये मामले उभर कर सामने आ रहे हैं। देशभर में पिछले चौबीस घंटे में कोरोना वायरस के 500 से अधिक मामले सामने आने के साथ संक्रमितों की संख्या 2,500 को पार कर गई, जबकि इनमें से 76 लोगों की मौत हो चुकी है।कोरेना वायरस के संक्रमण को कम करने के नतीजे पर अब तक यही आया है सोशल डिस्टेंसिंग।ऐसे विषम परिस्थिति में महामारी से निपटने के लिये यशस्वी पीएम मोदी का सोशल डिस्टेंसिंग का आह्वान देश के लिये रामबाड़ साबित हो सकता है।इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल (आईसीएमआर) रिसर्च ने अपनी बीते महीने की रिपोर्ट केआंकड़े जारी किए हैं। रिसर्च के मुताबिक, सख्ती से की गई सोशल डिस्टेंसिंग और सेल्फ क्वारेंटाइन से 89 फीसदी तक कोरोना के मामलों में कमी आ सकती है।पीएम मोदी का आह्वान–सोशल डिस्टेंसिंग की लक्ष्मण रेखा नहीं लांघनी है?
पीएम ने कहा कि सोशल डिस्टेंसिंग की लक्ष्मण रेखा को कभी भी लांघना नहीं है। किसी भी हालत में सोशल डिस्टेंसिंग को तोड़ना नहीं है। कोरोना की चेन तोड़ने का यही रामबाण इलाज है।इसलिए विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के साथ भारतीय चिकित्सा अनुसन्धान परिषद् (ICMR) के साथ कई सरकारी व गैर सरकारी सस्थान अपने अपने स्तरों पर इस वैश्विक महामारी से लड़ने के लिये हर सम्भव सहयोग तो दे रहे है। सोशल डिस्टेंसिंग से कोरोना वायरस के मामलों में कितनी कमी लाई जा सकती है।उत्तर कोरिया का दावा, वह कोरोना वायरस संक्रमण से मुक्त हैउत्तर कोरिया के एक वरिष्ठ स्वास्थ्य अधिकारी ने दावा किया कि देश पूरी तरह से कोरोना वायरस संक्रमण से मुक्त है।
उत्तर कोरिया ने यह दावा ऐसे समय में किया है जब दुनियाभर में संक्रमण के मामले करीब दस लाख तक पहुंच गए हैं।
पहले से ही अलग-थलग परमाणु संपन्न उत्तर कोरिया ने चीन में संक्रमण के मामले आने के तुरंत बाद जनवरी में अपनी सीमाएं बंद कर दी थी और इसे रोकने के लिए सख्त कदम उठाए थे।
ट्रंप ने कोरोना वायरस पर चीन के आंकडों पर संदेह जताया ।वही पूरा विश्व कोरेना वायरस को जड़ से खत्म करने को लेकर तरह तरह खोज में लगा है।ऑस्ट्रेलिया के वैज्ञानिकों ने गुरुवार को कहा कि वे कोविड-19 के दो संभावित टीकों का परीक्षण कर रहे हैं जो प्रयोगशाला परीक्षणों में मील का पत्थर साबित हो सकते हैं।
कॉमनवेल्थ साइंटिफिक एंड इंडस्ट्रियल रिसर्च ऑर्गेनाइजेशन (सीएसआईआरओ) के वैज्ञानिकों ने कहा कि वे यह परीक्षण कर रहे हैं कि कोविड-19 का टीका कितना प्रभावशाली है।
वे बचाव के लिहाज से टीका देने के लिए इंजेक्शन लगाने या नाक के स्प्रे जैसे बेहतर तरीके भी खोज रहे हैं।
ऑस्ट्रेलियन एनिमल हैल्थ लेबोरेटरी के निदेशक प्रो. ट्रेवर ड्रू ने कहा कि हम जनवरी से सार्स सीओवी-2 का अध्ययन कर रहे हैं।